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Chhattisgardhi Rajabhasha: एक तपस्‍या ऐसी भी: 82 साल की उम्र कर रहे हैं पदयात्रा, जानिए कौन हैं...छत्‍तीसगढ़ी के लिए पूरा जीवन समर्पित करने वाले नंद किशोर शुक्‍ला

Chhattisgardhi Rajabhasha: छत्‍तीसगढ़ी को 2007 में सरकार ने राजभाषा का दर्जा दिया, लेकिन यह बात केवल फाइलों में रह गई। राज्‍य निर्माण के 23 साल बाद भी छत्‍तीसगढ़ी स्‍कूल शिक्षा का हिस्‍सा नहीं बन पाई है। इसको लेकर 81 साल के नंदकिशोर शुक्‍ला लगातार संघर्ष कर रहे हैं।

Chhattisgardhi Rajabhasha: एक तपस्‍या ऐसी भी: 82 साल की उम्र कर रहे हैं पदयात्रा, जानिए कौन हैं...छत्‍तीसगढ़ी के लिए पूरा जीवन समर्पित करने वाले नंद किशोर शुक्‍ला
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छत्‍तीसगढ़ी राजभाषा के लिए संघर्षरत नंदकिशोर शुक्‍ला

By Sanjeet Kumar

Chhattisgardhi Rajabhasha: रायपुर। ये तस्‍वीर है नंद किशोर शुक्‍ला की। इसे देख कर छत्‍तीसगढ़ी भाषा के प्रति इनके लगाव और सर्म्‍पण का आप कुछ- कुछ अंदाजा लगा सकते हैं। बिलासपुर के रहने वाले इस 82 साल के इस युवा ने अपना पूरा जीवन छत्‍तीसगढ़ी भाषा को समर्पित कर दिया। 82 साल के युवा इसलिए क्‍योंकि इस उम्र में भी इनका जोश और जुनून कम नहीं हुआ है। उम्र के इस दौर में भी वे छत्‍तीसगढ़ी भाषा में शिक्षा और इसे सरकारी कामकाज की भाषा बनाने के लिए लगातार पदयात्रा कर रहे हैं।

मूल रुप से बिलासपुर के रहने वाले नंदकिशोर शुक्‍ला अपनी पदयात्रा के अगले चरण के लिए रायपुर पहुंचे हुए हैं। यहां उन्‍होंने एनपीजी न्‍यूज के कार्यालय आकर पूरी टीम ने भेंट की। इस दौरान उन्‍होंने छत्‍तीसगढ़ी राजभाषा को लेकर एनपीजी टीम के साथ विस्‍तार से बात की। राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ (आरएसएस) की पृष्ठि भूमि से आने वाले नंदकिशोर शुक्‍ला पत्रकारिता से भी जुड़े रहे हैं। छत्‍तीसगढ़ी भाषा को लेकर उनका यह संघर्ष करीब 30 साल से चल रहे हैं। इस दौरान वे छत्‍तीसगढ़ी को राजभाषा दर्जा दिलाने में तो सफल रहे, लेकिन छत्‍तीगसढ़ी अब भी शिक्षा में शामिल नहीं हो पाई है।

नंदकिशोर शुक्‍ला बताते हैं कि संघ और पत्रकारिता की वजह से उन्‍हें देश के अलग-अलग हिस्‍सों में घुमने और रहने का मौका मिला। इस दौरान उन्‍होंने देखा कि सभी राज्‍य में उनकी भाषा और बोली को पूरा महत्‍व मिल रहा है। लोग अपनी भाषा और बोली में ही बात करते हैं। लंबे समय बाद जब वे अपने घर लौटे तो देखा कि परिवार में मां-पिता जी के अलावा घर में कोई छत्‍तीसगढ़ी नहीं बोल रहा है। वे खुद भी छत्‍तीसगढ़ी भूल गए थे। यहीं से अपनी भाषा के प्रति उनका प्रेम जागा और करीब 30 साल पहले उन्‍होंने छत्‍तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा दिलाने की अपनी संघर्ष यात्रा शुरू की।

