Government Land Digital Records : सरकारी जमीनों पर अब नहीं चलेगा भू-माफियाओं का राज : संपत्तियों का रखा जाएगा डिजिटल रिकॉर्ड, एक क्लिक पर खुलेगा पूरा हिसाब-किताब
Government Land Digital Records : राजधानी दिल्ली में सरकारी जमीनों और संपत्तियों की सुरक्षा को लेकर रेखा सरकार ने अब तक का सबसे बड़ा और सख्त कदम उठाया है।

Government Land Digital Records : सरकारी जमीनों पर अब नहीं चलेगा भू-माफियाओं का राज : संपत्तियों का रखा जाएगा डिजिटल रिकॉर्ड, एक क्लिक पर खुलेगा पूरा हिसाब-किताब
Government Land Digital Records : नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली में सरकारी जमीनों और संपत्तियों की सुरक्षा को लेकर रेखा सरकार ने अब तक का सबसे बड़ा और सख्त कदम उठाया है। दिल्ली की बेशकीमती जमीनों को भू-माफियाओं और अवैध कब्जों से बचाने के लिए सरकार ने डिजिटल घेराबंदी की तैयारी कर ली है। अब दिल्ली सरकार के हर एक विभाग की संपत्ति, चाहे वह खाली जमीन हो या कोई पुरानी इमारत, उसका पूरा कच्चा-चिट्ठा एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर दर्ज होगा। सरकार की इस पहल का मुख्य उद्देश्य दिल्ली में पारदर्शी प्रशासन और सरकारी संसाधनों का सही उपयोग सुनिश्चित करना है।
Government Land Digital Records : क्या है DAMIS और यह कैसे काम करेगा? मुख्यमंत्री रेखा के नेतृत्व में इस पूरी योजना के केंद्र में DAMIS (Delhi Asset Management Information System) नाम का एक सेंट्रलाइज्ड ऑनलाइन प्लेटफॉर्म रखा गया है। इसे सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के तहत 'जियोस्पेशियल दिल्ली लिमिटेड' ने विशेष रूप से विकसित किया है। यह कोई साधारण वेबसाइट नहीं है, बल्कि एक ऐसा डिजिटल नक्शा है जहाँ हर सरकारी संपत्ति की जियो-टैगिंग की जाएगी।
Government Land Digital Records : DAMIS के जरिए संबंधित विभाग अपनी संपत्तियों की सटीक लोकेशन, उनका क्षेत्रफल (Area), मालिकाना हक के दस्तावेज और वर्तमान में उस संपत्ति का क्या इस्तेमाल हो रहा है, इसकी पूरी जानकारी अपलोड करेंगे। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि भविष्य में कोई भी बाहरी व्यक्ति या भू-माफिया सरकारी जमीन पर दावा नहीं ठोक पाएगा, क्योंकि सरकार के पास उसका डिजिटल और पुख्ता सबूत मौजूद होगा।
अवैध कब्जों पर लगेगी लगाम, विभागों को सख्त निर्देश
राजधानी में अक्सर यह देखा गया है कि सरकारी विभागों के पास अपनी ही जमीनों का सटीक रिकॉर्ड नहीं होता, जिसका फायदा उठाकर लोग उन पर झुग्गियां बना लेते हैं या अवैध निर्माण कर लेते हैं। अधिकारियों का कहना है कि एक बार जब सभी संपत्तियों का डिजिटल हिसाब तैयार हो जाएगा, तो उनकी निगरानी करना बेहद आसान होगा। यदि किसी जमीन पर अतिक्रमण की कोशिश होती है, तो सिस्टम के जरिए तुरंत उसका पता लगाया जा सकेगा और समय रहते कार्रवाई की जा सकेगी।
इस बार सरकार का रुख बेहद सख्त है। इससे पहले भी दिल्ली स्टेट इंडस्ट्रियल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (DSIIDC) ने डेटा मांगा था, लेकिन कई विभागों ने इसमें लापरवाही बरती थी। अब मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई हालिया बैठक में सभी विभागों को कड़ी चेतावनी दी गई है। हर विभाग के 'डिविजनल हेड' को नोडल अधिकारी बनाया गया है, जिनकी जिम्मेदारी होगी कि वे तय समय के भीतर अपने विभाग की हर छोटी-बड़ी संपत्ति की जानकारी पोर्टल पर दर्ज करें।
पारदर्शिता और बेहतर प्लानिंग में मिलेगी मदद
इस पहल का एक और महत्वपूर्ण पहलू राजधानी का विकास है। अक्सर सरकार को नए स्कूल, अस्पताल या पार्क बनाने के लिए जमीन की तलाश करनी पड़ती है। अभी तक अलग-अलग विभागों के पास चक्कर काटने पड़ते थे कि कहाँ जमीन खाली है। लेकिन DAMIS पोर्टल के आने के बाद मुख्यमंत्री रेखा या मुख्य सचिव एक क्लिक पर देख सकेंगे कि दिल्ली के किस इलाके में कितनी सरकारी जमीन खाली पड़ी है और उसका उपयोग जनहित में कैसे किया जा सकता है।
10 नवंबर को इस सिस्टम के लिए विशेष ट्रेनिंग सत्र भी आयोजित किया गया था, जिसमें अधिकारियों को यूजर आईडी और पासवर्ड दिए गए। अब सरकार का पूरा ध्यान एक सटीक 'एकीकृत डेटाबेस' तैयार करने पर है। वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक, यह डिजिटल इन्वेंट्री न केवल नीति निर्माण में मदद करेगी बल्कि सरकारी खजाने को होने वाले नुकसान को भी रोकेगी।
जवाबदेही की ओर बढ़ता कदम
रेखा सरकार की यह पहल राजधानी में गुड गवर्नेंस की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है। सरकारी संपत्तियों का डिजिटल हिसाब रखने से न केवल विवादों में कमी आएगी, बल्कि अधिकारियों की जवाबदेही भी तय होगी। अगर किसी विभाग की संपत्ति पर अवैध कब्जा पाया जाता है, तो अब संबंधित नोडल अधिकारी से सवाल पूछे जा सकेंगे। कुल मिलाकर, दिल्ली अब अपनी जमीनों की सुरक्षा के लिए पूरी तरह से हाई-टेक होने जा रही है।
