Begin typing your search above and press return to search.

Chhattisgarh Laborers News: छत्तीसगढ़ से मजदूरों का पलायन रोकने महाराष्ट्र, गुजरात की तरह सहकारी आंदोलन जरूरी...

Chhattisgarh Laborers News: छत्तीसगढ़ से मजदूरों का पलायन रोकने महाराष्ट्र, गुजरात की तरह सहकारी आंदोलन जरूरी...

Chhattisgarh Laborers News: छत्तीसगढ़ से मजदूरों का पलायन रोकने महाराष्ट्र, गुजरात की तरह सहकारी आंदोलन जरूरी...
X
By Gopal Rao



दीपक पाण्डेय

Chhattisgarh Laborers News: रायपुर। छत्तीसगढ़ से मजदूरों के बाहर जाने का सिलसिला सितंबर के अंतिम सप्ताह से प्रारंभ हो जाता है श्रमिकों में अधिकांशत मैदानी इलाके के रहते हैं विशेषकर बिलासपुर जिले के मस्तूरी बिल्हा तखतपुर कोटा विकासखंड के अनेक गांव सूने हो जाते हैं पर वे श्रमिक जो आदिवासी अंचल के हैं वो जंगल मे वन ऊपज बीडी पत्ता तोड़कर महुआ बिन कर मनरेगा के कार्य मे गोदी खोद कर जीवन यापन करते हैं एवं उनकी आवश्यकता बहुत कम है एक पिक्चर था "सिघंम" जो पूरे देश मे धूम मचाया उसका प्रसिद्ध डायलग था हीरो का "जिनकी जरूरतें कम है उनके जमीर मे दम है" ये जीवन की हकीकत है वनांचल के लोगों की आवश्यकता बहुत कम है।

तथा जो श्रमिक औद्योगिक क्षेत्र के आसपास रहते हैं वें तमाम उद्योगों में ठेका श्रमिक का कार्य करते हैं उनके पास विकल्प रहता है रोजगार का।

ग्रामीण ईलाके मै पलायन होने का मुख्य कारण है कृषि कार्य समाप्त होने के बाद शेष 6 माह कोई कार्य ग्रामीण अंचल में नहीं रहता दूसरा मुख्य कारण है।

आज भी ग्रामीण इलाके में शिक्षा की कमी ड्राप आऊट स्कूल मे बच्चों का 80% प्रतिशत है।

एवं जनसंख्या में वृद्धि का ग्राफ तेजी से बढ़ाना मानव श्रम संसाधन मे छत्तीसगढ राज्य देश मे बहुत अधिक सम्पन्न है।

आज भी ग्रामीण अंचल में रहने वाला गरीब परिवार उनके यहां आने वाले नये मेहमान को समझता है कि इससे हमारी आय में वृद्धि होगी उसे अपना दायित्व नहीं संपत्ति समझता है।

और सबसे अहम कारण है ग्रामीण अंचल में परंपरागत व्यवसाय का लुप्त हो जाना आज किसी भी ग्रामीण अंचल में ऐसे ग्राम जहां पहुंच मार्ग नहीं है।

पर वहां भी घरों में दिल्ली मुंबई कोलकाता मद्रास बंगलोर या अन्य महानगर के बाजारों ने अपना कब्जा बना लिया है गांव में जहां पूर्व में खाट के लिये नारियल रस्सी या पेड़ से निकले सुतली का उपयोग किया जाता था आज प्लास्टिक के निवार ने कब्जा कर लिया है उक्त कार्य में परिवार के कुछ लोग लगे रहते थे बेरोजगार हो गए ऐसे परिवार जो मिट्टी के सुराही घड़े कुलह्ण का निर्माण कार्य करते थे आज प्लास्टिक के कुलह्ण के साथ प्रतियोगिता में हार गए घड़े और सुराही का बाजार फ्रिज और मिल्टन ने लूट लिया अपने घरों के बाड़ी में थोड़ी सब्जी लगाकर आसपास विक्रय करने वालों को शहर के बड़े-बड़े किसी कृषि फार्मो ने बेरोजगार कर दिया अब तो लहसुन भी चीन से आयात हो रहा है एक दो गाय और भैंस रखकर दूध बेचने वालों का हक अब डेरी फार्म एवं पैकेट दूध ने छीन लिया ग्रामीण अंचल में बेकरी छोड़ कुछ भी शेष नहीं बचा - ""*पलायन शौक नहीं मजबूरी हो गया""" छत्तीसगढ़ में तत्कालीन गजेटियर 1901 के अनुसार मजदूरों का रोजगार हेतु बाहर जाना 1901 से है । प्रकाशित गजेटियर में यह विवरण है कि तब के समय में ये क्षेत्र बंगाल नागपुर रेलवे था BNR उस समय रेलवे लाइन बिछाने के काम में बिलासपुर के अधिकांश मजदूर पटरी बिछाने हेतु "टाटा से सिनी" के मध्य रेलवे लाईन में काम करने के लिए गए थे उन्हें मजदूरी से कुछ अतिरिक्त पैसा बचा लिया था तब से उनका आकर्षण छत्तीसगढ़ से बाहर जाकर काम करने पर बहुत अधिक हो और प्रवास नियमित हो गया।

