सीनियर सिटिज़न सेविंग स्कीम 2023:; बुज़ुर्गियत में क्या चाहिए..अपनों द्वारा की गई थोड़ी सी परवाह और आर्थिक सुरक्षा।अब तक तो जीवन तन-मन लगाकर 'धन' की व्यवस्था और गुणा-भाग करने में ही बीत गया। अब आखिरी पड़ाव पर वही संचित धन अगर बुज़ुर्गों के जीवन को अधिक आसान और प्रेमपूर्ण बना दे, तो फिर कहना ही क्या। सीनियर सिटिज़न सेविंग स्कीन 2023 में प्रस्तावित बदलाव ने यह उम्मीद जगाई है। सरल शब्दों में आइए जानते हैं कि इससे वृद्धावस्था कैसे आसान होगी।
बदलाव कैसे आएगा
सीनियर सिटिज़न यानि वरिष्ठ नागरिकों के पास अब सीनियर सिटिज़न सेविंग स्कीम (SCSS) में अधिक राशि जमा करने का अवसर है। अभी तक SCSS के तहत अधिकतम जमा सीमा प्रति व्यक्ति 15 लाख रुपये थी।वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में प्रस्ताव रखा था कि इस बचत योजना के तहत जमा सीमा को बढ़ाकर 30 लाख रुपये किया जाएगा।
अधिक जमा राशि-अधिक ब्याज
SCSS योजना के तहत जमा राशि पर 5 वर्षों के लिए ब्याज मिलता है। SCSS के लिए वर्तमान ब्याज दर 8% है। अब चूँकि जमा राशि की सीमा बढ़ रही है तो निश्चित रुप से ब्याज से प्राप्त होने वाली राशि भी अधिक होगी। मान लीजिए कि एक दंपत्ति ने 30 लाख रुपये का निवेश किया तो उन्हें 60 हजार रुपए का त्रैमासिक ब्याज मिलेगा। यानि कि 20 हज़ार रुपये महीना। हालांकि 30 लाख रुपये जमा किया जाना ही अनिवार्य नहीं है। पर निश्चित रूप से कम जमा राशि पर ब्याज की राशि भी कम होगी।
इस पड़ाव पर होगा अब जीवन आसान
यह वह उम्र है जब व्यक्ति अपनी काफी सारी ज़िम्मेदारियों से मुक्त हो चुका होता है। बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, शादी-ब्याह जैसी ज़िम्मेदारियां निपट चुकी होती हैं। इसलिए इस उम्र मैं ने पति-पत्नी के लिए 20 हज़ार रुपये की मंथली इन्कम सामान्य रूप से पर्याप्त होती है। फिर उनकी जमा राशि भी उन्हीं की है ही। और हां, पांच साल की परिपक्वता अवधि पूरी होने के बाद खाते को 3 साल और बढ़ाने का विकल्प है।
अच्छी ब्याज दर से मिलेगा सम्मानजनक जीवन
चूंकि बुजुर्गों के हाथ में अपनी ज़रूरतों के लिए पर्याप्त पैसा होगा तो निस्संदेह उनके लिए जीवन अधिक सम्मानजनक होगा। वे खुद को बोझ के रूप में नहीं देखेंगे और अपनी ज़रूरतों के लिए बच्चों पर डिपेंड भी नहीं होंगे। साथ ही स्कीम सरकार द्वारा समर्थित है, इसलिए किसी तरह का फ्राॅड होने का डर भी नहीं है।