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बढ़ा छत्तीसगढ़ महतारी का मान

छत्तीसगढ़

बढ़ा छत्तीसगढ़ महतारी का मान
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By NPG News

रायपुर 23 दिसंबर 2022 I छत्तीसगढ़ महतारी राज्य में छत्तीसगढ़ियावाद की प्रमुख निशानी है। छत्तीसगढ़ लोग छत्तीसगढ़ महतारी की पूजा करते है और अपना गौरव मानते हैं। ये देश का इकलौता प्रदेश है, जहां छत्तीसगढ़ यानी राज्य को महतारी मानकर उसकी पूजा की जाती है। राज्य में भूपेश बघेल की सरकार बनने के बाद छत्तीसगढ़ महतारी के सम्मान को बढ़ाने का काम कर रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य के सभी जिलों में छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा लगाने के निर्देश दिए हैं। इससे पहले सभी शासकीय दफ्तरों में छत्तीसगढ़ महतारी की फोटो और शासकीय आयोजन की शुरुआत में छत्तीसगढ़ महतारी की पूजा-अर्चना करने का मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया गया था। प्रदेश के सामान्य प्रशासन विभाग की ओर जारी किए गए निर्देश में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ महतारी की फोटो को शासकीय भवनों, कार्यालयों, कार्यक्रमों के अलावा सभी सरकारी शैक्षणिक शिक्षण संस्थानों, प्रशिक्षण संस्थानों, पंचायतों और स्थानीय निकायों में भी लगाया जाए। सभी सरकारी कार्यक्रमों के प्रारंभ में छत्तीसगढ़ महतारी के चित्र पर श्रद्धा पूर्वक पूजन-वंदन और नमन किया जाए।

छत्तीसगढ़ महतारी की 1200 किलो की कांस्य प्रतिमा

स्मार्ट सिटी रायपुर और नगर निगम ने छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा रायपुर के कलेक्टोरेट चौक में स्थापित की है। 11 फुट ऊंची और 1200 किलो वजनी कांस्य प्रतिमा देश के प्रसिद्ध मूर्तिकार पद्मश्री जेएम नेल्सन ने बनाया है। खास बात ये है कि उन्होंने केवल एक महीने के भीतर इस 1200 किलो वजनी प्रतिमा को तैयार किया है। इस प्रतिमा स्थल का संरचनात्मक स्वरूप रायपुर के ऑर्किटेक्ट मनीष पिल्लेवार ने तैयार किया है। राज्य आंदोलन के दौरान 90 के दशक में रायपुर और धमतरी के कुरूद में छत्तीसगढ़ महतारी का मंदिर भी बना। इसमें मां की प्रतिमा चतुर्भुजी है। बाद में कई शहरों में दो भुजाओं वाली प्रतिमाएं स्थापित की जाने लगीं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पिछले साल बीरगांव में छत्तीसगढ़ महतारी की एक प्रतिमा का अनावरण किया था। प्रदेश में छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा और तस्वीरें लगाने के सरकार के प्रयास को छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान से जोड़कर देखा जा रहा है।

0 'छत्तीसगढ़ का वैभव, संपन्नता हमारे किसानों से है, उनकी खुशहाली में छत्तीसगढ़ महतारी का ही आशीर्वाद है। छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा और चित्र लगाने का हमने फैसला लिया, ताकि हमें हमारी माटी के गौरवशाली इतिहास, संस्कृति का स्मरण हो सके।'

