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महाराष्ट्र की संस्कृति देख दर्शक हुए अभिभूत, हाथों में रची मनभावन मेहंदी

महाराष्ट्र की संस्कृति देख दर्शक हुए अभिभूत, हाथों में रची मनभावन मेहंदी
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By NPG News

रायपुर। शहरवासियों में स्वदेशीपने की अमिट छाप छोड़ने के अपने ध्येय में सफल सात दिवसीय मेला का आज समापन हो जाएगा। मेला में जहां महाराष्ट्र की गरिमामयी लोककला, संस्कृति, मनमोहक नृत्य और व्यंजनों के लाजवाब स्वाद का बुधवार को लोगों ने जमकर चटखारा लगाया, वहीं दोपहर में मेहंदी प्रतियोगिता में हाथों में खूबसूरत सपनों को साकार करती हुई कलाकृतियों को बारीकी से उकेरकर वाहवाही बटोरी।

सीबीएमडी द्वारा साइंस काॅलेज मैदान में चलाए जा रहे स्वदेशी मेला में बीते कुछ दिनों से शहरवासियों अपनी देशी कला संस्कृति को नजदीक से देखने, जानने और अपनाने का अवसर मिला। एक ओर देश के 15 राज्यों से अधिक की लोककलाओं और उत्पादों को मंच प्रदान हुआ, वहीं विविध संस्कृतियों के रंग बिखेरने और सौहार्दता बढ़ाने के उद्देश्य के साथ सामाजिक सरसता के प्रतिदिन कार्यक्रम हुए। इसी कड़ी में बुधवार को दोपहर में दो वर्गो में मेहंदी प्रतियोगिता आयोजित हुई जिसमें प्रथम वर्ग में 10 से 17 वर्ष एवं द्वितीय वर्ग में 17 वर्ष से अधिक के लोगों ने भाग लिया। स्पर्धा के डेढ़ घंटे में 65 प्रतिभागियों ने छोटी सी हथेली को खूबसूरत आकारों से ऐसी बारीकी के साथ सजावट की कि देखने वाले हतप्रभ रह गए। इस प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में अनिता खंडेलवाल और निशा बागड़ी शामिल थीं । इस प्रतियोगिता में वर्ग A में प्रथम मोनिका शर्मा, द्वितीय आस्था चौहान, तृतीय अभिषेक वर्मा व सांत्वना पुरस्कार अलीशा खान और पूजा राव को मिला। वर्ग B में प्रथम सजल साहू, द्वितीय काजल निषाद और तृतीय जिज्ञासा साहू तथा मीना पटेल और शिवानी को सांत्वना पुरस्कार मिला। इस प्रतियोगिता की प्रभारी अर्चना वोरा, शीला प्रजापति, प्राची उपासने, रेहाना खान, चंद्रकला क्षत्रीय, उमा शुक्ला, आरती दुबे, अमृता श्रीवास्तव, रंजीता बघेल, सत्यासिंह सिंगार और पुष्पा साहू थीं।

संध्या की बेला में सामाजिक समरसता के तहत महाराष्ट्र उत्सव मनाया गया। महाराष्ट्र का गौरवशाली परिधान, पारंपरिक वेशभूषा महाराष्ट्रियन साड़ी और स्पेशल नथ में सजी-धजी मेले की महिला सदस्यों ने खूबसूरत फिजा बिखेर दी। महाराष्ट्र का प्रसिद्ध लावणी नृत्य जब ढोल-बाजे की धुनों के साथ स्टेज पर प्रस्तुत हुआ तो दर्शक भी साथ थिरक उठे। महाराष्ट्र के लोकगीत और लोकनृत्य की स्वरलहरियां लोगों को देर तक झूमने पर मजबूर करती रहीं। इसकी प्रभारी विशाखा तोपखाने, प्रभारी युवा अध्यक्ष लोकेश पवार, सुषमा महादिक थीं। शिवाजी पर लघु नाटिका, मां अंबा देवी की कृपा दृष्टि पर शिक्षा, मराठा समाज का शौर्य प्रदर्शन का मनमोहक कार्यक्रम हुआ। महाराष्ट्रियन समाज द्वारा स्पेशल तौर पर लगाए गए फूड स्टाॅल में पूरन पुड़ी, चिवड़ा, साबुदाना बड़ा, मिसल पाव, श्रीखंड, बासुंदी, झुनका भाकर, चकोली, अनरसा, जैसे स्वाद और पौष्टिकता से भरे व्यंजनों का लोग लुत्फ उठाते रहे।

आज होगा मेला का समापन

सात दिवसीय मेला का गुरूवार को समापन हो जाएगा। समापन समारोह की मुख्य अतिथि राज्यपाल छ.ग. सुश्री अनुसुईया उइके होंगी। वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व मंत्री एवं विधायक बृजमोहन अग्रवाल करेंगे। दोपहर में होने वाली प्रतियोगिता में कबाड़ का जुगाड़ होगा, वहीं संध्याकालीन सामाजिक समरसता के कार्यक्रम में आंध्र उत्सव मनाया जाएगा।

मेले में मेला संयोजक अमर बंसल, गोपाल कृष्ण अग्रवाल, मोहन पवार, शीला शर्मा,अमरजीत सिंह छाबड़ा, शताब्दी पांडेय, सुब्रत चाकी, जगदीश पटेल, उमेश पटेल, सुचित्रा चित्तावार, सुलोचना बंका, सुनीता पाठक, सीमा कंधार, नैना चौबे, लक्ष्मी जिल्हारे, हर्षिता लांजेवार, अंकिता वर्धन, सीमा शर्मा, अर्चना वोरा, इंदिरा जैन, तृप्ति चौहान, चितरंजन ठाकुर, रेहाना खान सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता दिन रात व्यवस्थाओं के संचालन में जुटे हुए हैं।

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