नियम 139 के तहत चर्चा: धर्मजीत सिंह ने उठाया हसदेव मांड जलग्रहण इलाक़े में कोयला खनन का विषय..सरकार ने दिया जवाब ”लेमरु प्रोजेक्ट के लिए 1995 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को अनुमति.. कोई कमी नहीं की जा रही”
रायपुर,29 जुलाई 2021। विधानसभा में धारा 139 के तहत चर्चा में वरिष्ठ सदस्य धर्मजीत सिंह के उठाए विषय पर सरकार ने बयान जारी कर स्पष्ट किया है कि, लेमरु प्रोजेक्ट के लिए पूर्व में तय किए गए 1995 वर्ग किलोमीटर में कोई बदलाव नहीं किया गया है, यह क्षेत्रफल पूर्व की भाँति ही है।
धारा 139 के तहत ‘अविलंबनीय लोक महत्व का विषय’ पर चर्चा होती है। जैसा कि नाम से से स्पष्ट है यदि अहम विषय है और चर्चा के लिए समय है तो इस धारा के तहत विधानसभा चर्चा करती है।
वरिष्ठ विधायक धर्मजीत सिंह ने धारा 139 में प्रदेश की हसदेव और माँड नदी के जल ग्रहण क्षेत्र के वनों में कोयला खनन की अनुमति दिए जाने से उत्पन्न स्थिति को लेकर विषय उठाया।
वरिष्ठ विधायक धर्मजीत सिंह के तेवर तल्ख थे लेकिन भाषा पर उनकी पकड़ हमेशा की तरह प्रभावी और बेहद श्रवणीय थी। क़रीब डेढ़ घंटे की इस चर्चा में धर्मजीत सिंह ने अभिलेखों का अंबार रख दिया, और तथ्यों और तारीख़ों के साथ सत्ता पक्ष को प्रश्नांकित कर दिया।
धर्मजीत सिंह ने कहा
”छत्तीसगढ़ का सिंचाई का सबसे बड़ा बांध है मिनीमाता हसदेव बांगो बांध। इस बांध को बनाने में 61 गाँव डूबे थे,11 हज़ार हैक्टेयर वन और 6 हज़ार हेक्टेयर कृषि भूमि इस बांध के डूबान में आया था,इस बांध से 2 लाख 55 हज़ार हेक्टेयर इलाक़े में सिंचाई होती है,यह बाँध अनमोल धरोहर है इसका सपना स्व. बिसाहू दास महंत और स्व. डॉ रामचंद्र सिंहदेव ने देखा था। रायपुर तरफ़ रहने वालों को लगता है कि गंगरेल से बड़ा कोई बांध है ही नही”
धर्मजीत सिंह ने कहा
*”आपकी सरकार एक ऐसे बिंदु पर खड़ी है जहां दो रास्ते हैं एक रास्ता यश की ओर जबकि एक अन्य अपयश की ओर जाता है, अदानी दैत्याकार मशीनों से पहाड़ों को रौंद रहा है, वहीं अडानी जिसका विरोध राहुल गांधी करते हैं”
धर्मजीत सिंह ने सदन को बताया
*”वर्तमान में एक खदान परसा इस्ट/केते बसान चालू है,यह खदान राजस्थान राज्य विद्युत मंडल को आबंटित है और माईनिंग एमडीओ के तहत यह अडानी को हासिल है। इस खदान में 2711 हेक्टेयर भुमि समाहित हो गई है, इस में से 1898 हैक्टेयर घना जंगल है,इसी आबंटित क्षेत्र से अटेम निकलती है जो गेज नदी से मिलती है,और गेज हसदेव से मिलती है।केते एक्सटेंशन में 1760 हैक्टेयर में से 1742 हैक्टेयर घना जंगल है,और दस से ज़्यादा नदी नाले जो हसदेव में मिलते हैं वे सब नष्ट हो जाएँगे, परसा ब्लॉक में 1300 हैक्टेयर में से 800 हैक्टेयर घना जंगल है।”*
धर्मजीत सिंह ने याद दिलाया
*”यूपीए के शासनकाल में जयराम रमेश ने नीति बनाई थी,घने जंगल और नदी के क्षेत्र में कोयला खनन की अनुमति नही दी जाएगी,इस अध्ययन में 25 में से 9 कोल ब्लॉक जहां जंगल अधिक है, उनका अध्ययन हुआ। इन 9 कोल फ़िल्ड के 602 कोल ब्लॉक में से 153 ब्लॉक नो गो डिक्लेयर हुआ, हसदेव अरण्य एकमात्र कोल फ़िल्ड है जो सौ प्रतिशत नो गो एरिया है,मांड रायगढ़ का चालीस फ़ीसदी हिस्सा नो गो घोषित है”*
चर्चा में आगे उन्होंने फिर यह अहम सवाल किया-
