Begin typing your search above and press return to search.

बिलासपुर जिले को जानिए: बिलासपुर जिले का इतिहास और सामान्य परिचय पढ़िए NPG.NEWS पर

NPG.NEWS

बिलासपुर जिले को जानिए: बिलासपुर जिले का इतिहास और सामान्य परिचय पढ़िए NPG.NEWS पर
X
By NPG News

NPG NEWS

Bilaspur: छत्तीसगढ़ की न्यायधानी के नाम से जाना जाने वाला बिलासपुर छत्तीसगढ़ का दूसरा प्रमुख शहर है। यह सिर्फ़ न्याय की खुशबू ही नहीं बिखेरता बल्कि यह सुगंधित दूबराज चावल की किस्म के लिए भी प्रसिद्ध है। रायपुर शहर से 92 किलोमीटर दूर उत्तर में स्थित बिलासपुर को अपने धार्मिक और पुरातात्विक महत्व के स्थलों के कारण विशेष पहचान मिलती है। साथ ही बिलासपुर के सीपत में एनटीपीसी का उर्जा-गृह है और एसईसीएल का मुख्यालय भी यहीं है। और तो और प्रदेश का सबसे पुराना रेल मंडल भी बिलासपुर रेल मंडल है। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर देश के विभिन्न रेल ज़ोनों के बीच सबसे ज्यादा कमाई करने वाला जोन है। आइए बिलासपुर जिले के बारे में विस्तार से जानते हैं।

इतिहास

बिलासपुर शहर लगभग 400 वर्ष पुराना है। "बिलासपुर" का नाम "बिलासा" नाम की एक साहसी महिला के नाम पर रखा गया है ।ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार प्राचीन काल में छत्तीसगढ़ की राजधानी रतनपुर हुआ करती थी। बताते हैं कि कलचुरी राजवंश के राजा कल्याण साय एक दिन अपने कुछ सैनिकों के साथ बिलासपुर जिले की अरपा नदी के किनारे जंगल पर शिकार करने पहुंचे। शिकार में मग्न राजा सैनिकों से अलग होकर जंगल में काफी भीतर पहुंच गए। अचानक राजा जंगली जीवों से घिर गए। जानवरों ने उन पर हमला कर दिया। राजा जमीन पर गिर गए। बिलासा बाई नाम की एक मछुआरिन घोड़े की आवाज सुनकर जंगल की ओर भागी। उसने वहां पर वन्यजीवों का मुकाबला कर राजा की जान बचाई। बाद में राजा ने ससम्मान बिलासा बाई को राजधानी बुलाया और उपहार स्वरूप अरपा नदी के दोनों किनारे की जागीर सौंप दी। बिलासा बाई के नाम पर इस क्षेत्र को बिलासपुर नाम दिया गया।

इस शहर का मूल स्वरूप 1774 के आसपास मराठा राजवंश के समय में आया था। 1854 में ब्रिटिश सरकार की ईस्ट इंडिया कंपनी ने बिलासपुर का अधिग्रहण कर लिया। वर्तमान बिलासपुर जिले का गठन 1861 में हुआ तथा बिलासपुर नगर निगम 1867 में अस्तित्व में आया।

* जिले की प्रशासनिक जानकारी

छत्तीसगढ़ शासन की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार बिलासपुर जिले का क्षेत्रफल 3508.48 वर्ग किलोमीटर है।बिलासपुर जिले का प्रशासनिक मुख्यालय भी है। जिले की कुल जनसंख्या 16,25,502 ( 2011 की जनगणना के अनुसार) है। यहाँ 1 नगरनिगम, 2 नगर पलिका परिषद, 4 नगर पंचायत, 4 ब्लॉक, 5 तहसील, 483 ग्राम पंचायत और 708 राजस्व ग्राम हैं।


* छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय

छत्तीसगढ़ के उच्च न्यायालय का गठन मध्य-प्रदेश पुनर्गठन नियम, (2000) के द्वारा हुआ। इसे देश के 19 वें उच्च-न्यायालय के रूप में मान्यता मिली।बिलासपुर के गांव बोदरी में स्थित छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के प्रथम मुख्य न्यायाधीश श्री आर.एस. गर्ग थे। बिलासपुर उच्च न्यायालय एशिया महाद्वीप का सबसे बड़ा उच्च न्यायालय है।


* उद्योग

सिरगिट्टी, सिलपहरी और तिफरा बिलासपुर के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र हैं। बिलासपुर शहर के बाहरी इलाके में स्थित सिरगिट्टी औद्योगिक केंद्र लगभग 324 उद्योगों के साथ 4431 व्यक्तियों को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करता है। सिलपहाड़ी औद्योगिक केंद्र बिलासपुर के पास एक और औद्योगिक क्षेत्र है और कई स्पंज आयरन उद्योगों का घर है। बिलासपुर शहर के बाहरी इलाके में स्थित तिफरा औद्योगिक क्षेत्र में कई रासायनिक , पीवीसी जूते, एचडीपीई बुने हुए बोरे, पॉलिथीन बैग और चादरें, शीतल पेय और अन्य इकाइयां यहां स्थित हैं।

सीएसआईडीसी या छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड बिलासपुर और उसके आसपास के इन सभी औद्योगिक क्षेत्रों के रखरखाव के विकास के लिए जिम्मेदार है। कोल इंडिया लिमिटेड की सहायक कंपनी एसईसीएल या साउथ ईस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड का मुख्यालय बिलासपुर में है। बिलासपुर के सीपत में एन.टी.पी.सी. का उर्जा-गृह भी स्थित है जिसकी कुल क्षमता 2980 मेगावाट की है।

* कृषि

बिलासपुर में प्रमुख रूप से धान और इसके अलावा गेहूं, गन्ना, मक्का, चना, मूंगफली, अरहर, सोयाबीन, अलसी की खेती होती है।


* पर्यटन

धार्मिक और पुरातात्विक महत्व के स्थलों की बिलासपुर जिले में भरमार है। पुरातत्वविदों और एतिहासिक स्थलों की यात्रा के शौकीनों के लिए यहां बहुत कुछ है। आइए, प्रमुख स्थलों के बारे में जानते हैं।


मल्हार

मल्हार एक महत्वपूर्ण पुरातत्व स्थल है,

यहाँ कई प्राचीन मंदिरों के अवशेष मिलते हैं। प्राचीन काल में यह शिक्षा का प्रमुख केंद्र रहा है। भारतवर्ष की सबसे प्राचीन मूर्तियों में से एक चतुर्भुज विष्णु जी की मूर्ति है, जिन्हें मंदिर संग्रहालय में रखा गया है। यहां के गौमुख शिवलिंग को भारत के अति प्रचीन शिवलिंग में से एक कहा जाता है । भीम किचक मन्दिर, माता दाई डीड़नेेश्वरी का निवास, ऋषभदेव नाथ मंदिर, भगवान बुद्ध, व महावीर की प्रतिमा इत्यादि मूर्तियां है।देवर मंदिर में कलात्मक मूर्तियों को देखा जा सकता है। यहां एक संग्रहालय है जिसमें पुरानी मूर्तिकला का उत्कृष्ट संग्रह है। यहां से ताम्रपत्र शिलालेख व अनेक मूर्तियां खुदाई से प्राप्त हुई हैं।


लुतरा शरीफ

बाबा सैय्यद इंसान अली शाह की दरगाह के रूप में प्रसिद्ध "लुतरा शरीफ" बिलासपुर में स्थित है। जो पूरे छत्तीसगढ़ में धार्मिक सौहार्द्र, श्रद्धा और आस्था का पावन स्थल तथा प्रमुख केंद्र माना जाता है।ऐसी मान्यता है कि बाबा की मजार में माथा टेकने वालों की मनौतियाँ अवश्य पूरी होती हैं।


