खेती को लाभकारी बनाने का हुनर सिखाती हैं वेदेश्वरी शर्मा, हजारों महिलाओं के स्वावलंबन की बनी सूत्रधार
रायपुर। जब मन में कुछ अच्छा करने की ललक और इरादे नेक हों, तो रास्ते खुद-ब-खुद बनते जाते हैं और कामयाबी कदम चूमती है। जीवों के प्रति दया का भाव और पर्यावरण के प्रति प्रेम ने वेदेश्वरी शर्मा को जैविक खेती और गौसेवा के क्षेत्र में एक नई पहचान दी है। कोण्डागांव की रहने वाली वेदेश्वरी शर्मा आज पूरे क्षेत्र में बिन्दु दीदी के नाम जानी जाती है। गोधन की सेवा और जैविक खेती को अपने जीवन का लक्ष्य मानने वाली वेदेश्वरी शर्मा ने इस काम से हजारों महिलाओं को न सिर्फ जोड़ा है, बल्कि उनके स्वावलंबन की भी सूत्रधार बनी है। गौसेवा और जैविक खेती के प्रोत्साहन के उनके प्रयासों को गौसेवा आयोग से लेकर कई संस्थाओं ने न सिर्फ सराहा है बल्कि उन्हें सम्मानित भी किया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मार्गदर्शन में संचालित छत्तीसगढ़ सरकार की गौठान निर्माण और गोधन न्याय योजना की तारीफ करते हुए वह कहती है कि इसके माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था, रोजगार और पर्यावरण को बेहतर बनाया जा सकता है। छत्तीसगढ़ सरकार गोधन न्याय योजना ने गौ-सेवा और जैविक खेती को लेकर उनके उत्साह को दोगुना कर दिया है।
लावारिश, अशक्त और बीमार गोधन की सेवा-जतन का 13 वर्ष पूर्व बीड़ा उठाने वाली वेदेश्वरी शर्मा कोण्डागांव से 20 किलोमीटर दूर बड़ेकनेरा गांव में कामधेनु गौसेवा संस्था का संचालन कर रही हैं, जहां सैकड़ों की संख्या में लावारिश एवं अशक्त गौवंशीय पशुओं की देख-भाल, उपचार एवं चारे-पानी का बेहतर प्रबंध है। इस गौशाला में पलने वाले गाय और बछड़ों को जरूरतमंद ग्रामीणों और किसानों को दान में दिए जाने का भी चलन है, ताकि इससे उन्हें आय के साथ-साथ जैविक खेती में मदद मिल सके। गौशाला में गोबर और गौमूत्र से जैविक खाद, जैविक कीटनाशक, फसल वृद्धिवर्धक जीवामृत तैयार करने के साथ-साथ कंडा, दीया, गमला भी बनाएं जाते हैं, ताकि वहां गोधन की देख-रेख में लगे गौसेवकों एवं त्रिवेणी स्व-सहायता समूह की महिलाओं को आय हो सके।
कामधेनु गौसेवा संस्था बड़ेकनेरा वर्ष 2010 से गौसेवा आयोग में पंजीकृत है। यह गौशाला ढाई एकड़ रकबे में बनी है। यहां पशुओं के चारे के प्रबंध के लिए एक एकड़ में हरे चारे की खेती भी होती है। कोण्डागांव अंचल में जैविक खेती को जी-जान से प्रोत्साहित करने में जुटी वेदेश्वरी शर्मा दण्डकारण्य एग्रो प्रोड्यूस कंपनी भी संचालित कर रही हैं। इस कंपनी से हजारों ऐसे कृषक जुड़े हुए हैं, जो जैविक खेती करते हैं। कंपनी का उद्देश्य किसानों को जैविक खेती के लिए प्रेरित करने के साथ-साथ उन्हें इसके लिए आवश्यक मदद एवं उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाना है। कोण्डागांव ब्लॉक के करगी, कोकोड़ी, फरसगांव बेड़ा सहित दर्जनों गांवों के किसान आज सुगन्धित धान की जैविक खेती कर रहे हैं। किसानों को जैविक पद्धति से उपजाए गए धान की अच्छी कीमत मिल रही है। किसानों से सुगन्धित धान खरीदने बाहर की ऑर्गेनिक फर्मे भी आती हैं। दण्डकारण्य एग्रो प्रोड्यूस कंपनी की संचालक वेदेश्वरी शर्मा बताती है कि शुरूआती दौर में उन्होंने अपने परिचित की पड़त भूमि रेगहा पर लेकर खेती की शुरूआत की और खूब मेहनत से इसमें अच्छा मुनाफा हासिल किया। उन्हें शुरू से ही खेती-किसानी और गोधन सेवा का जुनून रहा है। सच्चे मन से गोधन और प्रकृति की सेवा के फलस्वरूप इस क्षेत्र वह लगातार आगे बढ़ती गई। लोग जुड़ते गए और आज किसानों और महिलाओं का एक कारवां बन गया है, जो जैविक खेती के साथ-साथ पर्यावरण को बेहतर बनाने में उनके साथ सच्चे मन से जुटे हैं। छत्तीसगढ़ शासन के मंत्री रविन्द्र चौबे और गौसेवा आयोग के अध्यक्ष राजेश्री महंत डॉ. रामसुन्दर दास ने उन्हें भूईंया का भगवान अवार्ड से सम्मानित किया है। गोधन की सेवा के लिए उन्हें लाईफ टाईम एचीवमेंट अवार्ड सहित अन्य कई सम्मान मिल चुके हैं।
कोण्डागांव अंचल में जैविक खेती को प्रोत्साहित करने में जुटी वेदेश्वरी शर्मा का मानना है कि भूमि किसी भी स्थिति में बेकार पड़ती नहीं रहनी चाहिए, यदि हम थोड़ा सा परिश्रम करें तो भूमि से अन्न, फल, साग-सब्जी उपजाकर अपने परिवार की जरूरतों के साथ-साथ अतिरिक्त आय भी अर्जित कर सकते हैं। उन्होंने हजारों ग्रामीण किसानों को इसके लिए प्रेरित किया है, जिसके चलते किसान अब खेतों की मेड़ों पर भी फलदार पौधे, जिमीकंद, तिखूर, अरबी, दलहन आदि की खेती कर मुनाफा कमाने लगे हैं। खेती से लगातार आय बनी रहे, उनके इस मंत्र को किसानों से अपनाया है। खेती के साथ-साथ किसान पशुपालन, जैविक पद्धति से सब्जी उत्पादन, मसाला आदि की खेती भी कर रहे हैं। किसानों के जैविक उत्पाद, सब्जी के विक्रय के लिए कोण्डागांव के मंडी में पृथक से जैविक उत्पादों की दुकान शुरू करने की कोशिश है।