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बारनवापारा अभ्यारण्य बोले तो प्रकृति के सौंदर्य की अद्भुत झलक, जानिए क्या खासियत है और पर्यटकों को क्यों खिंचता है यह अभयारण्य

बारनवापारा अभ्यारण्य बोले तो प्रकृति के सौंदर्य की अद्भुत झलक, जानिए क्या खासियत है और पर्यटकों को क्यों खिंचता है यह अभयारण्य
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By NPG News

दिव्या सिंह

रायपुर। बारनवापारा अभ्यारण्य की क्या खासियत है और पर्यटकों को क्यों खिंचता है यह अभयारण्य...

स्निग्ध रजनी से लेकर हास

रूप से भर कर सारे अंग,

नये पल्लव का घूंघट डाल

अछूता ले अपना मकरंद,

ढूढं पाया कैसे यह देश?

स्वर्ग के हे मोहक संदेश!

गूगल सर्च की दुनिया से बाहर यदि आप प्रकृति का असल सौंदर्य निहारना चाहते हैं, हिरणों की अबोध आंखों की भाषा पढ़ना चाहते हैं,घने पेड़ों की चादर तले आराम करना चाहते हैं, इनके बीच से छन-छन कर आती सूरज की किरणों को छू लेने का बचपना एक बार फिर करना चाहते हैं तो आपको अधिक दूर नहीं जाना होगा। प्रकृति का यह असीम सौंदर्य आपके आसपास ही है "बारनवापारा अभ्यारण्य" के रूप में। महादेवी वर्मा जी की उपरोक्त पंक्तियों को ज़हन में उतारिए और निकल पड़िए एक अविस्मरणीय यात्रा के लिए।

राजधानी रायपुर से महज़ 90 किलोमीटर की दूरी पर बलौदाबाज़ार जिले में स्थित है बारनवापारा अभ्यारण्य। करीब 245 वर्ग किलोमीटर में फैले इस अभ्यारण्य की स्थापना वर्ष 1976 में हुई थी। भौगोलिक विशेषताओ से युक्त ये एक ऐसा भूमि क्षेत्र है, जो कई छोटे छोटे पठारों से निर्मित है। इसका दक्षिणी – पूर्वी भाग मैदानी है. जबकि उत्तरी भाग पहाडियों से घिरा हुआ है। यहां के दो गांवों "बार" और "नवापारा" के नाम पर अभ्यारण्य का नाम रखा गया "बारनवापारा अभ्यारण्य"। जोंक और बलमदेही नदी अभ्यारण्य से होकर बहती हैं। यह अभ्यारण्य अपनी विविध वानस्पतिक विशेषताओं और वन्य जीवों के लिए जाना जाता है। इसके अंतर्गत करीब 22 गांव आते हैं, जिनमें प्रमुख रूप से आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं। उनकी संस्कृति व लोककलाओं की झलक यहां ठहरने के लिए बनाए गये रिज़ॉर्ट में भी मिलती है।

वृक्षों व झुरमुट की बातें-

"गिरिवर के उर से उठ-उठ कर

उच्चाकांक्षाओं से तरुवर

हैं झांक रहे नीरव नभ पर"

सुमित्रानंदन पंत जी की ये पंक्तियाँ स्त्य रूप में साकार हो जाएंगी जब आप यहाँ के विशाल वृक्षों को देखेंगे। यहाँ के घने जंगल को सागौन, साल और मिश्रित वनों से बांटा जा सकता हैं। साथ ही साजा, बीजा, लेंडिंया, हल्दू, सरई , धौंरा, आंवला और अमलतास, कर्रा आदि भी बहुतायत में हैं। इस वन में बांस के सुंदर झुरमुट हैं। सफेद कुलु के पेड़ पूरे अभ्यारण्य में फैले हुए है। दिसम्बर माह से अभ्यारण की नदियों-नालों का पानी कम होने लगता हैं। नदी तल में छोटे-छोटे ताल बहुत ही सुन्दर दिखते हैं।

हिरण भी हैं तो कोबरा और करैत भी

"उस सुदूर झरने पर जाकर हरिनों के दल पानी पीते

निशि की प्रेम-कहानी पीते, शशि की नव-अगवानी पीते..... (माखनलाल चतुर्वेदी जी)

इस अभ्यारण्य में आपको मासूम हिरणों के झुंड मिलेंगे तो दूधराज और बुलबुल भी, तेंदुए भी मिलेंगे और कोबरा भी, यानी प्राकृतिक सौंदर्य को निहारना भी है लेकिन सावधान भी रहना है। अभ्यारण्य के मध्य में 45 वर्ग किमी के क्षेत्र को कोर जोन में बांटा गया हैं। जिसमे पर्यटकों का जाना वर्जित हैं तथा बफर जोन पर्यटकों के लिए खुला हुआ रहता हैं। इस अभ्यारण में तेंदुएं, गौर , भालू , चीतल , सांभर, नीलगाय, जंगली सुअर सामान्यतः देखे जा सकते हैं। साथ ही कोटरी चौसिंगा, जंगली कुत्ता, लकड़बग्घा ,लोमड़ी इत्यादि भी आसानी से दिख जाते हैं। वही रेंगने वाले जीवों के प्रजातियों की बात की जाए तो कोबरा, करैत, अजगर जैसी सर्प प्रजातियां पाई जाती हैं। इस अभ्यारण में 150 से भी अधिक प्रजातियों के पक्षी पाए जाते हैं। जिनमें प्रवासी पक्षी भी शामिल हैं। प्रमुख पक्षियों में मोर, दूधराज, तोते, गोल्डन एरियल, ड्रेंगो, रॉबिन, पाई, कठफोड़वा, बुलबुल, हुदहुद, बाज़, उल्लू इत्यादि हैं