छत्‍तीसगढ़ी राजभाषा के लिए संघर्षरत नंदकिशोर शुक्‍ला

नंदकिशोर शुक्‍ला के अनुसार काफी प्रयास के बाद 2007 में छत्‍तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा मिल गया, लेकिन इसे स्थिति की स्थिति में कोई विशेष बदलाव नहीं आया। नई पीढ़ी आज भी इससे दूर है। वे कहते हैं कि नई पीढ़ी छत्‍तीसगढ़ी से तभी जुड़ पाएगी जब इसे प्राइमरी शिक्षा का अंग बनाया जाए। कम से कम पांचवीं तक छत्‍तीसगढ़ी भी पढ़ाई जाए और सरकारी कामकाज में छत्‍तीसढ़ी भाषा का उपयोग किया जाए। न केवल छत्‍तीसगढ़ी बल्कि राज्‍य की अन्‍य भाषाएं जैसे गोंडी, हल्‍बी आदि को भी प्राइमरी शिक्षा में शामिल किया जाना चाहिए।

छत्‍तीसगढ़ी भाषा को प्राइमरी शिक्षा में शामिल करने के इसी मीशन को लेकर उन्‍होंने इसी वर्ष 21 फरवरी से यह पदयात्रा का सिलसिला शुरू किया। अब तक 7 चरणों में वे राज्‍य के अलग-अलग हिस्‍सों में पदयात्रा कर चुके हैं। उन्‍होंने बताया कि पदयात्रा के दौरान रास्‍ते में जो भी मिलता है, चाहे वह अकेला हो या समूह में यदि बात करना चाहता है तो उससे छत्‍तीसगढ़ी के बारे में बताया और समझाया जाता है। यह भी बताते हैं कि आखिर छत्‍तीसगढ़ी क्‍यों जरुरी है। वे छत्तीसगढ़ी राजभाषा मंच और मोर चिन्हारी छत्तीसगढ़ी मंच के प्रांतीय संरक्षक हैं।

छत्तीसगढ़ी भासा जन-जागरन पदजातरा (पदयात्रा)

  • दिन- इतवार, बेरा- बिहनिया 7 बजे
  • जगह- महामाया मंदिर, पुरानी बस्ती, रइपुर (रायपुर)
  • पदजातरा (पदयात्रा)- महामाया मंदिर ले दूधाधारी मठ
  • दूधाधारी मठ ले दंतेश्वरी मंदिर
  • दंतेश्वरी मंदिर ले के आजाद चउक (चौक) गांधी पुतला
  • आजाद चौक ले जय स्तंभ चउक (चौक) बीरनरायन सिंह मूर्ति
  • जय स्तंभ चउक ले कलेक्ट्रेट चउक छत्तीसगढ़ महतारी मूर्ति कना समापन
  • छत्तीसगढ़ी पूरा राज के राज अउ संपर्क भासा हरय
  • छत्तीसगढ़ी म एक नइ सबो विसय म छत्तीसगढ़ी माध्यम ले होवय पढ़ई
  • पहली ले पाँचवीं तक तक पूरा रहय छत्तीसगढ़ी माध्यम
  • सरकारी काम-काज म छत्तीसगढ़ी ल अनिवार्य करे जाए
  • पढ़बो-लिखबो-बोलबो छत्तीसगढ़ी

Sanjeet Kumar

संजीत कुमार: छत्‍तीसगढ़ में 23 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। उत्‍कृष्‍ट संसदीय रिपोर्टिंग के लिए 2018 में छत्‍तीसगढ़ विधानसभा से पुरस्‍कृत। सांध्‍य दैनिक अग्रदूत से पत्रकारिता की शुरुआत करने के बाद हरिभूमि, पत्रिका और नईदुनिया में सिटी चीफ और स्‍टेट ब्‍यूरो चीफ के पद पर काम किया। वर्तमान में NPG.News में कार्यरत। पंड़‍ित रविशंकर विवि से लोक प्रशासन में एमए और पत्रकारिता (बीजेएमसी) की डिग्री।

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