JNU News: JNU में बवाल! देर रात ABVP और वामपंथी छात्रों के बीच हुई मारपीट, चले लाठी - डंडे, कई घायल
JNU News: दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में देर रात बवाल हो गया. देर रात जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कैम्पस में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और वाम समर्थित छात्र समूहों के बीच झड़प हो गई.
JNU News: दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में देर रात बवाल हो गया. देर रात जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कैम्पस में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और वाम समर्थित छात्र समूहों के बीच झड़प हो गई. जिसमें 3 लोगों के घायल हो गए. बताया जा रहा है यह मारपीट स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज में चुनाव समिति के सदस्यों के चयन को लेकर हुआ था.
जानकारी के मुताबिक, गुरुवार 29 फरवरी की रात जेएनयू कैंपस के अंदर स्कूल ऑफ लैंग्वेज में जनरल बॉडी की मीटिंग चल रही थी. यह मींटिंग चुनाव समिति के सदस्यों के चयन को लेकर रखी गयी थी. इसी दौरान किसी बात को लेकर दोनों पक्षों अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) और वामपंथी छात्र संगठनों में मारपीट शुरू हो गयी. जिसकी वीडियो सोशल मिडिया पर वायरल हो गयी. वीडियो में देखा जा सकता है. दोनों पक्षों किस तरह खुनी झड़प हुई. इस दौरान कई छात्र एक दूसरे पर डंडे बरसाते नजर आए. एक व्यक्ति छात्रों को छड़ी से पीटता हैं. तो वहीँ कोई छात्रों पर साइकिल फेंकता नजर आ रहा है. एक वीडियो में ABVP के सेक्रेट्री कन्हैया लाठी से हमले करने की बात सामने आयी है.
इस घटना में 3 लोगों के घायल होने की जानकारी मिली है. घायल छात्रों को सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया है. इस मामले में दोनों पक्षों ने शिकायत दर्ज कराई है. दिल्ली पुलिस फिलाहल इस मामले की जांच कर रही है और जल्द ही उनपर कार्रवाई की जायेगी.
वहीँ एक बयान में कहा गया है, "इस समूह ने बैचलर और मास्टर के छात्रों पर भाषा, साहित्य और सांस्कृतिक अध्ययन स्कूल के पास हमला किया। कथित तौर पर घोष और उनके साथियों से जुड़े हमलावरों ने मानव सुरक्षा और गरिमा के प्रति भयावह उपेक्षा का प्रदर्शन करते हुए छात्रों के खिलाफ हिंसा को अंजाम दिया। यहां तक की दिव्यांग छात्रों को भी नहीं बख्शा गया है। भाषा, साहित्य और सांस्कृतिक अध्ययन स्कूल के छात्रों पर हमला शिक्षा, सहिष्णुता और मानवीय शालीनता के सिद्धांतों का गंभीर उल्लंघन है। जेएनयू समुदाय इस निंदनीय कृत्य के परिणामों से जूझ रहा है, इसलिए यह जरूरी है कि न्याय दिया जाए और अकादमिक समुदाय के सभी सदस्यों के कल्याण की रक्षा के लिए उपाय लागू किए जाएं।"