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Balarampur District: बलरामपुर जिले को जानिए: बलरामपुर का इतिहास और सामान्य परिचय...

Balarampur District: बलरामपुर जिले को जानिए: बलरामपुर का इतिहास और सामान्य परिचय...
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By NPG News

Balarampur District:; बलरामपुर जिला छत्तीसगढ़ के उत्तरी भाग में स्थित है। यह पहाड़ियों और घने जंगलों से घिरा हुआ है। 1225 मीटर ऊंची छत्तीसगढ़ की सबसे ऊंची चोटी गौरलाटा यहीं है।राज्य का पहला शहीद पार्क बलरामपुर में स्थापित किया गया है। चगारो जीराफूल बलरामपुर का सुगंधित चावल है जिसकी ख्याति दूर-दूर तक है। छत्तीसगढ़ का पहला कार्बन फ्लक्स टाॅवर भी यहीं लगाया गया है। रामानुजगंज बलरामपुर जिले का सबसे अधिक आबादी वाला शहर है।इस जिले को संयुक्त रूप से बलरामपुर-रामानुजगंज जिला कहा जाता है। जिले के बारे में विस्तृत जानकारी आपको इस लेख में मिलेगी।


जिले का इतिहास

बलरामपुर जिले का गठन 17 जनवरी 2012 को हुआ। इससे पहले ये सरगुजा जिले का हिस्सा हुआ करता था। यह अनुसूचित जनजाति बहुत जिला है। यहाँ की जनसंख्या में लगभग 63% हिस्सा अनुसूचित जाति का है। इनमें मुख्यतः पहाड़ी कोरवा, गोण्ड, खैरवार, कांवरा और पंडो शामिल हैं। अनुसूचित जाति की कुल जनसंख्या में 4.5% हिस्सेदारी है।

प्रशासनिक जानकारी

बलरामपुर जिले का क्षेत्रफल 60.16 लाख हेक्टेयर है। 2011 की जनगणना के अनुसार जिले की जनसंख्या 7,30,491 है। इसके अंतर्गत 8 तहसील और 6 विकासखण्ड हैं। 415 ग्राम पंचायत और 636 राजस्व ग्राम हैं। जिला मुख्यालय बलरामपुर है।

कृषि

बलरामपुर में धान और मक्का किसानों द्वारा उगाई जाने वाली प्राथमिक फसलें हैं, जबकि मूंगफली, गेहूं, चना आदि भी जिले के कुछ सिंचाई वाले हिस्सों में उगाए जाते हैं। वहीं बलरामपुर की महिलाएं बाड़ियों में अदरख आदि उपजा रही हैं।

अर्थव्यवस्था

  • आदित्य बिड़ला समहू की मेटल फ्लैगशिप हिंडाल्को इंडस्ट्रीज लिमिटेड बलरामपुर के सामरी की बॉक्साइट माइंस में सस्टेनबल माइनिंग कर रही है।
  • कंपनी द्वारा 2 हेक्टेयर भूमि पर सामरी टी प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई है जहां 16000 चाय के पौधे रोपे गए है। 2026 तक इस पूरे इलाके को चाय के बगान के रूप में पूरी तरह विकसित करने की योजना है।
  • बलरामपुर में बाॅक्साइट जमीरपाट, जारंगपाट, टाटी झरिया और लहसुन पाट से निकाला जाता है। वहीं कोयले के भंडार यहां शंकरगढ़, तारा, तातापानी और लहसुन पाट में हैं।
  • बलरामपुर के चगोरा जीराफूल सुगंधित चावल की देश भर में डिमांड है।

जिले के प्रमुख पर्यटन स्थल

तातापानी

पर्यटकों को बलरामपुर की ओर आकर्षित करने वाला सबसे खास स्थल है तातापानी।यह बलरामपुर जिला मुख्यालय से लगभग 12 किलोमीटर दूर स्थित है। "तातापानी" ऐसी जगह है जहां धरती के अंदर से गर्म पानी निकलता है। स्थानीय बोली में ताता का अर्थ है गर्म। इसलिए इसका नाम तातापानी पड़ गया। यहां के गर्म कुंड का पानी इतना गर्म है कि चाय-काॅफी बन जाए और चावल-अंडे उबल जाएं।


स्थानीय लोग यहां की धरती को पवित्र मानते हैं एवं कहा जाता है कि यहां गरम पानी से स्नान करने से सभी चर्म रोग खत्म हो जाते हैं। वहीं वैज्ञानिकों का मानना है कि इस क्षेत्र में सल्फर की मात्रा अधिक है इसी वजह से यहाँ से निकलने वाला पानी गर्म होता है। यहां के शिव मंदिर में लगभग चार सौ वर्ष पुरानी मूर्ति स्थपित है जिनपर लोगों की अत्यधिक आस्था है। हर वर्ष मकर संक्रान्ति पर्व पर लाखों की संख्या में पर्यटक यहां आते हैं। इसी अवसर पर यहां "तातापानी महोत्सव" मनाया जाता है।


