कोरोना का कहर: देश के इन 8 राज्यों में कोरोना वायरस से बदतर हालात… 15 मई तक 50 लाख पहुंच सकते हैं कोरोना के एक्टिव केस… संक्रमण की चेन तोड़ना जरूरी
नईदिल्ली 26 अप्रैल 2021। देश में कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर में रोजाना कई लोगों की मौत हो रही है. एक्टिव मामलों की संख्या में भी तेजी से बढ़ती जा रही है. कोहराम मचा रही इस लहर के बीच आईआईटी के वैज्ञानिकों ने डरा देने वाला दावा किया है. कहा गया है कि भारत में 15 मई तक तकरीबन 50 लाख तक कोरोना के एक्टिव केस पहुंच सकते हैं. आईआईटी के मैथमैटिकल मॉडल के अनुसार, 14-18 मई के बीच दूसरे लहर की पीक होगी, जिसमें एक्टिव केस 38-48 लाख तक जा सकते हैं. वहीं, 4-8 मई के बीच रोजाना संक्रमण का आंकड़ा 4.4 लाख तक को छू सकता है। आईआईटी के इस दावे ने चिंताओं को और अधिक बढ़ा दिया है.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि, देश के आठ राज्यों में कोरोना को लेकर स्थिति वाकई काफी बदतर है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को प्रेस ब्रीफिंग के दौरान बताया कि जिन राज्यों में एक लाख से ज्यादा कोविड-19 के एक्टिव केस हैं, वो राज्य हैं- महाराष्ट्र, यूपी, कर्नाटक, केरल, राजस्थान, छत्तीसगढ़, गुजरात और तमिलनाडु. स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि हालांकि इस बीच तेजी के साथ लोगों को वैक्सीनेशन किया जा रहा है. अब तक 14 करोड़ 19 लाख लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है.
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सरकार ने कहा कि रिसर्च से पता चला है कि अगर सामाजिक दूरी का अनुपालन नहीं किया गया तो एक व्यक्ति 30 दिनों में 406 लोगों को संक्रमित कर सकता है. सरकार ने कोविड-19 मरीजों द्वारा जीवन रक्षक गैस की कमी का सामना करने के बीच कहा कि भारत के पास पर्याप्त मेडिकल ऑक्सीजन उपलब्ध है, चुनौती उन्हें अस्पतालों तक पहुंचाने की है.
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलोजी कानपुर और हैदराबाद ने सूत्र मॉडल को लगाते हुए एक्टिव केसों के बढ़ने की बात कही है. उनके अनुसार, मिड मई तक दस लाख और कोरोना के एक्टिव केस बढ़ सकते हैं. इससे पहले, पिछले हफ्ते रिसर्चर्स ने प्रिडिक्ट किया था कि 11-15 मई के बीच दूसरी लहर का पीक आ सकता है, जिसमें एक्टिव केस बढ़कर 33-35 लाख के बीच हो सकते हैं. बाद में मई के आखिर से कोरोना के नए मामले घटने लगेंगे, जिससे लोगों को राहत मिलेगी. हालांकि, इस महीने की शुरुआत में इसी मॉडल के हवाले से कहा गया था कि 15 अप्रैल तक एक्टिव केस का पीक आएगा, जोकि सच साबित नहीं हुआ. आईआईटी कानपुर में कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रोफेसर मनिंदर अग्रवाल ने कहा, ”इस बार हमने सबसे कम और सबसे ज्यादा वैल्यू को भी लिया है. मुझे पूरा विश्वास है कि जो दो संख्या दी गई है, उसके बीच में ही वास्तविक मामले होंगे.”
उन्होंने आगे कहा कि रेमडेसिविर को रामबाण या संजीवनी मान लेना गलतफहमी है. उसकी जमाखोरी उचित नहीं है. कोविड संक्रमण की शुरुआत में ही रिमेडिसिविर लेने से कोई फायदा नहीं देता. माइल्ड संक्रमण तो सपोर्टिव ट्रीटमेंट से भी ठीक हो जाता है. काढ़ा, घरेलू उपाय, भाप, गरारा से भी हल्का संक्रमण ठीक किया जा सकता है. पैनिक की जरूरत नहीं है.
रविवार को अग्रवाल ने ट्विटर थ्रेड में एक्टिव और नए कोविड मामलों के पीक के बारे में जानकारी दी थी. उन्होंने लिखा, ‘पीक आने का समय: 14-18 मई के दौरान एक्टिव केस और 4-8 मई के दौरान रोजाना सामने आने वाले नए संक्रमण के मामले. पीक वैल्यू: एक्टिव केसों के लिए 38-48 लाख और नए संक्रमण के लिए 3.4 लाख से लेकर 4.4 लाख तक.” अग्रवाल ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि मैंने अब पीक वैल्यू और टाइमिंग के लिए कई वैल्यूज की गणना की है और फाइनल नंबर इस रेंज में होने चाहिए। समय के साथ मॉडल के बदलते अनुमानों के बारे में बताते हुए अग्रवाल ने कहा, ”प्राथमिक वह यह है कि भारत के लिए वर्तमान फेज के पैरामीटर मूल्यों में निरंतर धीमी गति के बहाव से चल रहा है. इससे सही वैल्यू का अनुमान लगाना मुश्किल हो जाता है.
वहीँ एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि भविष्य को लेकर लोग पैनिक कर रहे हैं. पैनिक नहीं होना है. लोग पैनिक होकर अस्पतालों में जगह, दवाएं, ऑक्सीजन सिलेंडर आदि जमा कर रहे हैं. ये गलत है. इससे कई बार नुकसान भी होता है. जिनका ऑक्सीजन लेवल 92 से 94 है तो उन्हें ऑक्सीजन लगाकर ऑक्सीजन लेवल 98 करने की जरूरत नहीं है. ऑक्सीजन जरूरतमंदों के लिए रहने दें. ऑक्सीजन का लीकेज और दुरुपयोग रोकना जरूरी है. पेट के बल लेटकर ब्रीदिंग एक्सरसाइज करना उचित है.