Bilaspur News: फ़र्ज़ी कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य जान केम और अपोलो प्रबंधन के खिलाफ FIR
Bilaspur News: पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्व. राजेंद्र प्रसाद शुक्ला की अपोलो अस्पताल में ईलाज के दौरान मौत मामले में उनके पुत्र डॉक्टर प्रदीप शुक्ला की शिकायत पर डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव और अपोलो प्रबंधन के खिलाफ पुलिस ने गैर जमानतीय संगीन धाराओं में अपराध दर्ज किया है।

Bilaspur News: बिलासपुर। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ला की मौत के मामले में सरकंडा थाना पुलिस ने स्व. राजेंद्र प्रसाद शुक्ला के पुत्र डॉ प्रदीप शुक्ला की शिकायत पर डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ डॉक्टर जान केम और अपोलो प्रबंधन के खिलाफ अपराध दर्ज किया है। प्रदीप शुक्ला ने अपोलो प्रबंधन के द्वारा बिना डिग्री धारी को चिकित्सक नियुक्त करने और उसके द्वारा गलत इलाज और लापरवाही के चलते अपने पिता पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्व. राजेंद्र प्रसाद शुक्ला की मौत का आरोप लगाया है। उक्त मामले में चिकित्सकीय लापरवाही न होकर आपराधिक मानव वध के मामले के तहत धारा 304 भादवि और डॉ नरेंद्र विक्रमादित्य यादव का चिकित्सा प्रमाण पत्र फर्जी तथा अपना नाम पता एवं पहचान बदलकर फर्जी दस्तावेज तैयार करने पर धारा 420,465,466,468,471 भादवि के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया है। मामला सरकंडा थाना क्षेत्र का है।
डा0 प्रदीप शुक्ला पिता स्व. राजेन्द्र प्रसाद शुक्ला निवासी मुंगेली नाका बिलासपुर ने अपने पिता की मौत के संबंध में एफआईआर लिखवाई हैं। अपनी शिकायत में उन्होंने बताया है कि मेरे पिता पं0 राजेन्द्र प्रसाद शुक्ला पूर्व विधानसभा अध्यक्ष छ.ग. विधानसभा एवं तत्कालीन विधायक विधानसभा क्षेत्र कोटा का तबियत खराब होने पर उपचार हेतु अपोलो अस्पताल बिलासपुर मे भर्ती किया गया था। मेरे पिता जी को घबराहट एवं सांस लेने मे दिक्कत हो रही थी उन्हे माईल्ड हार्ट अटैक आया था। अपोलो अस्पताल में पदस्थ हृदय रोग विशेषज्ञ डा0 नरेन्द्र विक्रमादित्य यादव के द्वारा मेरे पिता स्व. राजेन्द्र प्रसाद शुक्ला का उपचार किया गया। एंजियोग्राफी एवं एंजियोप्लास्टी किए जाने एवं उसके बाद जरूरत होने पर आपरेशन किए जाने की बात कही, परिवार के सहमति के बाद दिनांक 2 अगस्त 2006 को मेरे पिता जी का लगभग 01 घंटा 30 मिनट का आपरेशन चला और उन्हे आईसीयू मे भर्ती कर दिया गया। आईसीयू मे 02 घंटे बाद उनकी तबियत बहुत ज्यादा नाजुक हो गयी, उन्हे वेंटिलेटर पर रख दिया गया। मेरे पिता जी की तबियत लगातार बिगड़ती चली गई।