गौरलाटा चोटी

बलरामपुर जिले की सामरी तहसील के अंतर्गत छत्तीसगढ़ की सबसे ऊंची चोटी गौरलाटा है जो 1225 मीटर ऊंची है। चौतरफा फैले घने जंगल इस चोटी की खूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं।इस पहाड़ी पर कई गुफाएं और प्राकृतिक जलस्रोत भी हैं। यहां से छत्तीसगढ़ और झारखंड की सीमा पर स्थित सघन वनों को देखा जा सकता है।छत्तीसगढ़ सरकार इसे पर्यटन स्थल के रूप में डेवलप कर रही है। बलरामपुर जिले के चांदो क्षेत्र के इदरीपाठ गांव से गौरलाटा तक पहुंचा जा सकता है।


अर्जुनगढ़

अर्जुनगढ़ बलरामपुर के शंकरगढ़ विकासखंड के जंगल में स्थित है। यहाँ प्राचीन किले के भग्नावशेष दिखाई पड़ते हैं। एक स्थान पर प्राचीन लंबी ईटों का घेराव है। एक ओर नीचे गहरी खाई है, जहां से एक झरना बहता है।यहाँ एक गुफा भी है, जिसे धिरिया लता गुफा के नाम से जाना जाता है।


पवई जलप्रपात

करीब 100 फीट की ऊंचाई से गिरने वाला यह जलप्रपात सेमरसोत अभ्यारण में चनान नदी में स्थित है। पिकनिक इन्जाॅय करने के लिए यह एक अच्छा स्पाॅट है। इस झरने के आसपास मन मोह लेने वाली हरियाली है। झरना घने जंगल के भीतर स्थित है। पहुंचने का मार्ग भी थोड़ा कठिन है। झरने के करीब पहुंचने के लिए अंतिम करीब 1 से डेढ़ किमी की दूरी आपको पैदल तय करना पड़ती है। हालांकि ट्रेकिंग के शौकीनों के लिए यह एक बहुत अच्छी जगह है।


डीपाडीह

अम्बिकापुर से कुसमी मार्ग पर 75 कि.मी. दूरी पर डीपाडीह नामक गांव है। इसके आस-पास के लगभग 6 किमी. के दायरे में 8वीं से 14वीं शताब्दी के शैव एवं शाक्य संप्रदाय के पुरातात्विक अवशेष बिखरे हुए हैं।इन्हें एक जगह इकट्ठा करके रखा गया है मानो एक खुला संग्रहालय हो। यहां अनेक शिवलिंग, देवी दुर्गा, कार्तिक, विष्णु, महिषासुर मर्दिनी की कलात्मक मूर्तियां प्राप्त हुई हैं। उरांव टोला स्थित शिव मंदिर अत्यंत कलात्मक है।


सेमरसोत अभ्यारण्य

यह अभयारण्य अंबिकापुर-रामानुजगंज मार्ग पर स्थित है। इस अभयारण्य का क्षेत्रफल 430.36 वर्ग किलोमीटर है। इसकी स्थापना 1968 में की गई थी।इस अभयारण्य में सेंदूर, सेमरसोत, चेतन और सासू नदियां बहती हैं। यहां पर आपको तेंदुआ, गौर, नीलगाय, चीतल, सांभर, जंगली कुत्ते, सियार, भालू जैसे जानवर खुले में विचरते देखने के लिए मिल जाते हैं। साल, सरई, आम, तेंदू आदि वृक्षों यहां बहुतायत में है।


जिले के प्रमुख शिक्षण संस्थान

प्रमुख काॅलेज

  • राजकीय पॉलिटेक्निक, रामानुजगंज
  • राजकीय आईटीआई
  • डिवाईन इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग
  • शासकीय रानी दुर्गावती महाविद्यालय शासकीय लरंगसाय महाविद्यालय
  • शासकीय स्व. श्री महली भगत महाविद्यालय आदि

प्रमुख स्कूल

  • स्वामी आत्मानंद स्कूल
  • बाल विद्या निकेतन हायर सेकंडरी स्कूल
  • DAV मुख्यमंत्री पब्लिक स्कूल
  • गवर्नमेंट हायर सेकंडरी स्कूल
  • एकलव्य आवासीय स्कूल
  • जवाहर नवोदय विद्यालय आदि

अस्पताल

  • जिला अस्पताल, बलरामपुर
  • गवर्नमेंट हाॅस्पिटल शंकरगढ़
  • आयुर्वेदिक हॉस्पिटल बलरामपुर
  • न्यू डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल बलरामपुर आदि

कैसे पहुँचे

प्लेन से

आप स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा,रायपुर छत्तीसगढ़ या फिर बिरसा मुंडा हवाई अड्डा, रांची, झारखंड पर उतर कर बस या टैक्सी से बलरामपुर पहुंच सकते हैं।


सड़क द्वारा

जिला बलरामपुर NH343 द्वारा अंबिकापुर, छत्तीसगढ़ (80 किमी) और गढ़वा, झारखंड (80 किमी) से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।


ट्रेन से

आप अंबिकापुर रेलवे स्टेशन पर उतर सकते हैं जो करीब 81 किमी दूर है वहीं गढ़वा रोड रेलवे स्टेशन 90 किमी की दूरी पर है। आगे सड़क मार्ग से सफर कर सकते हैं।




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