हर.राज्य के मजदूर किसी न किसी काम मे दक्ष होते है वहां के भौगोलिक क्षेत्र के अनुसार उस राज्य के श्रमिकों की विशेषता रहती है हमारे यहां मैदानी इलाके के श्रमिकों की विशेषता है कि वह ईट निर्माण मकान निर्माण के कार्य में दक्ष है अतः देश के अन्य राज्यों में ईट, भवन -निर्माण के लिए श्रमिकों को सम्पूर्ण देश मे ले जाया जाता है आज शायद बहुत कम लोगों को पता होगा "इलाहाबाद में जीरो रोड को बिलासपुरिहा चौक बोलते हैं "वहां पर वह जगह पोस्टल एड्रेस बन गया है प्रतिवर्ष सितम्बर के अंतिम सप्ताह से श्रमिकों का अपने सामान के साथ बाहर जाना प्रारंभ हो जाता है अपने साथ पत्नी तथा छोटे बच्चों को भी ले जाते है विरासत मे पथेरा रेजा कुली बनाते है और *घर मे उम्रदराज लोगों को छोड़ जातें हैं ।श्रमिकों को प्रवास में ले जाने वाले तथाकथित दलाल उन्हें जानवरों की तरह बस में और ट्रेन में निर्धारित संख्या की सीमा से बहुत अधिक बस, ट्रैन, ठूंस कर ले जाकर अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं।

राज्य से बाहर जाने वाले श्रमिकों के लिए केंद्र शासन द्वारा अंतर्राज्यीय प्रवासी कर्मकार अधिनियम 1979 प्रभावशील किया गया है उक्त अधिनियम के अंतर्गत यह प्रावधान रखा गया है की पांच या पांच से अधिक श्रमिक जो किसी ठेकेदार या दलाल के साथ कार्य हेतु राज्य से बाहर प्रवास करते हैं ऐसी स्थिति में ठेकेदारों को श्रम विभाग से लाइसेंस प्राप्त करना अनिवार्य है इस श्रमिकों को पंचायती राज प्रभावशील होने के बाद यह अधिकार जनपद पंचायत को भी दिया गया है जो ग्राम पंचायत से बाहर जाने वाले श्रमिकों को चिन्हित कर उन्हें अनुज्ञप्ति प्रदान करें जिनमे श्रमिकों का नाम और पता तथा कार्य स्थल की जानकारी प्रदान करते हुए सूची देना होता है।

इससे श्रमिकों को या लाभ पहुंचता है कि ठेकेदार के नाम पता नियोजित स्थान की जानकारी कार्यालय में उपलब्ध रहती है जिससे उनकी इच्छा के विरुद्ध श्रमिकों को बलपूर्वक कार्य नहीं कराया जा सकता उनके वैधानिक स्वत्व का भुगतान नियम अनुसार किया जाना अनिवार्य हो जाता है इस कानून का पालन करने में सबसे बड़ी समस्या है अधिकांश श्रमिक बयान देते हैं कि देश के अंदर कही भी जाना उनका मौलिक अधिकार है वह अपनी इच्छा अनुसार जा रहे हैं विभाग का अमला काफी कम है कौन दलाल आता है कौन श्रमिक को एडवांस देता है या कोई गांव का व्यक्ति बाहर जाकर सौदा कर जाता है यह पता लगाना कठिन है तथा 'श्रम विभाग को श्रमिकों को रोकने का अधिकार नहीं है 'उन्हें अपराध के विरुद्ध अभियोग पत्र श्रम न्यायालय में प्रस्तुत करना है यह श्रमिकों के लिए स्थाई विकल्प नहीं है।

इसके लिए ग्रामीण स्तर पर पहल किया जाना आवश्यक है इसमें सरपंच और गांव के पंच को यह दायित्व प्रदान किया जाना चाहिए कि हर ग्राम पंचायत से कितने श्रमिक गए कौन ले गया नियोजित स्थान कहां है बिना सरपंच की अनुमति प्राप्त की ना गांव से जाने दिया जाये ये तो है प्रवास रोकने का वैधानिक विकल्प लीगल होगा।

परंतु स्थाई विकल्प के लिए आज भी ग्रामीण अंचल में ऐसे छोटे-बड़े कार्य प्रारंभ किए जायें जिससे उनके निवास के निकट श्रमिकों को रोजगार मिले ग्रामीण अंचल पर सहकारिता के आधार पर कार्य करवा कर उन्हें रोका जा सकता है संपूर्ण देश में "महाराष्ट्र ,गुजरात "ही ऐसा प्रांत है जहां सहकारी आंदोलन पूर्ण सफल है उसे मॉडल बनाकर उसका अनुसरण किया जाना अनिवार्य होगा जहां कृषि डेरी फार्म सब्जी फार्म मुर्गी पालन एवं वाणिज्य फसल वैज्ञानिक पद्धति से सहकारिता के आधार पर होता है जिसमें ग्रामीण अंचल के श्रमिकों की मालिकाना भागीदारी रहती है उपरोक्त योजना पर क्रियावन आवश्यक है किसी भी समस्या का वर्णन उसका समाधान नहीं है समस्या का कारण क्या है और निदान इसे समाप्त करने का लक्ष्य होना चाहिए ।

ईसे मिशन बना कर

ईमानदार प्रयास करना होगा

केवल तात्कालिक लाभ पहुंचाना उनके साथ धोखा होगा विकास की सीढ़ियां पर अंतिम आदमी को चढ़ाने का उद्देश्य हर सरकार का है पर क्या ईमानदार प्रयास है?

यह प्रश्न आजादी के 78 साल बाद भी विद्यमान है?

लेखक, भूतपूर्व श्रम अधिकारी हैं।

Gopal Rao

गोपाल राव: रायपुर में ग्रेजुएशन करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। विभिन्न मीडिया संस्थानों में डेस्क रिपोर्टिंग करने के बाद पिछले 8 सालों से NPG.NEWS से जुड़े हुए हैं। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं।

Read MoreRead Less

Next Story