फ़र्ज़ी हृदय रोग विशेषज्ञ डा0 नरेन्द्र विक्रमादित्य यादव एवं अपोलो अस्पताल प्रबंधन द्वारा राजेंद्र शुक्ला को लगातार 18 दिनो तक आईसीयू में भर्ती रखकर उपचार किया गया। स्वास्थ्य मे सुधार नही हुआ। अतंतः 20 अगस्त 2006 को राजेन्द्र प्रसाद शुक्ला का निधन हो गया। इस दौरान स्वास्थ्य के बारे मे स्वयं हम लोग एवं छ.ग. शासन के जन प्रतिनिधी एवं अधिकारीगण डा0 नरेन्द्र विक्रमादित्य यादव एवं अपोलो अस्पताल प्रबंधन से लगातार पूछताछ करते रहे, किंतु उनके द्वारा बीमारी उपचार एवं मृत्यु के संबंध मे गोलमोल जवाब दिया जाता रहा। परिवार के सदस्यों को उनसे मिलने का मौका भी नही दिया गया। स्व शुक्ला के मौत के मामले में अपोलो अस्पताल प्रबंधन द्वारा लीपापोती कर मामले को दबा दिया गया। मेरे पिता जी के उपचार में खर्च हुए लगभग 20 लाख रू. का भुगतान छ.ग. विधानसभा से अपोलो प्रबंधन द्वारा प्राप्त किया गया था।
दमोह में फर्जी चिकित्सक के इलाज से मौतों के बाद हुआ खुलासा
8 अप्रैल 2025 को समाचार पत्रो के माध्यम से ज्ञात हुआ कि अपोलो अस्पताल में पूर्व मे पदस्थ रहा डा. नरेन्द्र विक्रमादित्य यादव जो कि वर्तमान मे स्वयं का नाम डा. नरेन्द जान केम बताता है, के पास हृदय रोग विशेषज्ञ का फर्जी डिग्री था जो कि वर्तमान में डा. नरेन्द्र जान केम के नाम से मिशन अस्पताल दमोह मे कार्यरत था जहां पर हृदय रोग से पीड़ित कई मरीजो की मृत्यु हुई है। उक्त मामले मे डा. नरेन्द्र विक्रमादित्य यादव उर्फ नरेन्द्र जान केम को गिरफ्तार किया गया है। डा. नरेन्द्र विक्रमादित्य यादव को अपोलो अस्पताल बिलासपुर मे बिना डिग्री और चिकित्सकीय प्रमाण पत्र के ईलाज हेतु रखा गया था। अपोलो अस्पताल प्रबंधन के द्वारा डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव के चिकित्सा विशेषज्ञ होने संबंधी प्रमाण पत्रों की जांच नहीं की गई थी। मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया और छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल में पंजीकृत डॉक्टर नहीं होने के बाद भी नरेंद्र यादव को अस्पताल बिलासपुर में हृदय रोग विशेषज्ञ के रूप में नियुक्ति दे दी गई। नरेंद्र विक्रमादित्य यादव से अपोलो में पीड़ित मरीजों का एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी एवं उपचार करवाया गया। इस कारण अपोलो अस्पताल प्रबंधन को भी आरोपी बनाने की मांग शिकायत में की गई थी।
नाम बदल कर कर रहा था दमोह में इलाज
दमोह के मिशन अस्पताल में नरेंद्र विक्रमादित्य यादव डॉक्टर नरेंद्र जान केम के फर्जी नाम से मरीजों का ईलाज कर रहा था। यहां उसके ईलाज करने से हृदय रोग से पीड़ित सात मरीजों की जान चली गई। इसके बाद हड़कंप मच गया और डॉक्टर की गिरफ्तारी की गई। दमोह पुलिस ने गिरफ्तार डा. नरेन्द्र जान केम से उसकी डिग्री के संबंध में पूछताछ की गई। तब उसने बताया है कि 1996 में नार्थ बंगाल मेडिकल कालेज दार्जिलिंग से MBBS किया। यूनिवर्सिटी आफ कलकत्ता से 5 सितम्बर 1999 को डा. आफ मेडिसीन का डिग्री लिया। पाण्डिचेरी यूनिवर्सिटी से जुलाई 2013 में डा. आफ मेडिसीन की डिग्री हासिल किया। उसके पास आन्ध्रप्रदेश मेडिकल काउंसिल का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट नरेन्द्र जान केम से है।
उक्त मामले में कांग्रेस पार्टी ने प्रदर्शन करते हुए अपराध दर्ज करने के लिए अपोलो का घेराव किया था। इसके बाद पुलिस ने जांच के बाद एफआईआर दर्ज की है। हालांकि अभी नामजद एफआईआर डॉक्टर नरेंद्र जान केम के नाम से ही हुई है। अपोलो प्रबंधन में से जांच के बाद नामजद आरोपी तय किए जाएंगे।