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POCSO ACT 2012: बच्चों के खिलाफ यौन अपराध पर कड़ी सजा, दोषी को हो सकती है उम्रकैद तक, जानें इस कानून के बारे में पूरी जानकारी

आज देश में बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। इसके लिए 2012 में सरकार POCSO एक्ट लेकर आई थी। आज हम आपको इस एक्ट के बारे में बताएंगे, साथ ही बताएंगे कि इसके तहत कौन-कौन से अपराध शामिल हैं और दोषियों के लिए सजा का क्या प्रावधान है?

POCSO ACT 2012: बच्चों के खिलाफ यौन अपराध पर कड़ी सजा, दोषी को हो सकती है उम्रकैद तक, जानें इस कानून के बारे में पूरी जानकारी
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By Pragya Prasad

रायपुर। POCSO एक्ट यानी Protection of Children from Sexual Offences Act बच्चों के खिलाफ अपराध से उनकी सुरक्षा और दोषी को सजा देने के लिए है। बच्चों के यौन उत्पीड़न के लिए दोषी पाए जाने पर कड़ी सजा का प्रावदान किया गया है। हिंदी में इसे बाल यौन अपराध संरक्षण अधिनियम कहा जाता है। इस कानून को 14 नवंबर 2012 में लाया गया था। इसे साल 1992 में बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के भारत के अनुसमर्थन के परिणाम में अधिनियमित किया गया था।

जिनकी भी उम्र 18 साल से कम है, अपराधों से उनके संरक्षण के लिए पॉक्सो एक्ट लाया गया था। बच्चों के यौन शोषण के मामलों में मृत्युदंड समेत अधिक कठोर सजा का प्रावधान करने के लिए साल 2019 में अधिनियम की समीक्षा की गई और इसमें जरूरी संशोधन किया गया। भारत सरकार ने POCSO नियम, 2020 को भी अधिसूचित कर दिया है।


पॉक्सो एक्ट में दोषी को 20 साल की जेल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। साथ ही जुर्माना भी देना पड़ सकता है। रेयर ऑफ द रेयरेस्ट मामलों में मौत की सजा का भी प्रावधान है। ये एक्ट बच्चों और नाबालिगों के साथ यौन शोषण पर अंकुश लगाने के साथ ही बच्चों को यौन शोषण, और पोर्नोग्राफी के खिलाफ बचाव भी करता है।

इन अपराधों के लिए इतने साल की सजा का प्रावधान

  • बच्चे का इस्तेमाल पोर्नोग्राफी के लिए करने पर 5 साल की सजा और जुर्माना।
  • बच्चे का इस्तेमाल पोर्नोग्राफी के लिए करते हुए दूसरी बार पकड़े जाने पर 7 साल की सजा और जुर्माना।
  • बच्चे की अश्लील तस्वीर को कलेक्ट करने या उसे किसी के साथ शेयर करने पर दोषी को 3 साल जेल की सजा, जुर्माना या दोनों।
  • 16 साल से कम उम्र के बच्चे के साथ पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट का दोषी पाए जाने पर 20 साल की जेल से लेकर उम्रकैद।
  • यौन अपराध के चलते अगर नाबालिग की मौत हो जाती है, तो दोषी को मौत की सजा तक दी जा सकती है।

नाबालिग लड़कों को भी इस कानून में सुरक्षा का प्रावधान

बच्चों के साथ अपराध करने पर महिला और पुरुष दोनों पर POCSO एक्ट के तहत केस चलता है। दोषी पाए जाने पर महिला और पुरुष की सजा में कोई अंतर नहीं है। वहीं पीड़ित भी नाबालिग लड़का और लड़की कोई भी हो सकता है। लड़कियों के साथ-साथ लड़कों को भी इस कानून के तहत सुरक्षा दी गई है। चूंकि नाबालिग लड़के और लड़कियां दोनों ही यौन शोषण के शिकार हो सकते हैं, इसलिए कानून में लिंग भेद नहीं किया गया है।

POCSO एक्ट 2020

  • POCSO एक्ट का नियम-9 विशेष अदालत को FIR दर्ज होने के बाद बच्चे के लिए राहत या पुनर्वास से संबंधित जरूरतों के लिए अंतरिम मुआवजे का आदेश देने की अनुमति देता है।
  • बाल कल्याण समिति (CWC) जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण (DLSA), जिला बाल संरक्षण इकाई (DCPU) या फंड का इस्तेमाल कर भोजन, कपड़े और परिवहन जैसी आवश्यक जरूरतों के लिए तत्काल भुगतान की सिफारिश कर सकती है। इसे किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के अंतर्गत बनाए रखा गया।
  • भुगतान CWC की अनुशंसा मिलने के एक हफ्ते के अंदर होना चाहिए।
  • न्याय विभाग ने अक्तूबर 2019 में देश भर में कुल 1023 फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (389 विशिष्ट POCSO अदालतों सहित) की स्थापना के लिए एक केंद्र प्रायोजित योजना प्रारंभ की है।
  • 31 मई, 2023 तक देश भर के 29 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में 412 विशिष्ट POCSO (e-POCSO) न्यायालयों सहित कुल 758 FTSCs कार्यरत हैं।

लगातार बढ़ रहे हैं पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज होने वाले मामले

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के मुताबिक, पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज होने वाले मामलों की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है। रिपोर्ट में 2021 में पॉक्सो एक्ट के तहत देशभर में करीब 54 हजार मामले दर्ज किए गए थे। वहीं साल 2020 में 47 हजार मामले दर्ज हुए थे। 2017 से 2021 के बीच 5 साल में ही पॉक्सो एक्ट के तहत 2.20 लाख से ज्यादा मामले दर्ज हुए।

इन बातों को माना गया है अपराध

POCSO ACT में रेप, यौन शोषण के साथ ही पोर्नोग्राफी को शामिल किया गया है। बच्चों और नाबालिगों के साथ अश्लील हरकत करना, उनके प्राइवेट पार्ट्स को छूना या अपने प्राइवेट पार्ट को टच करवाना, बच्चों को अश्लील फिल्म या पोर्नोग्राफिक कंटेंट दिखाना अपराध की श्रेणी में आता है। पॉक्सो एक्ट में गिरफ्तारी का ही नियम है और जमानत का कोई प्रावधान नहीं है।

Pragya Prasad

पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करने का लंबा अनुभव। दूरदर्शन मध्यप्रदेश, ईटीवी न्यूज चैनल, जी 24 घंटे छत्तीसगढ़, आईबीसी 24, न्यूज 24/लल्लूराम डॉट कॉम, ईटीवी भारत, दैनिक भास्कर जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में काम करने के बाद अब नया सफर NPG के साथ।

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