Bastar district : बस्तर जिला छत्तीसगढ़ के दक्षिणी भाग में स्थित है। 14 देसी रियासतों में सबसे बड़ी रियासत बस्तर रियासत हुआ करती थी।जलप्रपात, गुफाएं, घाटी और घने वन बस्तर के सौंदर्य को बढ़ाते हैं। बस्तर की जनसंख्या मे 70 प्रतिशत आबादी जनजातीय समुदाय की है। इनमें गोंड , मारिया , मुरिया , भतरा , हल्बा , धुरुवा आदि शामिल हैं। छत्तीसगढ़ की कुल जनजातीय जनसंख्या का करीब 26.76 प्रतिशत यहां निवासरत है । इसलिए बस्तर को 'जनजातियों की भूमि' भी कहा जाता है। बस्तर के जनजातीय समुदाय अपनी संस्कृति और सहज जीवन शैली के लिए प्रसिद्ध हैं। साल वृक्षों की अधिकता के कारण इसे 'साल वनों का द्वीप 'भी कहा जाता है। बस्तर जिले में भारत का सर्वश्रेष्ठ किस्म का तेंदूपत्ता पाया जाता है वहीं एशिया की सबसे बड़ी इमली मंडी भी यहीं जगदलपुर में है। बस्तर जिले के बारे में और जानकारियां आपको इस लेख में मिलेंगी।
जिले का इतिहास
क्षेत्र का उल्लेख रामायण और महाभारत काल में भी मिलता है। इसका प्राचीन नाम भ्रमरकोट या चक्रकोट बताया जाता है।
बस्तर रियासत 1324 ईस्वीं के आसपास स्थापित हुई थी, जब अंतिम काकातीय राजा, प्रताप रुद्र देव के भाई अन्नाम देव ने वारंगल को छोड़ दिया और बस्तर में अपना साम्रज्य स्थापित किया। बस्तर शासन की प्रारंभिक राजधानी बस्तर शहर में ही बसाई गयी। महाराजा अन्नम देव के बाद महाराजा हमीर देव , बैताल देव , पुरुषोत्तम देव आदि शासकों ने क्रमशः यहां शासन किया। बस्तर के अंतिम शासक महाराजा प्रवीर चन्द्र भंज देव (1936-1948) थे। 1948 में भारत के राजनीतिक एकीकरण के दौरान बस्तर रियासत का भारत में विलय कर दिया गया |
जिले की प्रशासनिक जानकारी
बस्तर जिले का क्षेत्रफल 4029.98 वर्ग कि. मी. है । जिले की जनसंख्या वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 14,13,199 (वर्तमान कोंडागांव जिले को सम्मिलित करते हुए) है। जिला मुख्यालय जगदलपुर है। इसके अंतर्गत 7 तहसील, 7 विकासखंड 1 नगर निगम,7 जनपद पंचायत, 317 ग्राम पंचायत और 606 गांव हैं।
कृषि
बस्तर में प्रमुख रूप से धान ,मक्का, गेहूँ, ज्वार, कोदो, कुटकी , चना , तुअर , उड़द , तिल ,राम तिल ,सरसों आदि का उत्पादन किया जाता है ।
अर्थव्यवस्था
कृषि और वनोपज संग्रहण बस्तर जिले की अर्थव्यवस्था के प्रमुख आधार हैं।वनोपज संग्रहण में तेंदू पत्ता , लाख, शहद, साल बीज , इमली ,कंद-मूल ,औषधियां प्रमुख हैं।
हीरा, बाक्साइट, अभ्रक, डोलोमाइट आदि खनिज यहां पाए जाते हैं। पत्थर ,गिट्टी , मुरुम , फर्शी पत्थर , रेत का खनन पशुपालन , कुक्कुट पालन, मत्स्य पालन भी अर्थव्यवस्था में सहायक भूमिका निभाते हैं ।एनएमडीसी द्वारा संचालित नगरनार इस्पात संयंत्र,काजू संवर्धन इकाई, जय बजरंग सीमेंट प्रा. लिमिटेड, रेशम उद्योग जैसी इकाइयां यहां स्थित हैं।