रतनपुर

रतनपुर एक धार्मिक एवं प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल है, जहां अनेकों मंदिर हैं। इसलिए इसे मंदिरों का शहर भी कहा जाता है। रतनपुर को कल्चुरी वंश के शासन काल में छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी भी घोषित किया गया था। उस समय यहाँ 1200 से भी अधिक तालाब हुआ करते थे। जिसके कारण ही इसे तालाबों का शहर भी कहा जाता था। रतनपुर नगर में अनेक मंदिर हैं लेकिन यह विशेष रूप से महामाया देवी मां के मंदिर के लिए विख्यात है।आदिशक्ति माँ महामाया देवी मंदिर का निर्माण राजा रत्नदेव प्रथम द्वारा ग्यारहवीं शताब्दी में कराया गया था | मंदिर के भीतर महाकाली,महासरस्वती और महालक्ष्मी स्वरुप देवी की प्रतिमाएं विराजमान हैं | मान्यता है कि इस मंदिर में यंत्र-मंत्र का केंद्र रहा होगा | रतनपुर में देवी सती का दाहिना स्कंद गिरा था | भगवन शिव ने स्वयं आविर्भूत होकर उसे कौमारी शक्ति पीठ का नाम दिया था | जिसके कारण माँ के दर्शन से कुंवारी कन्याओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है | नवरात्री पर्व पर यहाँ की छटा दर्शनीय होती है | इस अवसर पर श्रद्धालुओं द्वारा यहाँ हजारों की संख्या में मनोकामना ज्योति कलश प्रज्जवलित किये जाते हैं |


कानन पेंडारी

बिलासपुर शहर कानन पेंडारी चिड़ियाघर के लिए भी प्रसिद्ध है। यह मुंगेली रोड पर बिलासपुर से लगभग 10 किलोमीटर सकरी के पास स्थित एक छोटा चिड़ियाघर है।वर्ष 2004-2005 में इस जूलॉजिकल गार्डन की स्थापना की गई थी।यहां जीवों की लगभग 70 प्रजातियां हैं जो आगंतुकों को आकर्षित करती हैं।


ताला गांव में खास "देवरानी-जेठानी मंदिर" और "रुद्रशिव"

ताला शिवनाथ और मनियारी नदी के संगम पर स्थित है। देवरानी-जेठानी मंदिरों के लिए सबसे मशहूर, ताला की खोज 1873-74 में जे.डी. वेलगर ने की थी, जो प्रसिद्ध पुरातत्वविद् अलेक्जेंडर कनिंघम के सहायक थे । इतिहासकारों ने दावा किया है कि ताला गांव 7-8 वीं शताब्दी ईस्वीं की है।देवरानी-जेठानी मंदिर भारतीय मूर्तिकला और कला के लिए बहुत प्रसिद्ध है।


रुद्रशिव

1987-88 के दरमियान देवरानी मंदिर में खुदाई में भगवान शिव की एक बेहद अनोखी 'रुद्र' छवि वाली मूर्ति प्रकट हुई।यह विशाल एकाश्मक द्विभूजी प्रतिमा समभंगमुद्रा में खड़ी है तथा इसकी ऊंचाई 2.70 मीटर है। यह प्रतिमा शास्त्र के लक्षणों की दृष्टी से विलक्षण प्रतिमा है | इसमें मानव अंग के रूप में अनेक पशु, मानव अथवा देवमुख एवं सिंह मुख बनाये गये हैं | इसके सिर का जटामुकुट (पगड़ी) जोड़ा सर्पों से निर्मित है | संभवतः मुर्तिकार को सर्प-आभूषण बहुत प्रिय था क्योंकि प्रतिमा में रुद्रशिव का कटी, हाथ एवं अंगुलियों को सर्प की भांति आकार दिया गया है | इसके अतिरिक्त प्रतिमा के ऊपरी भाग पर दोनों ओर एक-एक सर्पफण छत्र कंधों के ऊपर प्रदर्शित है | इसी तरह बायें पैर पर लिपटे हुए, फणयुक्त सर्प का अंकन है |दूसरे जीव जन्तुओं में मोर से कान एवं कुंडल, आँखों की भौहें एवं नाक छिपकली से,मुख की ठुड्डी केकड़े से निर्मित है तथा भुजायें मकरमुख से निकली हैं | सात मानव अथवा देवमुख शरीर के विभिन अंगो में निर्मित हैं। अद्वितीय होने के कारण विद्वानों के बीच इस प्रतिमा की सही पहचान को लेकर अभी भी विवाद बना हुआ है।


