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Health News: सर्वाइकल कैंसर क्या होता है, जानिए इसका कारण, इलाज और क्यों है इससे महिलाओं को बड़ा खतरा

Health News: सर्वाइकल कैंसर क्या होता है, जानिए इसका कारण, इलाज और क्यों है इससे महिलाओं को बड़ा खतरा
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By NPG News

NPG DESK I सर्वाइकल कैंसर गर्भाशय ग्रीवा में असामान्य कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि की वजह से होता है। गर्भाशय ग्रीवा महिला प्रजनन प्रणाली का हिस्सा है और गर्भ के निचले हिस्से में स्थित है, जो गर्भ से योनि तक खुलती है। इस कैंसर को बच्चेदानी के कैंसर के नाम से भी जाना जाता है। वर्तमान में इस बीमारी से हर 2 मिनट में एक व्यक्ति की जान चली जाती है। यह 42 देशों में महिलाओं में कैंसर से होने वाली मौतों का प्रमुख कारण है।

खासकर शहर के स्लम एरिया में रहने वाली एक तिहाई महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर का खतरा है। यह बात एक अध्ययन में सामने आयी है। एक अध्ययन में पाया गया कि जिन महिलाओं की स्क्रीनिंग की गई, उनमें से 33.47 प्रतिशत एचपीवी (ह्यूमन पेपिलोमावायरस) पॉजिटिव थीं और उन्हें सर्वाइकल कैंसर होने का खतरा था।

सर्वाइकल कैंसर दुनिया में महिलाओं का चौथा सबसे अधिक प्रभावित करने वाला कैंसर है। यह योनि, मुख या गुदा मैथुन के माध्यम से फैलता है । जिन महिलाओं के यौन जीवन की शुरुआत जल्दी हो गयी है, जिन्होंने जीवन में कई बार गर्भधारण किया है और जिनके कई यौन साथी हैं, उनमें संक्रमण होने की संभावना अधिक होती है।

क्या होता है सर्वाइकल कैंसर?

सर्वाइकल कैंसर एक प्रकार का कैंसर है जो गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं में होता है। ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) के विभिन्न उपभेद, एक यौन संचारित संक्रमण, अधिकांश सर्वाइकल कैंसर पैदा करने में भूमिका निभाते हैं। एचपीवी के संपर्क में आने पर, शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली आमतौर पर वायरस को नुकसान पहुंचाने से रोकती है। हालांकि, यह वायरस लोगों के एक छोटे प्रतिशत में वर्षों तक जीवित रहता है। जिससे कुछ गर्भाशय ग्रीवा कोशिकाएं कैंसर कोशिकाएं बन जाती हैं। कोई भी व्यक्ति स्क्रीनिंग टेस्ट करवाकर और एचपीवी संक्रमण से बचाव करने वाला टीका प्राप्त करके सर्वाइकल कैंसर के विकास के अपने जोखिम को कम कर सकते हैं।

रिसर्च में खुलासा

IIPHG और चैरिटेबल ट्रस्ट के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन से पता चला है कि न केवल कमजोर महिलाओं में एचपीवी संक्रमण के बारे में अधिक जागरूकता की आवश्यकता है, बल्कि जागरूकता की कमी के कारण महिलाओं में स्क्रीनिंग को लेकर भी एक अस्पष्ट रवैया है।

शोधकर्ताओं ने एक क्रॉस-सेक्शनल अध्ययन किया और 30 से 45 वर्ष की आयु के बीच विवाहित महिलाएं में से 1,714 महिलाओं को नामांकित किया। हालांकि, इनमें से केवल 988 महिलाओं यानि 57.6 फ़ीसदी ने स्क्रीनिंग प्रक्रिया से गुजरने के लिए सहमति व्यक्त की, जिसमें योनि परीक्षा भी शामिल है। एचपीवी प्रसार के लिए केवल 956 नमूनों की प्रभावी जांच की जा सकी।

इनमें से, अध्ययन में 320 नमूने यानि 33.47 फ़ीसदी एचपीवी के लिए सकारात्मक पाए गए। इसके अलावा, एचपीवी संक्रमण के लिए सकारात्मक पाई गई 320 महिलाओं में से 248 महिलाओं यानि 77.5 फ़ीसदी को सर्वाइकल कैंसर का उच्च जोखिम पाया गया, 44 महिलाओं 13.75 फ़ीसदी को इसे विकसित करने का कम जोखिम था और 28 नमूने 8.75 फ़ीसदी अनिर्णायक थे।

आईआईपीएचजी के प्रोफेसर डॉ वोरा ने अहमदाबाद मिरर से कहा कि एचपीवी में, पहले यौन शुरुआत या भागीदारों की अधिक संख्या, एचपीवी की अधिक संभावना और बाद में गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर का खतरा होता है। स्क्रीनिंग और टीकाकरण दोनों आवश्यक हैं। भारत में इस टीकाकरण और नियमित जांच पर ज्यादा से ज्यादा जोर देना चाहिए। तभी हम इस भयंकर बीमारी से ठीक तरह से लड़ पाएंगे और आधी आबादी को एक सुरक्षित जीवन दे पाएंगे।

भारत में हर साल 122,844 महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर का पता चलता है और 67,477 महिलाओं की इस बीमारी से मौत हो जाती है। भारत में 15 वर्ष और उससे अधिक उम्र की 432.2 मिलियन महिलाओं की आबादी है, जिन्हें कैंसर होने का खतरा है। यह 15-44 वर्ष की आयु की महिलाओं में दूसरा सबसे आम कैंसर है।

सर्वाइकल कैंसर के कारण

सर्वाइकल कैंसर के कारण पीरियड्स के बीच ब्लीडिंग, संभोग के बाद खून, मैनोपोज़ के बाद खून बहना, संभोग के दौरान बेचैनी या खून आना, तेज गंध के साथ योनि से स्राव, रक्त के साथ योनि स्राव, यूरिन करते वक्त दर्द महसूस होना होता है। इसके अलावा धूम्रपान, मोटापा, गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर का अनुवाँशिकता, फलों और सब्जियों का कम सेवन, गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन, तीन पूर्ण-गर्भधारण होना, जब आप पहली बार गर्भवती हुई तो 17 वर्ष से कम उम्र का होना भी होता है।

सर्वाइकल कैंसर का इलाज

सर्वाइकल कैंसर का इलाज सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी और कीमोथेरेपी से करते हैं जो बहुत हद इस कैंसर को कम करने में कारगर है।

सर्जरी से इस कैंसर को दूर करना आसान होता है। कभी-कभी डॉक्टर केवल गर्भाशय ग्रीवा के उस क्षेत्र को हटा सकते हैं जिसमें कैंसर कोशिकाएं होती हैं।

रेडिएशन थेरेपी का उपयोग करके कैंसर कोशिकाओं को मारा जाता है। इसे शरीर के बाहर एक मशीन के जरिए डिलीवर किया जा सकता है। इसे गर्भाशय या योनि में रखी धातु की ट्यूब का उपयोग करके शरीर के अंदर से भी पहुंचाया जा सकता है।

कीमोथेरेपी पूरे शरीर में कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए दवाओं का उपयोग किया जाता है। डॉक्टर यह इलाज साइकिल में देते है।

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