Delhi Air Pollution: प्रदूषण के टूटे सारे रिकॉर्ड, खतरनाक स्तर से 100 गुणा ज्यादा 'जहरीली हुई हवा'
Delhi Air Pollution: दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता शनिवार को भी 'गंभीर' श्रेणी में बनी रही। हालांकि कुछ स्टेशनों पर वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में थोड़ा सुधार दिखाई दिया, मगर यह अभी भी 'गंभीर' श्रेणी में बनी हुई है।
Delhi Air Pollution: दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता शनिवार को भी 'गंभीर' श्रेणी में बनी रही। हालांकि कुछ स्टेशनों पर वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में थोड़ा सुधार दिखाई दिया, मगर यह अभी भी 'गंभीर' श्रेणी में बनी हुई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी के आनंद विहार में एक्यूआई पीएम 10 और पीएम 2.5 500 के साथ 'गंभीर' श्रेणी में रहा। एनओ2 95 और सीओ 102 'मध्यम' श्रेणी में दर्ज किया गया।
बवाना में पीएम 2.5 'गंभीर' श्रेणी में 500 तक पहुंच गया। जबकि पीएम 10 भी 472 की गंभीर स्थिति मेंहै।सीओ 95 और एनओ2, 50 पर दर्ज किया गया, दोनों ही 'संतोषजनक' स्तर पर थे। दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी (डीटीयू) के स्टेशन पर पीएम 10 476 ('गंभीर') दर्ज किया गया, जबकि पीएम 2.5 372 ('बहुत खराब') और सीओ 105 पर था, जबकि एनओ2 102 पर था,दोनों मध्यम श्रेणी में थे।
आईजीआई हवाईअड्डे क्षेत्र में हवा की गुणवत्ता पीएम 2.5 484 और पीएम 10 439 के साथ 'गंभीर' श्रेणी में थी, जबकि सीओ 102 ('मध्यम') और एनओ2 43 ('संतोषजनक') तक पहुंच गया। आईटीओ पर पीएम 2.5 428 दर्ज किया गया, जो इसे 'गंभीर' श्रेणी में रखता है, जबकि पीएम 10 325 तक पहुंच गया, जो इसे 'गंभीर' श्रेणी में रखता है। शनिवार को एनओ2 119 ('मध्यम') और सीओ 95 ('संतोषजनक') दर्ज किया गया। लोधी रोड पर पीएम 2.5 सांद्रता के साथ एक्यूआई 'गंभीर' श्रेणी के तहत 416 पर था, जबकि पीएम 10 407 ('गंभीर') और सीओ 123 पर था।
एशियन हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट और हेड - ईएनटी डॉ. स्वप्निल ब्रजपुरिया ने कहा,"बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण हमें मुख्य रूप से एलर्जी और सांस संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। एलर्जी संबंधी समस्याएं जैसे आंखों से पानी आना, शरीर में दर्द महसूस होना, आंखों में भारीपन, प्राकृतिक डिस्चार्ज, मानसिक भ्रम, चक्कर आना, हल्का सिरदर्द, चिड़चिड़ापन और काम में रुचि न होना शामिल है।''
उन्होंने कहा, "अस्थमा ब्रोंकाइटिस वायु प्रदूषण में वृद्धि के साथ बढ़ रहे हैं। वे सक्रिय हो सकते हैं और संक्रमण और बुखार का कारण भी बन सकते हैं। वायु प्रदूषण बढ़ने से ओपीडी मरीजों और अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या बढ़ रही है।''