* शिक्षा

बिलासपुर में चार विश्वविद्यालय और अनेक महाविद्यालय हैं-

गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिलासपुर विश्वविद्यालय,

पंडित सुन्दरलाल शर्मा (मुक्त) विश्वविद्यालय

और सी.व्ही.रमन विश्वविद्यालय

छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान, त्रिवेणी दन्त चिकित्सा महाविद्यालय और गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज

शासकीय माता शबरी महाविद्यालय, नवीन कन्या महाविद्यालय, जमुना प्रसाद वर्मा स्नातकोत्तर कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय, शान्ति निकेतन महाविद्यालय, ठाकुर छेदीलाल बेरिस्टर कृषि महाविद्यालय आदि

स्कूल

बिलासपुर में नवोदय विद्यालय,केंद्रीय विद्यालय, सरस्वती शिशु मंदिर, शासकीय बहुउद्देशीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय,लाल बहादुर शास्त्री उच्चतर माध्यमिक विद्यालय,दिल्ली पब्लिक स्कूल दी जैन इंटरनेशनल स्कूल, सेंट जेविएर्स स्कूल, सेंट फ्रांसिस स्कूल, सेंट जोसेफ आदि स्कूल हैं।


स्वास्थ्य

बिलासपुर के प्रमुख अस्पतालों में छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (CIMS), राज्य मानसिक स्वास्थ चिकित्सालय, जिला अस्पताल, बिलासपुर आदि शामिल हैं। साथ ही बिलासपुर के कोनी में राज्य कैंसर संस्थान का निर्माण किया जा रहा है।


आवागमन

रेलवे

बिलासपुर रेलवे स्टेशन छत्तीसगढ़ के व्यस्ततम रेलमार्गों में से एक है और मध्य भारत में चौथा सबसे व्यस्त रेलमार्ग है।प्रदेश का सबसे पुराना रेल मंडल भी बिलासपुर रेल मंडल है। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर देश के विभिन्न रेल ज़ोनों के बीच सबसे ज्यादा कमाई करने वाला ज़ोन है। यह भारत के लगभग सभी राज्यों से रेल मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। राजधानी एक्सप्रेस बिलासपुर से नयी दिल्ली को जोड़ती है।


सड़क यातायात

बिलासपुर राष्ट्रीय राजमार्ग जाल के द्वारा मुंबई तथा कोलकाता से जुडा हुआ है। राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 130 इसे रायपुर से जोड़ता है। राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 111 बिलासपुर से प्रारंभ होता है जो कि अंबिकापुर तथा वाराणसी को जोड़ता है।बिलासपुर से राज्य के लगभग सभी हिस्सों को जोड़ने के लिए बस सेवाएं उपलब्ध हैं।हाल ही में बढ़ते हुए यातायात को देखते हुए एक नया बस-अड्डा तिफरा में स्थापित किया गया है।


हवाई यातायात

बिलासपुर हवाई अड्डे को बिलासा देवी केवट हवाई अड्डे के रूप में जाना जाता है। यह बिलासपुर से 10 किलोमीटर दक्षिण में चकरभट्टा में स्थित है । 1942 में रॉयल एयरफोर्स द्वारा बनाया गया बिलासपुर हवाई अड्डा छत्तीसगढ़ का सबसे पुराना हवाई अड्डा है।




Next Story