Crime News: CG मौत की झूठी गवाही: 500 से एक हजार रुपय में बिक गए नई, धोबी और दर्जी से लेकर पड़ोसी तक, जानिये.. क्या है मामला
Crime News: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर निवासी मास्टर माइंड चाचा-भतीजा ने दो भतीजों की मौत की झूठी गवाही देने के लिए गवाह भी तैयार कर लिया था। पड़ोसी से लेकर मोहल्ले में रहने वाले कुछ प्रमुख लोगों के अलावा नाई,दर्जी और धोबी को भी सेट कर लिया था। इसके लिए प्रति व्यक्ति 500 से एक हजार खर्च भी किया था। पुलिस पैसे लेकर मौत की फर्जी गवाही देने वालों की खोजबीन में जुट गई है।
Crime News: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर निवासी मास्टर माइंड चाचा-भतीजा ने दो भतीजों की मौत की झूठी गवाही देने के लिए गवाह भी तैयार कर लिया था। पड़ोसी से लेकर मोहल्ले में रहने वाले कुछ प्रमुख लोगों के अलावा नाई,दर्जी और धोबी को भी सेट कर लिया था। इसके लिए प्रति व्यक्ति 500 से एक हजार खर्च भी किया था। पुलिस पैसे लेकर मौत की फर्जी गवाही देने वालों की खोजबीन में जुट गई है।
भारतीय जीवन बीमा निगम LIC की पालिसी लेकर कोई इतना बड़ा फर्जीवाड़ा करेगा,किसी ने अंदाज भी नहीं लगाया था। एलआईसी अफसरों के तो होश ही उड़ गया है। बिलासपुर के व्यापार विहार निवासी चाचा-भतीजा ने सुनियोजित तरीके से इस अपराध को अंजाम तक पहुंचाया है। ये तो अपनी कारगुजारियों में सफल भी हो गए थे। पैसे की भूख और लालच ने जेल के सीखचों के पीछे पहुंचा दिया है। दरअसल इन लोगों ने पालिसी के बहाने क्लेम लेने के लिए बड़ा खेल खेला,चाचा ने पहले एक भतीजे को कागजों में मौत होना बता दिया। इसके लिए उसने सबसे पहले डेथ सर्टिफिकेट बनवाए। सर्टिफिकेट बनवाने और एलआईसी आफिस में डेथ क्लेम करने से पहले पड़ोसियों से लेकर मोहल्लों में नाई,दर्जी व धोबी की जितनी दुकाने हैं वहां के संचालकों और उसके पड़ोसियों को अपने तरीके से सेट कर लिया। मसलन व्यक्ति के हिसाब से 500 से एक हजार रुपये देकर अपने पक्ष में कर लिया। पैसे देते वक्त उनको समझाया गया कि एलआईसी के अफसर आएं और पालिसी होल्डर के बारे में पूछे तब बस इतना ही कहना है कि उसकी मौत हो गई है। मौत के कारणों पर अनजान बने रहना है,बस मृत्यु की पुष्टि कर देना है। इसके एवज में मिले पैसे ने लोगों ने झूठी गवाही देने में हिचक महसूस नहीं की और झट बोल भी दिया है कि हां हम जानते हैं,पालिसी होल्डर की मृत्यु हो गई है।
एलआईसी अफसरों की आंखों में धूल झोंकते हुए ऐसा फ्राड किया है जिसकी चर्चा बीत तीन दिनों से हो रही है। चर्चा के साथ ही पुलिस जांच में नए-नए खुलासे भी हो रहे हैं। पूरा मामला फर्जी तरीके से डेथ सर्टिफिकेट के सहारे डेथ क्लेम लेने का है। मास्टर माइंड चाचा ने भतीजे की दस्तावेजों में मौत होना बता दिया। फर्जी डेथ सर्टिफिकेट के सहारे डेथ क्लेम के तौर पर 35.90 रुपये एलआईसी से हड़प भी लिया। चौथी पालिसी में 51 लाख रुपये लेने के फेर में फंस गए। पुलिस ने आरोपी चाचा-भतीजे,बीमा एजेंट सहित चार लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
51 लाख की लालच ने पहुंचाया जेल,इस बात को लेकर अफसरों को आशंका
चाचा और भतीजे ने एलआईसी एजेंट से चार पालिसी ली थी। तीन पालिसी की अवधि तीन साल पूरी हो चुकी थी। एलआईसी के नियमों पर गौर करें तो अगर कोई पालिसी होल्डर की मृत्यु तीन साल की अवधि पूरी होने के बाद हो जाती है और पालिसी का प्रीमियम लगातार तीन साल तक जमा होते रहा है तो उनके उत्तराधिकारी को डेथ क्लेम की राशि का भुगतान बिना जांच पड़ताल के कर दिया जाता है। तीन पालिसी में इसी नियमों की आड़ में पालिसी होल्डर ने डेथ क्लेम की आड़ में तीन पॉलिसी से 35.90 लाख रुपए ले लिया था।
तीन साल की अवधि नहीं हुई थी पूरी
चौथी पालिसी के एवज में इस बार 51 लाख रुपये का क्लेम किया। एलआईसी अफसरों ने जब दस्तावेजों की पड़ताल की तब पता चला कि चौथी पालिसी की अवधि अभी तीन साल पूरी नहीं हुई है। इस बात को लेकर आशंका हुई कि तीन पालिसी में डेथ क्लेम के जरिए रुपये जारी किया गया है। अफसरों को अचरज लगा कि एक ही तरह के क्लेम में इतनी बड़ी रकम लेने वाला कहीं फ्राड तो नहीं कर रहा है। तब अफसरों ने मामला पुलिस में देने का निर्णय लिया। पुराने तीन पालिसी में दिए गए डेथ क्लेम के साथ ही चौथी पालिसी में क्लेम का कारण मौत को ही बताया गया था। पुलिस ने जब पड़ताल शुरू की तब चाैंकाने वाली बातें सामने आई।
यह है मामला
कस्तूरबा नगर निवासी विजय पांडेय ने भतीजे ओमप्रकाश पांडेय के नाम पर एलआईसी एजेंट नरेश अग्रवाल से पॉलिसी ली थी। तीन साल की अवधि पूरी होने पर 5 फरवरी 2024 को उसे मृत बताकर 35.90 लाख की तीन पॉलिसी में डेथ क्लेम किया। तीनों पॉलिसी की अवधि तीन साल से अधिक हो चुकी थी, इसलिए बिना जांच पड़ताल के एलआईसी ने क्लेम का भुगतान एजेंट के माध्यम से कर दिया। विजय पांडेय व उसके भतीजे मनोज पांडेय ने 51 लाख की दूसरी पॉलिसी पर डेथ क्लेम किया। जिस पालिसी पर 51 लाख रुपये का क्लेम किया था, पॉलिसी को तीन साल से कम समय हुआ था। लिहाजा एलआईसी के अफसरों ने जांच शुरू की। गवाहों ने आरोपी चाचा-भतीजे के पक्ष में गवाही दी। अफसरों ने जब दस्तावेजों की पड़ताल की तब शंका हुई और मामला पुलिस को सौंप दिया।