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जन्माष्टमी की तारीख पर कन्फ्यूजन हुआ खत्म…..जानिये किस तिथि को मनायी जायेगी…. मथुरा और कान्हा के गांव गोकुल से मिली सटीक जानकारी

जन्माष्टमी की तारीख पर कन्फ्यूजन हुआ खत्म…..जानिये किस तिथि को मनायी जायेगी…. मथुरा और कान्हा के गांव गोकुल से मिली सटीक जानकारी
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By NPG News

रायपुर 10 अगस्त 2020। कृष्णा जन्माष्टमी कब है, ये सवाल हर साल की तरह इस बार भी लोग गूगल में सर्च कर रहे हैं. हालांकि इस कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते मंदिरो में हो इस बार हर बाार की तरह रौनक नहीं दिखाई देगी लेकिन लोग घरों में खास अंदाज में कृष्ष जन्मोत्सव मनाने की तैयारी कर रहे हैं. दरअसल कृष्ण जन्म को लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं और इस त्यौहार को पूरे देश में जोर-शोर से मनाया जाता है. भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव को जहां साधु-संत अपने तरीके मनाते हैं तो आम जनता इसको दूसरी तरह से मनाती है.

जगह-जगह पर झांकिया सजाई जाती हैं तो महाराष्ट्र में दही-हांडी के खेल का आयोजन किया जाता है. मथुरा में ब्रज सहित समूचे देश और विदेश में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 12 अगस्त को मनाया जाएगा, वहीं नन्दगांव में एक दिन पूर्व इसका आयोजन किया जाएगा जहां पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान कृष्ण का बचपन व्यतीत हुआ था. ब्रज के मंदिरों में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (janmashtami) का पर्व धूमधाम से मनाए जाने के बावजूद कोरोना वायरस संकट के चलते इसे इस बार सार्वजनिक रूप नहीं दिया जाएगा. न ही इस अवसर पर श्रीकृष्ण जन्मस्थान आदि मंदिरों में भक्तों को विशेष प्रसाद का वितरण किया जाएगा. नन्दगांव में सैकड़ों वर्षों से चली आ रही ‘खुशी के लड्डू’ बांटे जाने की परम्परा भी नहीं निभाई जाएगी.’

मंगलवार, 11 अगस्त को स्मार्त समुदाय के लोग जन्माष्टमी मनाएंगे. यानी जो शादी-शुदा लोग, पारिवारिक या गृहस्थ लोग जन्माष्टमी का व्रत रखेंगे. जबकि बुधवार, 12 अगस्त को उदया तिथि में वैष्णव जन के लोग जन्माष्टमी मनाएंगे. मथुरा और काशी में जितने भी मंदिर है, वहां 12 तारीख को ही जन्माष्टमी होगी.

11 अगस्त को सूर्योदय के बाद ही अष्टमी तिथि शुरू होगी. अष्टमी तिथि मंगलवार, 11 अगस्त सुबह 9:06 बजे से शुरू हो जाएगी. यह तिथि बुधवार, 12 अगस्त सुबह 11:16 मिनट तक रहेगी. वैष्णव जन्माष्टमी के लिए 12 अगस्त का शुभ मुहूर्त बताया गया है. बुधवार रात 12.05 बजे से 12.47 बजे तक बाल-गोपाल की पूजा-अर्चना की जा सकती है.

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी में अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का खास ध्यान रखा जाता है. जब ये दोनों योग आपस में मिलते हैं तो जयंती योग बनता है. दूसरे शब्दों में कहें तो सामान्य वर्ग के लोग 11 अगस्त को ही जन्माष्टमी मनाएंगे. जबकि वैष्णव, संन्यासी या बैरीगी 12 अगस्त को जन्माष्टमी मनाएंगे.

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