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कोरबा जिले के बीचों-बीच वो गाँव जो रायगढ़ से जुड़ा है.. 55 किलोमीटर का सफ़र तय कर पहुँचते हैं ब्लॉक मुख्यालय धरमजयगढ..

कोरबा जिले के बीचों-बीच वो गाँव जो रायगढ़ से जुड़ा है.. 55 किलोमीटर का सफ़र तय कर पहुँचते हैं ब्लॉक मुख्यालय धरमजयगढ..
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By NPG News

कोरबा/रायगढ़,24 जून 2020। दो हजार की आबादी से कुछ ज्यादा का एक गाँव त्रिशंकु हो गया है। इस गाँव की चौतरफ़ा सीमा कोरबा जिले में है,लेकिन यह गाँव धरमजयगढ ब्लॉक याने रायगढ़ जिले में आता है। आलम यह है कि जिस ब्लॉक धरमजयगढ से यह गाँव जुड़ा है, उसकी दूरी पचपन किलोमीटर है, जबकि कोरबा ज़िला मुख्यालय से यह गाँव बमुश्किल पैंतीस किलोमीटर है।
ग्राम पंचायत की व्यवस्थाएँ जिनमें ढेरों योजनाएँ हैं वे सब कुछ नियमानुसार ज़िला पंचायत और जनपद पंचायत से जुड़ी होती हैं। धसकामुड़ा गाँव के लिए ज़िला पंचायत का मतलब 130 किलोमीटर का सफ़र है, जिसके बाद वे रायगढ़ पहुँचेंगे।
विसंगतियों की मार देखिये कि,धसकामुड़ा का थाना छाल और धरमजयगढ है, जिनकी दूरी पैंतीस और पचास किलोमीटर है। जबकि इस गाँव के सबसे नज़दीक थाना है करतला जो कि केवल चौदह किलोमीटर दूर है।पर किसी विवाद की स्थिति में वे करतला नही जा सकते क्योंकि करतला थाना कोरबा ज़िले में है।
इस गाँव के किसानों के लिए धान ख़रीदी योजना में भाग लेने का मतलब है तीन हजार रुपए किराया में ट्रेक्टर लेकर कुड़केला पहुँचना। जबकि यदि यह ग्राम पंचायत कोरबा ज़िले में दर्ज होती तो केवल दस किलोमीटर पर रामपुर गाँव है वहाँ पर किसान धान बेच सकते थे।

55 किलोमीटर,147 हादसे और 66 मौतें

ब्लॉक मुख्यालय पहुँचने के लिए जो रास्ता है,उसके बीच है माँड़ नदी.. माँड़ नदी के इस चौड़े पाट को बरसात के मौसम में पार करने की सोचना ख़ुदकुशी है। नतीजतन बारिश के मौसम में ब्लॉक मुख्यालय का सफ़र करीब बीस किलोमीटर और लंबा होता है। जो सड़क ब्लॉक मुख्यालय को इस गाँव से जोड़ती है, वह बेहद बदहाल है। पुलिस रिकॉर्ड में इस सड़क पर बीते दस बरसों में 147 प्रकरण दर्ज हैं, जिनमें 66 की मौत हो चुकी है जबकि 189 गंभीर घायल हुए हैं।
धसका मुड़ा कोरबा ज़िला मुख्यालय से करीब पैंतीस किलोमीटर है, इस गाँव के चारों ओर बिलकुल सटे हुए जो गाँव है वे हैं चारमा,जोगीपाली,टीमन बहुना और लंदरहा। यह चारों गाँव कोरबा ज़िले में है।
ग्रामीणों के लिए सरकारी अधिकारी का मतलब सचिव है जो महिने दो महिने में एक दिन का रुख करता है। सरपंच धनकुंवर के पति सिदार की उम्र करीब 42 साल है, उनकी याद में बीते चालीस साल में केवल तीन SDM वहाँ पहुँचे, कलेक्टर को गाँव में आज तक किसी ने देखा है, यह किसी की याद में नही है।
यह विसंगति क्यों है इसका जवाब किसी के पास नही है, लेकिन परेशानी हर ग्रामीण को है।

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