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राधा अष्टमी 2022 : कब मनाई जाएगी राधाष्टमी पर्व, जानिए इसका महत्व और पूजा विधि

राधा अष्टमी 2022 : कब मनाई जाएगी राधाष्टमी पर्व, जानिए इसका महत्व और पूजा विधि
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By NPG News

रायपुर I कृष्ण जन्माष्टमी के 16 वें दिन भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को राधाष्टमी मनाया जाता है। इस साल 4 सितंबर को राधाष्टमी का पर्व है। राधा के बिना कृष्ण नाम का जप निर्थक है, इसलिए तो मनुष्य जन्म को सार्थक बनाने के लिए राधाजी का जन्म 16 वें दिन कृष्ण जन्म के बाद हुआ और इन दो नामों में सृष्टि में अमर निस्वार्थ प्रेम के बीज बोएं, जो जन्म-जन्मांतर चला आ रहा है। राधाष्टमी के दिन श्रद्धालु बरसाना की ऊंची पहाड़ी पर स्थित गहवर वन की परिक्रमा करते हैं। इस दिन रात-दिन बरसाना में रौनक रहती है। धार्मिक गीतों और कीर्तन के साथ उत्सव का आरम्भ होता है।

राधा अष्टमी का शुभ मुहूर्त

इस साल 4 सितंबर को राधा अष्टमी मनाया जाएगा। जो रविवार को भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी है। इस योग को आयुष्मान योग का निर्माण हो रहा है। यानि राधा अष्टमी का व्रत और पूजा इसी योग में की जाएगी। इस दिन सवार्थसिद्धि योग- Sep 04 09:43 PM से 06:14 AM और इस दिन ज्येष्ठा 09:43 PM तक रहेगा फिर मूल और 09:43 PM तक चन्द्रमा वृश्चिक उपरांत धनु राशि पर संचार करेगा । इस दिन प्रीति योग रहेगा।

राधा अष्टमी की पूजा विधि

इस दिन सुबह शुद्ध मन से व्रत का पालन करना चाहिए। राधा जी की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराकर उनका श्रृंगार किया जाता है। दोपहर के समय श्रद्धा और भक्ति से राधाजी की आराधना की जाती है। धूप-दीप आदि से आरती करने के बाद अंत में भोग लगाया जाता है।

इस दिन मंदिरों में 27 पेड़ों की पत्तियों और 27 ही कुंओं का जल इकठ्ठा करना चाहिए। सवा मन दूध, दही, शुद्ध घी और औषधियों से मूल शांति करानी चाहिए। अंत में कई मन पंचामृत से वैदिक मंत्रों के साथ 'श्यामाश्याम' का अभिषेक किया जाता है। नारद पुराण के अनुसार 'राधाष्टमी' का व्रत करनेवाले भक्तगण ब्रज के दुर्लभ रहस्य को जान लेते है। जो व्यक्ति इस व्रत को विधिवत तरीके से करते हैं वो सभी पापों से मुक्ति पाते हैं। राधाजी वृंदावन की अधीश्वरी हैं। शास्त्रों में राधा जी को लक्ष्मी जी का अवतार माना गया है। इसलिए इस दिन लक्ष्मी पूजन भी करना चाहिए। ऐसा करने से आर्थिक समस्याएं खत्म होती हैं।

राधा अष्टमी का महत्व

राधा नाम का अर्थ है जन्म-जन्मातंर के पापों से मुक्ति, प्रेम मिलन, और बंधन से मुक्ति का मार्ग जो दें वो हा राधा जी। कहते हैं कि राधा जी की पूजा से श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं। जो भी साधक भक्ति भाव से राधा जी को पूजता है। वह इस लोक के सुख को भोग को परमधाम को प्राप्त करता है।राधा जी के पूजन से निसंतान के संतान और वैवाहिक जीवन में प्रेम रस की प्रधानता रहती है। जन्माष्टमी कथा का श्रवण करने से भक्त सुखी, धनी और सर्वगुणसंपन्न बनता है, भक्तिपूर्वक श्री राधाजी का मंत्र जाप और स्मरण मोक्ष प्रदान करता है। श्रीमद देवी भागवत में कहा गया है कि जो राधा की पूजा करता है उसे ही कृष्ण की पूजा का अधिकार है। राधा अष्टमी का व्रत विशेष पुण्य प्रदान करने वाला माना गया है। इस व्रत को सभी प्रकार के कष्टों को दूर करने वाला बताया गया है। सुहागिन स्त्रियां इस दिन व्रत रखकर राधा जी की विशेष पूजा करती हैं। इस दिन पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। राधा अष्टमी का पर्व जीवन में आने वाली धन की समस्या की भी दूर करता है। राधा जी की इस दिन पूजा करने भगवान श्रीकृष्ण का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस व्रत को रखने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है ।

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