CJI Air Pollution Remarks : सुप्रीम कोर्ट का गंभीर अवलोकन : CJI बोले - अमीरों के कर्मों की कीमत गरीब चुका रहें, जानें उन्होंने ऐसा क्यों कहां
दिल्ली-NCR में गंभीर वायु प्रदूषण के मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत ने एक अत्यंत महत्वपूर्ण और संवेदनशील टिप्पणी की है।

CJI Air Pollution Remarks : सुप्रीम कोर्ट का गंभीर अवलोकन : CJI बोले - अमीरों के कर्मों की कीमत गरीब चुका रहें, जानें उन्होंने ऐसा क्यों कहां
CJI Air Pollution Remarks : नई दिल्ली : दिल्ली-NCR में गंभीर वायु प्रदूषण के मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत ने एक अत्यंत महत्वपूर्ण और संवेदनशील टिप्पणी की है। उन्होंने सीधे तौर पर कहा कि वायु प्रदूषण की समस्या मुख्य रूप से अमीर वर्ग की जीवनशैली से पैदा होती है, जबकि इसका सबसे बुरा और गंभीर खामियाजा गरीब मजदूर वर्ग को भुगतना पड़ता है।
CJI Air Pollution Remarks : प्रदूषण पर पर्यावरणीय न्याय का मुद्दा
मामले को मेंशन किए जाने के बाद CJI ने साफ शब्दों में कहा, हम जानते हैं कि अमीर वर्ग अपनी जीवनशैली बदलने को तैयार नहीं है—जैसे कि कारों का अत्यधिक उपयोग, एसी का इस्तेमाल—जिससे प्रदूषण होता है। लेकिन इसकी कीमत गरीब मजदूरों को चुकानी पड़ रही है। यह पर्यावरणीय न्याय का एक बड़ा मुद्दा है।
CJI Air Pollution Remarks : मुख्य न्यायाधीश ने इस बात पर जोर दिया कि वायु प्रदूषण का सबसे अधिक बुरा प्रभाव उन गरीब मजदूर वर्ग पर पड़ता है, जो खुले में काम करने को मजबूर हैं और महंगे एयर प्यूरीफायर या उच्च गुणवत्ता वाले N95 मास्क जैसे सुरक्षा उपकरण खरीदने में असमर्थ हैं।
सरकारी निर्देशों का पालन न होना चिंताजनक
एमिकस क्यूरी (न्याय मित्र) अपराजिता सिन्हा ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकारें तब तक कोर्ट के निर्देशों का पूरी तरह से पालन नहीं करतीं, जब तक कि कोर्ट सख्ती से उन्हें लागू करने का आदेश न दे। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि प्रदूषण के उच्च स्तर के बावजूद कुछ स्कूलों ने अपने खेल कार्यक्रम जारी रखे, जिससे स्पष्ट होता है कि निर्देश मौजूद हैं, लेकिन उन्हें जमीन पर मजबूती से लागू नहीं किया जा रहा है।
इसके जवाब में CJI सूर्यकांत ने चिंता जताते हुए कहा कि समस्या को जानते हुए, हमें ऐसे आदेश पारित करने होंगे जिनका पालन किया जा सके। उन्होंने माना कि लाखों लोगों की जीवनशैली और आजीविका को पूरी तरह नजरअंदाज करके आदेश नहीं दिए जा सकते।
सिर्फ प्रभावी आदेश ही पारित करेंगे
मुख्य न्यायाधीश ने एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाते हुए कहा कि कोर्ट सिर्फ प्रभावी आदेश ही पारित करेगा, क्योंकि कुछ निर्देश ऐसे होते हैं जिन्हें जबरदस्ती लागू करना संभव नहीं होता। उन्होंने तर्क दिया कि वाहन चलाना बंद करना या सभी निर्माण कार्यों को पूरी तरह रोकना जैसे निर्णय लाखों लोगों की आजीविका को प्रभावित कर सकते हैं और ये व्यावहारिक नहीं हो सकते।
CJI ने सभी पक्षकारों को निर्देश दिया कि वे अपने सुझाव सीधे प्रेस या मीडिया को देने के बजाय पहले नियुक्त किए गए एमिकस क्यूरी को भेजें, ताकि सुनवाई में अनावश्यक व्यवधान न हो।
यह गंभीर मामला अब बुधवार को तीन न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष आएगा, जिसमें पर्यावरणीय न्याय के इस महत्वपूर्ण पहलू पर आगे की सुनवाई और प्रभावी दिशा-निर्देशों पर विचार किया जाएगा।
