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Sawan Me Na Kare Ye Kaam: सावन में ऐसी बातों से होगा आपका नुकसान, चुगली नहीं करें, संभलकर बोलें

Sawan Me Na Kare Ye Kaam: सावन में ऐसी बातों से होगा आपका नुकसान, चुगली नहीं करें, संभलकर बोलें
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By NPG News

रायपुर।

Aaj se Sawan: आज से सावन मास का प्रारंभ हो गया है। इसमें धर्म कर्म और पूजा व्रत करने का समय है। घर के बड़े लोग अक्सर कहते हैं कि सोच-समझकर बोली गई हर चीज हमेशा सकारात्मक प्रभाव दिखाती हैं। इसलिए जो लोग बहुत कम बोलते हैं और जो बात बोलते हैं वो बहुत प्रभावकारी होते हैं। वाणी से निकले शब्द भी पाप का भागी बना सकते हैं।

सावन में किसी की निंदा या चुगली करना

सावन में कई लोग अपनी बोली से ये पाप करते हैं। किसी की निंदा करना या चुगली करना भी एक पाप माना गया है। बुराई करने से या चुगली करने से आपसी रिश्तों में खटास आ जाती है। रिश्तों में परस्पर प्रेम बना रहे, इसके लिए किसी की भी बुराई नहीं करना चाहिए। हमेशा दूसरों के अच्छाई को महत्व देना चाहिए। हमें कभी भी ऐसी वाणी का उपयोग नहीं करना चाहिए, जिससे किसी को भी दुख पहुंचे।

सावन में कड़वा बोलना

सावन में कई लोग स्वभाव से कठोर होते हैं और उनकी वाणी में भी कठोरता होती है। इस कारण वे कड़वे शब्दों का प्रयोग करते हैं। कड़वे शब्दों का प्रयोग करना भी वाणी से होने वाला एक पाप है। कड़वी वाणी यानी हमेशा ऐसे शब्दों का प्रयोग करना, जिससे दूसरों के मन को ठेस पहुंचती है। किसी भी बात को कहने के अलग-अलग तरीके होते हैं। हमें अपनी बात कहने के लिए मीठी वाणी का उपयोग करना चाहिए। मीठी वाणी यानी बात को कहने का लहजा ऐसा होना चाहिए कि सामने वाले व्यक्ति को हमारी बात से बुरा महसूस ना हो।

सावन में झूठ बोलना पाप

सावन में ये बात तो सभी जानते हैं। झूठ, प्रारंभ में तो सुख दे जाता है, लेकिन भविष्य में एक झूठ के कारण कई और झूठ बोलना पड़ते हैं। झूठ के कारण नित नई परेशानियां उभरती हैं। इनसे हमें तो दुखों का सामना करना ही पड़ता है, साथ ही दूसरों के जीवन में भी समस्याएं उत्पन्न हो जाती है। कई बार छोटे-छोटे झूठ भी बड़ा दर्द दे जाते हैं। झूठ बोलने से बचना चाहिए।

सावन में व्यर्थ की बातें करना

सावन में बेकार और

बकवास की बाते करना भी पाप की श्रेणी में आता है। व्यर्थ की बात करने से दूसरों के समय की बर्बादी होती है और उन्हें अशांति महसूस होती है। दूसरों को किसी भी प्रकार से कष्ट देना पाप है। हमेशा काम की बात ही करना चाहिए। जितना जरूरी हो, उतना ही बोलें।

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