-भूपेश बघेल, मुख्यमंत्री

राज्य आंदोलन के दौरान बनी पहली तस्वीर

छत्तीसगढ़ महतारी का चित्र राज्य आंदोलन के दौरान बना था। बताया जाता है कि आंदोलनकारियों ने इस चित्र को भारत माता के चित्र के आधार पर बनाया था। इसमें छत्तीसगढ़ महतारी को छत्तीसगढ़ के पारंपरिक परिधानों और आभूषणों में चित्रित किया गया है। हरे रंग की साड़ी पहने माता के बाएं हाथ में धान की बाली और हंसिया है। माता का दूसरा हाथ अभय मुद्रा में संतानों को आशीर्वाद दे रहा है। प्रोफेसर पीयूष कुमार के मुताबिक छत्तीसगढ़ महतारी का चित्र अलौकिक या चमत्कारिक नहीं है, बल्कि एक वास्तविक तस्वीर है। ये एक कमेलिन की, मेहनतकश स्त्री की मुकम्मल तस्वीर है। जैसे कि हमारी महतारियां तइहा जमाने से दिखती रही हैं। वे महतारियां जिन्होंने हमें पोसा और बड़ा किया। इस तस्वीर में छत्तीसगढ़ महतारी के माथे पर सोने का नहीं वरन पत्तों का मुकुट शोभित है। यह मुकुट छत्तीसगढ़ की प्राकृतिक समृद्धि को व्यक्त करता है। प्रोफेसर पीयूष कुमार के मुताबिक कमर में करधन, गले में सूता, मोहरमाला और गोड़ में सांटी से सुसज्जित छत्तीसगढ़ महतारी यहां की मनभावन और सौंदर्यपूर्ण संस्कृति को जाहिर कर रही है। इस चित्र में महतारी का वस्त्र हरियर लुगरा है। प्रदेश का 44 प्रतिशत क्षेत्र वनों से आच्छादित है और यह देश में तृतीय स्थान पर है, इस लिहाज से यह हरियर लुगरा छत्तीसगढ़ की अपार हरियाली का प्रतीक है। छत्तीसगढ़ महतारी के इस चित्र में बाएं हाथ में धान की बालियां हैं जो छत्तीसगढ़ को 'धान का कटोरा' कहे जाने को सिद्ध करता है। छत्तीसगढ़ में धान की लगभग 23 हजार किस्में हैं जो विश्व का सबसे बड़ा संग्रह है। महतारी के उसी हाथ में हंसिया भी है जो छत्तीसगढ़ी स्त्री की कर्मशीलता को बिल्कुल ठीक जाहिर कर रहा है।

राजकीय गीत के हर बोल में छत्तीसगढ़ की आत्मा और देह

छत्तीसगढ़ अपनी कला संस्कृति के लिए पूरे देश में मशहूर है चाहे वह बस्तर की कष्ट शिल्प हो या बॉस शिल्प छत्तीसगढ़ के लोक गीत जो छत्तीसगढ़ी में गाया जाता है। इन गीतों में छत्तीसगढ़ का प्राकृतिक सौंदर्यता के वर्णन के साथ संस्कृति का भी वर्णन मिलता है। छत्तीसगढ़ी गीतों में मिटटी की सौंधी-सौंधी खुसबू आती है। 'अरपा पइरी के धार...' को तीन नवंबर 2019 को छत्तीसगढ़ की राजकीय गीत बनाया गया। इसके बाद सभी शासकीय कार्यक्रमों में राजकीय गीत गाने के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की जाने लगी है। छत्तीसगढ़ की आत्मा और देह को बरसों पहले नरेंद्र देव वर्मा जी ने अपने इस गीत में जाहिर किया था और वह छत्तीसगढ़ के राज्य गीत के रूप में स्थापित हुआ। इस गीत के बोल और इस तस्वीर में अद्भुत साम्य है। निश्चित तौर पर छत्तीसगढ़ महतारी की तस्वीर और राजकीय गीत हमें हमारी माटी के गौरवशाली इतिहास और संस्कृति का स्मरण कराती है।

"अरपा पइरी के धार महानदी हे अपार,

इन्द्राबती ह पखारय तोर पइँया।

महूँ पाँव परँव तोर भुइँया,

जय हो जय हो छत्तिसगढ़ मइया।।

सोहय बिन्दिया सही घाते डोंगरी, पहार

चन्दा सुरूज बने तोर नयना,

सोनहा धाने के संग, लुगरा के हरियर रंग

तोर बोली जइसे सुघर मइना।

अँचरा तोरे डोलावय पुरवइया।।

महूँ पाँव परँव तोर भुइँया,

जय हो जय हो छत्तिसगढ़ मइया।।

रइगढ़ हाबय सुघर, तोरे मँउरे मुकुट

सरगुजा अऊ बेलासपुर हे बहियाँ,

रइपुर कनिहा सही घाते सुग्घर फभय

दुरुग, बस्तर सोहय पयजनियाँ,

नाँदगाँवे नवा करधनियाँ

महूँ पाँव परँव तोर भुइँया,

जय हो जय हो छत्तिसगढ़ मइया।।

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