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एक और हाथी की करेंट से मौत : धरमजयगढ़ बना हाथियों का मौतगढ़…करंट से आधे से ज्यादा मौत सिर्फ उसी इलाके में….सिंघवी का आरोप वन विभाग और बिजली कंपनी में मिलीभगत से हो रही है मूक जानवरों की मौतें

एक और हाथी की करेंट से मौत : धरमजयगढ़ बना हाथियों का मौतगढ़…करंट से आधे से ज्यादा मौत सिर्फ उसी इलाके में….सिंघवी का आरोप वन विभाग और बिजली कंपनी में मिलीभगत से हो रही है मूक जानवरों की मौतें
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By NPG News

रायपुर 23 सितंबर 2020। कल रात धरमजयगढ़ के मेंढ़रमार गांव में बोर के लिए खींचे गए नंगे तार की चपेट में आने से हुई नर हाथी की मौत पर दुख व्यक्त करते हुए रायपुर निवासी नितिन सिंघवी ने वन विभाग और बिजली कंपनी के अधिकारियों पर आरोप लगाया कि इन दोनों विभागों की मिलीभगत के कारण विलुप्ति के कगार पर खड़े मूक प्राणी हाथियों की मौतें हो रही है।

मौतगढ़ बना धरमजयगढ़

छत्तीसगढ़ निर्माण के पश्चात बिजली करंट से प्रदेश में 46 हाथियों की मौतें हुई है इनमें से 24 मौतें सिर्फ धर्मजयगढ़ में हुई है अर्थात बिजली से मरने वाले हाथियों में 52% अकेले धरमजयगढ़ में मरे हैं। छत्तीसगढ़ में अभी तक कुल 163 हाथियों की मौतें हुई है जिसमें से 46 हाथी बिजली करंट से मरे हैं।

हाईकोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ा रहे हैं विभाग

नितिन सिंघवी द्वारा दायर की गई एक जनहित याचिका में 12 मार्च 2019 को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने आदेश जारी कर कहा था कि “आंकड़े बताते हैं कि धरमजयगढ़ में बिजली करंट से सबसे ज्यादा मौतें हो रही हैं इसलिए वन विभाग के अधिकारी, राज्य शासन के अधिकारी और बिजली कंपनी के अधिकारी फोकस करेंगे कि धर्मजयगढ़ में अब एक भी हाथी की मौत बिजली करंट से नहीं हो।” सिंघवी ने आरोप लगाया कि एक भी अधिकारी हाईकोर्ट के आदेश का पालन करने में तत्पर नहीं रहा और धरमजयगढ़ में हाथियों की मौत बिजली करंट से लगातार हो रही है, यह उच्च न्यायलय के आदेशों की अवमानना है।

कैसे करते हैं मामले का वन विभाग वाले रफा-दफा… शिकायत करने पर मुख्यालय वाले कोई कार्यवाही नहीं करते

एक प्रकरण का खुलासा करते हुए सिंघवी ने बताया कि धर्मजयगढ़ की छाल रेंज में 6 जून 2016 को एक मादा हथनी की मौत हो गई। इसके बाद वहां के वन परिक्षेत्र अधिकारी ने कनिष्ठ यंत्री विद्युत वितरण कंपनी एडु (चंद्रसेखरपुर) और सहायक यंत्री विधुत वितरण कंपनी खरसिया को नोटिस दिया की विधुत तारों के सुधार कार्य के लिए उसके पूर्व उनके द्वारा पांच पत्र लिखे जा चुके हैं। और 6 जून 2016 को 11000 वोल्टेज हाई टेंशन लाइन की चपेट में आने से मादा हथनी की मौका स्थल पर मृत्यु हो गई है ।
घटनास्थल पर विधुत लाइन के तीन तारों में से एक तार टूट कर जमीन पर गिरा और मृत हथिनी के शरीर से लगा था जिसमें प्रभावित विद्युतीकरण के कारण मादा हथनी की मौत हुई तथा उस क्षेत्र में जमीनों पर घास भी जले मिले।

विद्युत लाइन खंबे में लगे 2 तारों की ऊंचाई घटनास्थल पर जमीन सतह से 3 मीटर की थी। यह जाहिर है कि जिस तार की चपेट से मादा हथनी की मृत्यु हुई वह तार भी कम ऊंचाई पर था इसलिए बिजली कंपनी के अधिकारियों पर वन प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 भारतीय दंड संहिता तथा विभिन्न अधिनियम के तहत क्यों ना कार्यवाही की जाए?