बस्तर में काष्ठ कला, बाँस कला, मृदा कला, धातु कला की अद्भुत कलाकृतियां तैयार की जाती हैं। बांस की सीकों से कुर्सी- टेबल, टोकरियाँ, चटाई, और घरेलू साज-सज्जा की सामग्रियां बनायी जाती हैं। बेल मेटल और ढोकरा शिल्प की बेहद सुंदर कलाकृतियां स्थानीय कलाकार बनाते हैं जिनकी डिमांड विदेशों तक से आती है। इनमें मुख्यतः देवी-देवताओं की मूर्तियाँ, पूजा पात्र, जनजातीय संस्कृति की मूर्तियाँ और घरेलू साजसज्जा की वस्तुएं होती हैं।
जिले के प्रमुख शिक्षण संस्थान
शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय बस्तर
प्रमुख काॅलेज
० शासकीय काकतीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय
० शासकीय दंतेश्वरी महिला महाविद्यालय ० शासकीय शहीद गुण्डाधुर कृषि एवं अनुसंधान केंद्र
० स्व० बलीराम कश्यप स्मृति शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय
० शासकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय
० शासकीय उद्यानिकी एवं अनुसंधान केंद्र ० शासकीय आदर्श महाविद्यालय
० क्राईस्ट कालेज
० सूर्या महाविद्यालय
प्रमुख स्कूल
केंद्रीय विद्यालय
एमजीएम स्कूल
बस्तर हाई स्कूल
संस्कार - द गुरुकुल इंटरनेशनल स्कूल
माउंट लिटेरा ज़ी स्कूल
एचएएम अकैडमी हायर सेकंडरी स्कूल
शासकीय एमएलबी हायर सेकंडरी स्कूल
निर्मल हायर सेकंडरी स्कूल
शासकीय हायर सेकंडरी स्कूल आदि
प्रमुख पर्यटन स्थल
० चित्रकोट जलप्रपात
जगदलपुर शहर से 38 किलोमीटर की दूरी पर चित्रकोट जलप्रपात स्थित है। इंद्रावती नदी पर स्थित इस वाॅटरफाॅल का आकार घोड़े की नाल के समान है इसलिए इसे भारत का नियाग्रा फॉल्स भी कहा जाता है।
यह भारत का सबसे चौड़ा जलप्रपात है।यहाँ पानी 90 फीट की ऊंचाई से गिरता है। बारिश के मौसम में इसकी चौड़ाई 150 मीटर होती है। नदी यहां ऊंचाई से गिरते हुए खूबसूरत दृश्य का निर्माण करती है जिसे देखने के लिए पर्यटक दूर-दूर से इसकी ओर खिंचे चले आते हैं।
० तीरथगढ़ जलप्रपात
जगदलपुर से 35 किलामीटर की दूरी पर मुनगाबहार नदी यह प्रपात बनाती है। चंद्राकार पहाड़ी पर से यहाँ पानी 300 फीट की ऊंचाई से गिरता है। इतनी ऊंचाई से झरता पानी देख ऐसा लगता है मानो दूध की नदिया बह रही हो। इसलिए इसे मिल्की ड्रॉप्स के रूप में भी जाना जाता है। जलप्रपात के समीप ही भगवान शिव और माँ पार्वती का मंदिर है। पर्यटक पिकनिक का लुत्फ उठाने यहां आना बहुत पसंद करते हैं।
० कोटमसर गुफा
कोटमसर गुफा भारत की सबसे गहरी गुफा मानी जाती है और इसकी तुलना विश्व की सबसे लम्बी गुफा अमेरिका की 'कर्ल्सवार ऑफ़ केव ' से की जाती है। इस गुफा की सबसे खास बात है यहां चूना पत्थर से बनी विभिन्न आकृतियां और अंधी मछलियां।इस गुफा की खोज 1950 के दशक में भूगोल के प्रोफेसर डॉ. शंकर तिवारी ने कुछ स्थानीय आदिवासियों की मदद से की थी।
० कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान जगदलपुर से करीब 27 किमी की दूरी पर है। करीब 200 वर्ग किमी में फैला यह छत्तीसगढ़ का सबसे छोटा राष्ट्रीय उद्यान है।इसे 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया। इस राष्ट्रीय उद्यान में बाघ, हिरण, भालू, लकड़बग्घा, काला हिरन, लंगूर, भेड़िया और कई तरह से रेप्टाइल पाए जाते हैं। यहां छत्तीसगढ़ का राजकीय पक्षी 'पहाड़ी मैना' भी पाई जाती है। जो इंसानी बोली को सीख लेने का हुनर रखती है। इसके अलावा यहां उड़न गिलहरी, भृगराज, उल्लू, वनमुर्गी, जंगल मुर्गा, क्रेस्टेड, सरपेंट ईगल, श्यामा रैकेट टेल, ड्रांगो आदि पक्षी मिलते हैं। यह राष्ट्रीय उद्यान 1 नवम्बर से 30 जून तक खुला रहता है। जुलाई से अक्टूबर तक बारिश के दौरान उद्यान बंद रहता है।
० कैलाश गुफा
कैलाश गुफा कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के भीतर है। इस गुफा की खोज 1993 में हुई थी। पहले सिर्फ आदिवासी इसके बारे में जानते थे और इसके भीतर चूना पत्थर से प्राकृतिक रूप से बने "शिवलिंगम" की पूजा करने आते थे।कैलाश गुफा के भीतर जाने का रास्ता काफी संकीर्ण है। एक वक्त पर एक व्यक्ति ही अंदर जा सकता है। हालाँकि अंदर जाने पर तीन हाॅलनुमा बड़े स्थान हैं जहां कई सारे लोग एक साथ बैठ सकते हैं।
० कांगेर धारा जलप्रपात
कांगेर धारा जलप्रपात एक अपेक्षाकृत कम ऊंचाई का जलप्रपात है।यहाँ पानी करीब 25से 30 फीट की ऊंचाई से गिरता है। कांगेर धारा जलप्रपात कांगेर नदी के बहाव की शुरुआत में स्थित है। तीन चरणो में बना यह छोटा झरना अपने प्राकृतिक सौंदर्य से किसी का भी मन मोह लेता है।
० नारायणपाल मंदिर
नारायणपाल नामक गांव, इंद्रवती नदी के किनारे पर स्थित है। इस गांव में करीब 1000 साल पहले बना विष्णु मंदिर है। यह मंदिर इंद्रवती और नारंगी नदियों के संगम के निकट स्थापित किया गया है। यह वास्तुकला का एक सुंदरततम उदाहरण है।नारायणपाल मंदिर पूरे बस्तर जिले का एकमात्र मंदिर है जहां भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित है।
कैसे पहुँचे
प्लेन से
जगदलपुर का स्वंय का हवाई अड्डा है | वहीं छत्तीसगढ़ का मुख्य हवाई अड्डा स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा, रायपुर यहां से 300 किमी की दूरी पर है।
सड़क मार्ग से
राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच 30 यहां से होकर गुजरता है। रायपुर, भिलाई आदि जैसे कई अन्य राज्य राजमार्गों यह अच्छी तरह जुड़ा हुआ है ।जगदलपुर के लिए नियमित बस सेवाएं, एक्सप्रेस या स्लीपर बसें चलती हैं। वहीं जगदलपुर के अंतर्राज्यीय बस स्टैंड से तेलंगाना ,आंध्र प्रदेश और ओडिशा राज्य परिवहन निगम की बसें नियमित रूप से चलती हैं।
रेल मार्ग से
जगदलपुर रेलवे स्टेशन एक अपेक्षाकृत छोटा और कम सुविधाओं वाला स्टेशन हुआ करता था लेकिन अब इसे अमृत स्टेशन योजना के तहत जोड़ा गया है। जिसके तहत इसे आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जा रहा है। जगदलपुर रेलवे स्टेशन को लौह अयस्क के किरंदुल से विशाखापत्तनम परिवहन हेतु मुख्य रूप से उपयोग किया जाता है |