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बस्तर का जंगल नहीं....ये ट्वीन सिटी भिलाई का बायोडायवर्सिटी पार्क है, प्रशासन ने विकसित किया हजारों पेड़ों की हरियाली से गुलजार 300 एकड़ का जंगल, सैर-सपाटे के लिए रमणीय जगह बना

बस्तर का जंगल नहीं....ये ट्वीन सिटी भिलाई का बायोडायवर्सिटी पार्क है, प्रशासन ने विकसित किया हजारों पेड़ों की हरियाली से गुलजार 300 एकड़ का जंगल, सैर-सपाटे के लिए रमणीय जगह बना
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By NPG News

भिलाई। फैक्ट्रियों से घिरी, शोर से भरी ट्विन सिटी के ट्रैफिक से गुजरते हुए यदि आप ऐसी जगह पहुंच जाएं जहां हजारों पेड़ों से घिरा वेटलैंड अपने प्रवासी पक्षियों के साथ आपका इंतजार कर रहा हो तो निश्चित ही आप चौंक जाएंगे। यह कोरी कल्पना नहीं है। दुर्ग-भिलाई के निवासी चंद कदमों की दूरी तय कर यह सुख सचमुच ले रहे हैं। जैवविविधता को विकसित करने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सोच से बायोडायवर्सिटी पार्क का सुंदर सपना ट्विन सिटी में तैयार हो गया है। यहां 300 एकड़ क्षेत्र को बायोडायवर्सिटी पार्क के रूप में विकसित किया गया है। तालपुरी के पास 300 एकड़ क्षेत्र में कुछ पुराने प्लांटेशन के साथ लगभग 30 हजार नये पौधे लगाकर बायोडायवर्सिटी पार्क को विकसित किया गया है। जापानी वैज्ञानिक मियावाकी द्वारा विकसित पद्धति पर आधारित तकनीक यहां अपनाई गई है। लगभग 103 प्रकार के फ्लोरा और 295 प्रकार के फौना यहां चिन्हांकित किये गये हैं। बायोडायवर्सिटी क्षेत्र के रूप में विकसित होने पर इनकी संख्या तेजी से बढ़ जाएगी और यह क्षेत्र अपनी विशिष्टता लेकर उभरेगा।


कैसे हुई पहल - तालपुरी के पास वेटलैंड में सुरखाब जैसे अनेक प्रवासी पक्षी आते थे। वेटलैंड होने की वजह से यहां का पारिस्थितिकी तंत्र इन्हें आकर्षित करने बहुत अच्छा था। मुख्यमंत्री की सोच थी कि हर शहर में बायोडायवर्सिटी पार्क हो ताकि शहर के लोगों को खुलापन मिले और प्रकृति को बड़े पैमाने पर सहेजा जा सके। जिला प्रशासन ने निर्णय लिया कि तालपुरी में वेटलैंड से बेहतर जगह बायोडायवर्सिटी पार्क को विकसित करने के लिए नहीं हो सकती। फिर निर्णय लिया गया कि वेटलैंड में पक्षियों की बसाहट के अनुकूल पेड़ लगाये जाएं। साथ ही फ्लौरा और फौना को विकसित करने के लिए भी पौधे लगाये जाएं। बायो डायवर्सिटी पार्क की विशेषता होती है कि इसमें बहुत विविधता होती है इसे ध्यान में रखते हुए ही अनेक तरह के पौधे लगाये गये।


3.5 किमी के ट्रैक में चारों ओर हरियाली का नजारा - एक खुशनुमा सुबह बिताने के लिए दुर्ग-भिलाई में इससे सुंदर जगह नहीं हो सकती। चारों ओर पेड़ों के बीच में बेंच बिछी है। कहीं बरगद के पेड़ के नीचे बैठने के पाटे लगाये गये हैं जहां देर तक सुबह बिताई जा सकती है। यहां मेडिटेशन के लिए हेडस्पेस जैसे किसी ऐप की जरूरत नहीं, सुबह चिड़ियों की चहचहाहट से भरी रहती है। छोटे-छोटे तालाब हैं जिनमें सुबह से ही कमल खिल जाते हैं। पक्षी प्रेमी भी यहां सुबह से ही जुट जाते हैं और अपने बायनाकुलर से पक्षियों को निहारा करते हैं। प्रवासी पक्षियों के अलावा लोकल बर्ड्स जैसे व्हिसलिंग डक्स और ग्रे हार्नबिल जैसे पक्षियों के लिए तो यह सबसे पसंदीदा जगह है। पक्षियों की ब्रीडिंग बढ़िया हो सके, इसके लिए वन विभाग के विशेषज्ञ लगातार कार्य कर रहे हैं।


शाम गुजारने के लिए ओपन थियेटर - पार्क में एक ओपन थियेटर भी बनाया गया है। यह वेटलैंड के बिल्कुल करीब है। पक्षियों की गूंज यहां नैचुरल बैकग्राउंड म्यूजिक का कार्य करती है। शाम गुजारनी हो तो इससे बेहतर भिलाई के लोगों के लिए कोई जगह नहीं हो सकती। जिन्हें थियेटर में रुचि नहीं, वे बर्ड वाचिंग कर सकते हैं अथवा लंबे वाकिंग ट्रैक में घूमकर मिनी जंगल का आनंद ले सकते हैं।


मेमोरियल पार्क - अपने परिजनों की स्मृतियां सुरक्षित रखने का यह बढ़िया तरीका हो सकता है कि उनके लिए पेड़ लगायें। यहां एक मेमोरियल पार्क भी बनाया गया है जहां लोग अपने परिजनों की स्मृति में पेड़ लगा सकते हैं। इससे उनका भावनात्मक जुड़ाव भी पार्क से होगा और प्रकृति को भी सहेजने में मदद मिलेगी।

क्यों जरूरी है बायोडायवर्सिटी पार्क - जिस तेजी से शहरीकरण हो रहा है प्रकृति में फ्लोरा और फौना के लिए जगह सीमित होती जा रही है। एक बायोडायवर्सिटी अथवा जैवविविधता पार्क समग्र तरीके से बढ़ता है और कुछ समय पश्चात अपने परिवेश से इसकी पहचान विशिष्ट तरीके से उभरती है। उदाहरण के लिए एक जामुन का पौधा अपना पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करता है। इसके अपने कीड़े होते हैं और पक्षी भी। इस प्रकार विशिष्ट रूप से पूरे पर्यावरण को सहेजने में यह छोटे-छोटे बायाडायवर्सिटी पार्क बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। ट्विन सिटी का यह डायवर्सिटी पार्क तो बहुत बड़ा है तो निश्चित ही स्टील सिटी के लोगों के लिए वरदान है।

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