एडवेंचर और कैपिंग की भी सुविधा -

अभ्यारण्य में वॉच टावर बना हुआ है। यहां से पर्यटक दूर तक फैले हुए अभ्यारण्य को देख सकते हैं। पूरे अभ्यारण्य के अंदर आपको कच्ची सड़क ही देखने को मिलेगी। जंगल और खुले में विचरते जानवरों के बीच जिप्सी से घूमते हुए आप रोमांच का अनुभव करेंगे।

यहाँ Tribe.well ग्रुप की तरफ से बार (कसडोल) के जंगल में कैंपिंग, ट्रैकिंग, नाइट ट्रैकिंग और एडवेंचर एक्टिविटीज़ का भरपूर बंदोबस्त है। तो आपके साथ आए बच्चे भी भरपूर मज़े करेंगे।

अभ्यारण्य के भीतर जाने के लिए प्रवेश शुल्क 30 रुपये प्रति व्यक्ति निर्धारित है। इसके अलावा जिप्सी, कार आदि का किराया और साइट सीइंग के लिए जानकारी देने वाले गाइड का चार्ज अलग से है। बारनवापारा अभ्यारण्य घूमने के लिए नवंबर से जून तक का समय निर्धारित है। बारिश के दिनों में अभ्यारण्य बंद रहता है। अभ्यारण्य में घूमने के लिए दिन में दो समय निर्धारित हैं। सुबह 6 से 9 बजे तक और दोपहर 3 से शाम 6 बजे तक के समय में ही आप अभ्यारण्य घूम सकते हैं।

कैसे पहुँचें बारनवापारा अभ्यारण्य -

सड़क मार्ग - रायपुर, बिलासपुर, महासमुंद आदि आसपास के शहरों से सड़क मार्ग द्वारा आसानी से बारनवापारा पहुंचा जा सकता है। आप बस, कार, टैक्सी या बाइक से भी यहां तक पहुंच सकते हैं। रायपुर से बारनवापारा तक की सड़क की स्थित अच्छी है।

रेल मार्ग - यहाँ से महासमुंद रेलवे स्टेशन करीब 60 किलोमीटर की दूरी पर है। 131 किमी की दूरी पर रायपुर रेल जंक्शन है।

वायु मार्ग -

दूसरे राज्यों से आने वालों के लिए रायपुर एयरपोर्ट की सुविधा है, जो विभिन्न राज्यों से जुड़ा हुआ है।यहाँ से आप सड़क या रेल मार्ग से आसानी से बलौदाबाज़ार पहुंच सकते हैं और वहां से टैक्सी आदि लेकर अभ्यारण्य पहुंच जाएंगे।

कहाँ ठहरें

वन विश्राम गृह,बारनवापारा, होटल्स, पर्यावरण विभाग मोटेल, पर्यटक ग्राम बारनवापारा ,वन विश्राम गृह देवपुर, निरिक्षण कुटीर देवपुर, वन विश्राम गृह पकरीद, वन विश्राम गृह नवागांव,निरिक्षण कुटीर नवागांव आदि किसी में भी आप ठहर सकते हैं।

आसपास घूमने लायक जगहें - बारनवापारा देखने के बाद आप आसपास के सुंदर प्राकृतिक और धार्मिक महत्व के स्थलो को भी देख सकते हैं। कुछ प्रमुख स्थल इस प्रकार हैं -

तुरतुरिया-ऐसा माना जाता है कि तुरतुरिया में लव-कुश का जन्म हुआ था। राम मंदिर और एक छोटा सा वॉटरफॉल यहां की पहचान है। मंदिर के पास से वॉटरफॉल का पानी एक कुंड में गिरता है। गिरते वॉटरफॉल से तुरतुर की आवाज निकलती है। इसी आवाज के कारण यहां का नाम तुरतुरिया पड़ा है।

छाता पहाड़

छाता पहाड़ भी नज़दीक का दर्शनिय स्थल है। यहां पर एक बड़ा सा पत्थर है जहां संत श्री गुरुघासीदास जी को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। गिरौदपुरी आने वाले पर्यटक यहां जरूर आते हैं।

सिद्धखोल वॉटरफॉल

बारनवापारा में देवपुर से करीब 12 किलोमीटर की दूरी पर सिद्धखोल वॉटरफॉल स्थित है। जलप्रपात मिश्रित वनों से घिरा हुआ है।

सिरपुर

बारनवापारा से करीब 40 किलोमीटर की दूरी सिरपुर स्थित है। महानदी के तट पर स्थित इस जगह में लक्ष्मण मंदिर, पुरातात्विक संग्रहालय, स्वास्तिक विहार, बुद्ध विहार और गंधेश्वर महादेव मंदिर प्रमुख है। सिरपुर देखने के लिए पूरी दुनिया से पर्यटक आते हैं।

शिवरीनारायण

बारनवापारा से करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर महानदी और जोंक नदी के संगम पर शिवरीनारायण स्थित है। संगम में नहाने के लिए माघ पूर्णिमा पर यहां श्रद्धालुओं की भीड़ होती है। नहाने के बाद श्रद्धालू यहां स्थित शिव मंदिर में दर्शन करते हैं।

इसके अलावा देव और तेलई जलप्रपात, कुरुपाठ आदि भी दर्शनीय हैं।

आखिर में जाते-जाते -"है हृदय सरल,किया कीजै सरल सौंदर्य का भी रस-पान,

फ़िर लौटेगा बचपन, नाचेगा मन, होगी दूर थकान॥

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