दहेज प्रथा का विरोध : बैंड-बाजे के साथ आई गुड्डे की बारात, बिना दहेज के गुड़िया की हुई विदाई, भगवान परशुराम की पूजा
रायपुर. छत्तीसगढ़ के अक्ती तिहार (अक्षय तृतीया) के मौके पर ऑल इंडिया ब्राह्मण संगठन द्वारा पारंपरिक ढंग से गुड्डे-गुड़ियों की शादी कराई गई. साथ ही, बिना दहेज के शादी का संदेश दिया गया. यह आयोजन राजधानी में गढ़कलेवा में किया गया. परशुराम जयंती पर भगवान परशुराम की पूजा-आरती भी की गई.
गुड्डे गुड़ियों की शादी के साथ ही एक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया. इसमें ऑल इंडिया ब्राह्मण संगठन की अध्यक्ष बबीता दुबे ने अक्षय तृतीया के महत्व के बारे में बताया. साथ ही, उन्होंने दहेज प्रथा का विरोध प्रकट करते हुए कहा कि वैवाहिक कार्यक्रम वास्तविक जीवन में भी सादे तरीके से करना चाहिए. उन्होंने बताया कि अक्षय तृतीया के दिन ही मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थी. भगवान विष्णु के अनेक रूप बैशाख तृतीया तिथि को ही लिया गया था. भगवान परशुराम का जन्म भी बैशाख तृतीया तिथी को ही हुआ था, इसलिए इस तिथि का विशेष महत्व है.
शिवाकांत त्रिपाठी ने जल संरक्षण और बढ़ते कोराना पर सावधानी रखने के लिए सबसे आग्रह किया गया. उन्होंने सभी को भगवान परशुराम के सिद्धांतो पर चलने के लिए प्रेरित किया. सुनीता शर्मा ने विप्र एकता और संगठनात्मक गतिविधियों की जानकारी दी. सुरेश मिश्रा ने भगवान परशुराम के जीवन से जुड़े आदर्शों के बारे में बताया. अभिषेक त्रिपाठी, गोविंद महाराज, पल्लवी गणेश दत्त झा और सुधा त्रिपाठी ने मधुर भजन के साथ आरती की प्रस्तुति की. भगवान परशुराम के प्रकाट्य दिवस कर पूर्व संध्या पर उनकी पूजा-अर्चना अभिषेक कर विप्र हित में सबको संगठित रहने की शपथ ली.
इस दौरान प्रीति मयंक त्रिपाठी, सुनीता दीपक शर्मा, सीमा आनंद मिश्रा, अर्चना शर्मा, अन्नपूर्णा शर्मा, आराधना झा, सुनीता पाठक, रश्मि शुक्ला, बबीता मिश्रा आदि भी शामिल हुईं.