मामले को रफा-दफा करने के लिए, कुछ दिनों बाद उप-वनमंडलअधिकारी ने वन मंडलअधिकारी धर्मजयगढ़ को पत्र लिखा की बिजली कंपनी वालों ने ग्रामीणों और सरपंच के साथ घटनास्थल का मुआयना किया। हथिनी के सूंड में फंसी पत्तियों को देखकर ग्रामीणों ने कहा कि संभवत हथिनी ने समीपस्थ वृक्ष की पत्तियों को तोड़ने के लिए अपनी सूंड ऊपर उठाई होगी. जिससे सूंड का संपर्क 11kv लाइनों के तार से हो गया होगा। अन्यथा सामान्य तौर पर लाइनों की ऊंचाई पर्याप्त थी। ग्रामवासियों और सरपंच ने बताया कि हथिनी द्वारा विद्युत खंभे से छेड़छाड़ की गई है। उप वनमंडलअधिकारी ने वन मंडलाधिकारी को लिखा कि यह एक दुर्घटना प्रतीत होती है। इस प्रकार बिना जाँच किये बिजली कंपनी, ग्रामवासियों और सरपंच के बयानों के आधार पर मामला रफा-दफा कर दिया गया जब कि खुद वन विभाग ने उस इलाके में बिजली तारों को ऊँचा करने के लिए कई पत्र लिख रखे थे। सिंघवी ने बताया कि इस प्रकरण की मुख्यालय में शिकायत करने के बाद भी मुख्यालय के अधिकारियों द्वारा कोई जांच भी नहीं की गई है।

जाँच प्रभावित कर देंगे कह कर सूचना का अधिकार के तहत जानकारी भी नहीं देते धरमजयगढ़ के वन मंडलाधिकारी

सिंघवी ने बताया कि 6 जून 2016 को जो मादा हथनी मरी थी, उसके संबंध में जारी नोटिस के जवाब मैं प्राप्त उत्तर की प्रतियाँ उन्होंने मांगी थी। तब के तत्कालीन डीएफओ ने यह कहकर सूचना नहीं दी कि आपको जानकारी दे देंगे तो आप अपराधियों को पकड़ने और अभियोजन की प्रक्रिया में अड़चन डाल सकते हैं। सिंघवी ने वन विभाग के अधिकारियों की इस शर्मनाक सोच को दुर्भाग्य पूर्ण बताते हुए कहा कि अगर उस वक्त वो जवाब की प्रति दी देते तो बिजली कंपनी के अधिकारियों को बचा नहीं पाते। इससे स्पष्ट होता है कि वन विभाग के अधिकारी बिजली कंपनियों के अधिकारियों को बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं.

डीएफओ धर्मजयगढ़ को यह भी नहीं मालूम कि हाथियों के मृत्यु के प्रकरण में क्या क्या कार्यवाही की गई है? सिंघवी ने बताया कि वन विभाग के मुख्यालय ने डीएफओ धरमजयगढ़ से पूछा गया कि उनके क्षेत्र में विधुत करंट से मरे हाथियों के प्रकरण में क्या-क्या कार्रवाईया की गई हैं? तो जवाब में डीएफओ ने बताया कि 18 जून 2020 तक 23 हाथियों की मौत हुई है जिसमें से 11 मौतों के मामले में वह परिक्षेत्र अधिकारी से जानकारी ले करके बताएंगे. सिंघवी ने कहा कि वन विभाग के अधिकारी हाथियों की मौत को लेकर के चिंतित ही नहीं है और उन्हें पता ही नहीं कि हाथियों की मौत बिजली करंट से होने के बाद में दोषियों के विरुद्ध क्या कार्यवाही की गई।

सिंघवी ने मांग की है कि हाथी विचरण इलाके के वनग्रामो में बोर और खेतों में जा रहे तारों को वन विभाग चिन्हित करे और सभी तारों को कवर्ड कंडक्टर के बदलने के लिए बिजली कंपनी को दे. बिजली कंपनी अपने वित्तीय संसाधनों से कवर्ड कंडक्टर लगाए और वन क्षेत्रों में बिजली तारों की ऊंचाई बढ़ाएं।

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