Mobile Addiction: मोबाइल की लत ने ली 15 साल के मासूम की जान! फांसी लगाकर की खुदकुशी, वजह जान कर उड़ जायेंगे होश
Mobile Addiction: दिल्ली के आदर्श नगर इलाके से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। यहां 15 साल के एक नाबालिग लड़के ने मोबाइल फोन की लत के चलते आत्महत्या कर ली।

Delhi Shocking Case: नई दिल्ली। दिल्ली के आदर्श नगर इलाके से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। यहां 15 साल के एक नाबालिग लड़के ने मोबाइल फोन की लत के चलते आत्महत्या कर ली। लड़का घर का इकलौता बेटा था। घटना तब हुई जब उसका छोटी बहन से मोबाइल पर गेम खेलने को लेकर झगड़ा हो गया। गुस्से में आकर लड़के ने फांसी लगा ली। परिवार ने जब बेटे को लटकता देखा तो तुरंत नीचे उतारा और अस्पताल ले गए, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
सदमे में परिवार
घरवालों को अभी तक विश्वास नहीं हो रहा कि इतनी मामूली सी बात पर उनका बेटा परिवार छोड़ गया। पड़ोसियों ने मीडिया को बताया कि लड़का पढ़ाई में ठीक था और परिवार ने उसे हर सुख-सुविधा देने की कोशिश की थी। मां रोते हुए कहती हैं, हमें समझ नहीं आ रहा हमने क्या कमी छोड़ी थी। इतना लाड़-प्यार दिया, लेकिन एक मोबाइल की वजह से मेरा लाडला चला गया।
मोबाइल की लत पर आंकड़े चौंकाने वाले
ये घटना सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं बल्कि भारत में बढ़ती मोबाइल की लत का आईना है। बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (BCG) की एक रिपोर्ट के अनुसार...
84% स्मार्टफोन यूज़र जागने के 15 मिनट के भीतर फोन चेक करते हैं।
औसतन 4.9 घंटे प्रतिदिन मोबाइल पर बिताए जाते हैं, जबकि 2010 में ये समय सिर्फ 2 घंटे था।
एक व्यक्ति दिन में करीब 80 बार फोन चेक करता है।
50% समय स्ट्रीमिंग कंटेंट (YouTube, OTT, reels) पर जाता है।
18-24 आयु वर्ग सबसे ज्यादा समय इंस्टाग्राम रील्स और यूट्यूब शॉर्ट्स पर बिताता है।
ग्रामीण भारत में इंटरनेट यूज़र्स की संख्या 352 मिलियन है – जो शहरों से 20% ज्यादा है।
मदद कहाँ मिलेगी?
अगर आप या आपका कोई परिचित मानसिक तनाव से जूझ रहा है, तो मदद लेने से हिचकिचाइए मत।
वंद्रेवाला फाउंडेशन फॉर मेंटल हेल्थ: 9999666555 या [email protected]
TISS iCall: 022-25521111 (सोम-शनि, सुबह 8:00 से रात 10:00 तक)
यह घटना सिर्फ एक परिवार की निजी नुकसान नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए चेतावनी है। मोबाइल की लत बच्चों और युवाओं की जिंदगी छीन रही है। जरूरत है कि परिवार, स्कूल और समाज मिलकर टेक्नोलॉजी के सही इस्तेमाल की शिक्षा दें और मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें।
