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कन्या पूजन कब करें, इसमें कन्याओं की संख्या कितनी हो और इसका क्या महत्व है, जानिए...

कन्या पूजन कब करें, इसमें कन्याओं की संख्या कितनी हो और इसका क्या महत्व है, जानिए...
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कन्या पूजन

By NPG News

NPG DESK I शारदीय नवरात्रि बुधवार 5 अक्टूबर को खत्म हो जाएगी। नौ दिनों तक चलने वाले इन दिनों में माता दुर्गा के नौ रूपों की अलग-अलग दिन वंदना की जाती है। बता दें कि नवरात्रि आद्याशक्ति की आराधना का पर्व है। संसार को संचालित करने वाली माँ दुर्गा सर्वशक्तिमान और सर्वव्यापी हैं। भारतीय संस्कृति में कुंवारी कन्याओं को को मां दुर्गा का साक्षात स्वरूप माना गया है, इसीलिए नवरात्रि व्रत कन्या पूजन के बिना को पूरा नहीं माना जाता है। कन्या पूजन अष्टमी या नवमी दोनों दिन ही किया जाता है। कुछ भक्त अष्टमी के दिन कन्या पूजन करते है तो कुछ नवमी के दिन। ये भक्तों की अपनी श्रद्धा और मान्यताओं पर निर्भर करता है।

कन्या पूजन की मान्यताएं

मान्यतों के अनुसार कन्या पूजन से मां बेहद प्रसन्न होकर भक्तों की सभी मनोकामनााओं को कर देती हैं। इतना ही नहीं देवी पुराण के अनुसार मां को हवन और दान से अधिक प्रसन्नता कन्या भोज से मिलती है। ज्योतिषशास्त्र में भी कन्या पूजन को बेहद फलदायी मानाते हुए कहा गया है कि अगर किसी व्यक्ति के कुंडली में बुध ग्रह बुरा फल दे रहा है, तो लोगों को कन्या पूजन अवश्य करना चाहिए। बता दें कि बुध की मित्र राशियां वृष, मिथुन, कन्या, मकर और कुंभ होने के कारण इन राशियों के जातकों को कन्या पूजन का विशेष लाभ मिलता है। माता रानी के भक्त अष्टमी और नवमी के दिन छोटी-छोटी कन्याओं को माता का अवतार मान कर उनका पूजन कर उन्हें भोजन करा कर कुछ भेंट देते हैं। गौरतलब है कि इन कन्याओं के बीच एक लड़का भी अवश्य बिठाया जाता है ,जिसे लांगुर कहते हैं। कहा जाता है कि उसके बिना कन्या पूजन पूर्ण नहीं माना जाता है।

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक कन्याओं के पूजन में दो से दस वर्ष तक की कन्याओं को बिठाना उचित होता है । इसके लिए कन्याओं की संख्या नौ होना सर्वोत्तम बताया गया है। धर्मशास्त्रों के अनुसार कन्याओं की संख्या के अनुसार ही कन्या पूजन का फल प्राप्त होता है। हर कन्या का अलग और विशेष महत्व होता है। मान्यताओं के अनुसार कन्या पूजन में 9 कन्याओं और एक लड़के का पूजन करना बेहद शुभ होता है।

धर्मशास्त्रों के अनुसार पूजन में कन्या की संख्या के हिसाब से फल की प्राप्ति होती है। जिसमें

एक कन्या की पूजा करने से ऐश्वर्य

दो कन्याओं से भोग व मोक्ष दोनों

तीन कन्याओं के पूजन से धर्म, अर्थ व काम तथा

चार कन्याओं के पूजन से राजपद प्राप्ति

पांच कन्याओं की पूजा करने से विद्या

छह कन्याओं की पूजा से छह प्रकार की सिद्धियां

सात कन्याओं से सौभाग्य

आठ कन्याओं के पूजन से सुख- संपदा प्राप्त होती है।

नौ कन्याओं की पूजा करने करने से संसार में प्रभुत्व बढ़ता है।

कन्या पूजन के दिन प्रात: काल स्नान करके मां दुर्गा की उपासना करना चाहिए। इस दिन प्रसाद में खीर, पूरी, काले चने और हलवा आदि का मां को भोग लगाएं। फिर छोटी कन्याओं को आदर सहित बुला कर उनके पैर धोकर साफ आसन पर बिठाएं। कुमकुम का टीका लगाएं और रक्षा सूत्र बांधें। तत्पश्चात उन्हें मां का भोग लगाया भोजन करवायें । नौ कन्याओं के साथ एक छोटे बालक को भैरवनाथ का स्वरूप या लंगूर मानकर उसे उसी पंक्ति में बैठा कर तिलक और रक्षा सूत्र बाँध कर भी भोजन कराएं। भोजन के बाद सामर्थ्य के अनुसार कन्याओं को विदा करते समय पैसा, अनाज या वस्त्र दक्षिणा स्वरूप देकर उनके पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए। उसके बाद अपना व्रत समाप्त कर भोजन ग्रहण करें।

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