Begin typing your search above and press return to search.

CMD डॉ प्रेम सागर मिश्रा को विशिष्ट एलुमनी अवार्ड, IIT-ISM धनबाद ने माइनिंग क्षेत्र में उनके असाधारण योगदान के लिए दिया प्रतिष्ठित सम्मान...

CMD डॉ प्रेम सागर मिश्रा को विशिष्ट एलुमनी अवार्ड, IIT-ISM धनबाद ने माइनिंग क्षेत्र में उनके असाधारण योगदान के लिए दिया प्रतिष्ठित सम्मान...
X
By NPG News

बिलासपुर। एसईसीएल सीएमडी डॉ प्रेम सागर मिश्रा को आईआईटी-आईएसएम धनबाद ने प्रतिष्ठित विशिष्ट एलुमनी अवार्ड प्रदान किया है। ये सम्मान आईएसएम धनबाद में आयोजित समारोह में दिया गया। इस अवसर पर एसईसीएल परिवार की प्रथम महिला पूनम मिश्रा की भी गरिमामयी उपस्थिति रही।

विदित हो कि मिश्रा ने इंडियन स्कूल ऑफ़ माइंस से वर्ष 1987 में बी टेक (माइनिंग) की डिग्री पूरी की । उन्होंने कुछ वर्ष पूर्व, इसी संस्थान से मैनेजमेंट में पीएचडी की उपाधि भी अर्जित की है।

आईआईटी-आईएसएम द्वारा माइनिंग एवं मिनरल सेक्टर में असाधारण उपलब्धियों व कार्य निष्पादन के लिए पूर्व छात्रों को विशिष्ट एलुमनी अवार्ड दिया जाता है। इस अवार्ड के अहर्ता बिंदुओं में, माइनिंग एवं मिनरल सेक्टर अंतर्गत कार्य निष्पादन में असाधारण व मूल्यपरक योगदान, स्टेकहोल्डर्स के साथ प्रभावी समन्वय, प्रक्रियागत सुधार को बढ़ावा, लीडरशिप एवं विजन, प्रोजेक्ट के सफल कार्यान्वयन, सामान्य जवाबदेही से बढ़कर सेवा क्षेत्र को योगदान आदि कारक प्रमुख हैं। मिश्रा स्वयं वर्ष 2010-14 तक आईएसएम एलुमनी असोसिएशन के जेनरल सेक्रेटरी भी रहे।

आईआईटी आईएसएम धनबाद की शुरुआत वर्ष 1926 में तत्कालीन भारतीय वायसराय लॉर्ड इर्विन के द्वारा देश में खनन गतिविधियों के लिए प्रशिक्षित इंजीनियर व कार्यबल तैयार करने के उद्देश्य से किया गया था वहीं वर्ष 1967 इसे यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया गया।

कोल इंडस्ट्री में डॉ प्रेम सागर मिश्रा की विशेष पहचान है । उनका अध्यवसायी व कर्मठ व्यक्तित्व, लीडरशिप स्किल, निर्णय क्षमता, संवाद शैली व इनोवेशन पर ज़ोर जैसे गुण अधीनस्थ कर्मियों को प्रेरित करते हैं। एसईसीएल से पूर्व वे कोल इंडिया की ईस्टर्न कोलफ़ील्ड्स लिमिटेड (ईसीएल) के सीएमडी, उड़ीसा मिनरल डेवलपमेंट कम्पनी के निदेशक रहे हैं तथा कोल इंडिया की कई सब्सिडियरी कम्पनियों में सेवाएँ दी हैं ।

डॉ प्रेम सागर मिश्रा के नेतृत्व में, इस वित्तीय वर्ष में अबतक, एसईसीएल ने कोयला उत्पादन में, ग़त वर्ष समान अवधि की तुलना में, लगभग 20 मिलियन टन से अधिक तथा ओबीआर में 55 मिलियन क्यूबिक मीटर से ज़्यादा की ऐतहासिक वृद्धि दर्ज की है।

Next Story