*”15 जून 2015 को राहुल गांधी हसदेव अरण्य के ग्राम मदनपुर पहुँचे थे,उस सभा में उदयपुर से लेकर कटघोरा तक सारे अरण्य क्षेत्र के लोग वहाँ पहुँचे थे,उन्हें संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा था कि इस क्षेत्रों कोयला खनन से मुक्त रखेंगे और विस्थापन नहीं होने देंगे, वनों की रक्षा करेंगे,और इसी गाँव मदनपुर में भुमि अधिग्रहण का नोटिस पहुँच गया है गिधमुड़ी और पतुरिया कोल ब्लॉक जिसमें 1750 हैक्टेयर ज़मीन का भुमि अधिग्रहण नोटिस छत्तीसगढ़ पॉवर जनरेशन कंपनी ने दिया है,इस ब्लॉक का एलॉटमेंट 2015 में केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत कंपनी को दिया था लेकिन इसका एमडीओ आपकी सरकार ने अदानी की कंपनी से किया,यह बेहद ही दुखद है। क्षेत्रीय सांसद श्रीमती ज्योत्सना महंत, विधानसभा अध्यक्ष डॉ महंत सहित ग्राम सभाओं से पत्र गए हैं लेकिन सरकार तोहफ़े के रुप में अडानी दे रही है, आपका स्टैंड नज़रिया बदल चुका है, इससे केवल उद्योगपति का भला होगा बाक़ी सब बर्बाद हो जाएगा”*
इस चर्चा के बीच ही मसला उस पत्र का भी उठा जिसे वन विभाग के अवर सचिव के हस्ताक्षर से जारी किया गया था। जिसमें मंत्री टी एस सिंहदेव, विधायक विनय जायसवाल, गुलाब कमरो, मोहित केरकेट्टा और यूडी मिंज के पत्र का हवाला देते हुए लेख किया गया था कि,हाथी प्रोजेक्ट के लिए प्रस्तावित 1995 वर्ग किलोमीटर को 450 करने का ज़िक्र था। जैसे ही इस पत्र का ज़िक्र हुआ, मंत्री सिंहदेव उठे और उन्होंने कहा
“मेरा ज़िक्र आया है तो मैं स्पष्ट कर देता हूँ मैंने ऐसा कोई पत्र नहीं लिखा है, मैंने मंत्री जी को भी अवगत कराया है”*
चर्चा का विषय लाने वाले विधायक धर्मजीत सिंह ने कहा
*”अडानी के समक्ष सरकार लड़खड़ा रही है.. आप उस वक्त विरोध किए थे, आज एमडीयू क्यों.. आपने जनसुनवाई स्थगित की है उसे निरस्त नहीं किया है”
विधायक धर्मजीत सिंह ने क़रीब सवा घंटे की चर्चा में विषय का अंत मैथिलीशरण गुप्त की कविता की इन पंक्तियों से किया –
*संसार में किसका समय है एक सा रहता सदा,*
*हैं निशि दिवा सी घूमती सर्वत्र विपदा-सम्पदा।*
*जो आज एक अनाथ है, नरनाथ कल होता वही;*
*जो आज उत्सव मग्र है, कल शोक से रोता वही*
इसके बाद सरकार की ओर से वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने स्पष्ट किया –
*”राज्य सरकार को खदान आबंटित करने का अधिकार नहीं है,भारत सरकार भौगोलिक सर्वे के आधार पर तय करती है, नहीं दिया जाए यह हम कहें यह हमारा अधिकार है, पर क्रियान्वयन वे कैसे करें ये अधिकार उनका है..1 जुलाई 2020 को केंद्र को पत्र भेजा गया था कि इस इलाक़े को नीलामी में नही रखें”
वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा
*”परसा केते एक्सटेंशन को लेकर पत्र आया कि बायोडायवर्सिटी के अध्ययन के बाद ही दिया जाना है,फिर पत्र आया कि कंपनी का आवेदन आया है बायोडायवर्सिटी का अध्ययन चलता रहेगा खनन का काम करने दें, लेकिन हमने नहीं दिया, बायोडायवर्सिटी हमारे स्तर का काम नही है, फिर भी हमने सम्मति नहीं दी, अडानी के सामने यह सरकार झूकने वाली नहीं है”*
वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने सदन में स्पष्ट कहा
*”जहां तक हाथी रिज़र्व इलाक़े की बात है, तो जनप्रतिनिधियों का पत्र आया था कि क्षेत्रफल किया जाए, उसे मंत्रीमंडल ने नहीं माना, यह क्षेत्रफल 1995 ही रहेगा”*