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Supreme Court News: शिक्षकों को प्रमोशन के साथ ही नौकरी बनाए रखने के लिए TET पास करना जरूरी: सुप्रीम कोर्ट का निर्देश...

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षकों को नौकरी और प्रमोशन के लिए TET पास करना अनिवार्य कर दिया है। पढ़िये सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा है।

Supreme Court News: शिक्षकों को प्रमोशन के साथ ही नौकरी बनाए रखने के लिए TET पास करना जरूरी: सुप्रीम कोर्ट का निर्देश...
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By Radhakishan Sharma

Supreme Court News: दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अब सभी शिक्षकों को अपनी नौकरी बनाए रखने और प्रमोशन पाने के लिए टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (TET) पास करना अनिवार्य कर दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा है। जिन शिक्षकों की सर्विस में 5 साल से अधिक का समय बचा हैं, उन्हें परीक्षा देना ही होगा। जिन शिक्षकों की सेवा अवधि 5 साल से कम है, उन्हें इस नियम से राहत दी गई है।

शिक्षा व्यवस्था और शिक्षकों की गुणवत्ता को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने साफ़ किया है कि अब सभी शिक्षकों के लिए टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट TET पास करना अनिवार्य होगा। यह नियम न केवल नियुक्ति बल्कि नौकरी में बने रहने और प्रमोशन पाने पर भी लागू रहेगा।

जस्टिस दीपांकर दत्त और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की डिविज़न बेंच ने कहा कि जिन शिक्षकों की सेवा अवधि 5 साल से अधिक शेष है, उन्हें हर हाल में TET क्वालिफाई करना होगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो उन्हें इस्तीफा देना होगा या फिर कंपल्सरी रिटायरमेंट VRS लेना होगा। जिन शिक्षकों की सेवा अवधि सिर्फ 5 साल या उससे कम बची है, उन्हें इससे छूट दी गई है।

TET की अनिवार्यता कब से?
नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन NCTE ने वर्ष 2010 में ही यह नियम तय किया था कि कक्षा 1 से 8 तक पढ़ाने वाले शिक्षकों की नियुक्ति केवल उन्हीं में से की जाएगी जिन्होंने TET परीक्षा पास की हो। इसका उद्देश्य शिक्षकों की गुणवत्ता और छात्रों को बेहतर शिक्षा सुनिश्चित करना था।लेकिन बड़ी संख्या में पुराने शिक्षक इस नियम से बाहर थे, जिससे अक्सर विवाद खड़ा होता रहा। अब सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद मामला पूरी तरह स्पष्ट हो गया है।


सुप्रीम कोर्ट ने यह भी माना कि सवाल यह है कि क्या राज्य सरकारें अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ाने वाले शिक्षकों पर भी TET अनिवार्य कर सकती हैं? और अगर हां, तो क्या यह उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन होगा? इस पर अभी अंतिम फैसला नहीं हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे को बड़ी बेंच के पास रेफर कर दिया है, जहां इस पर विस्तार से सुनवाई होगी।

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