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कलेक्टर, एसपी जिम्मेदार नहीं?

कलेक्टर, एसपी जिम्मेदार नहीं?
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By NPG News

संजय कुमार दीक्षित
तरकश, 3 मई 2020
चीफ सिकरेट्री आरपी मंडल अफसरों को समन्वय का संदेश देने के लिए डीजीपी और पीसीसीएफ को बराबर मौका देते हैं। मीटिंगों में भी और दौरों में भी। लेकिन, वाड्रफनगर की एसडीएम और एसडीओपी के बीच जो हुआ और पेंड्रा में जो चल रहा, उसे प्रशासन के लिए अच्छा नहीं कहा जा सकता। क्या वाड्रफनगर की घटना के लिए बलरामपुर के कलेक्टर, एसपी की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती। सवाल ये भी उठते हैं कि कलेक्टर, एसपी अगर स्ट्रांग हो तो एसडीएम, एसडीओपी आपस में भिड़ सकते हैं? राज्य बनने के बाद ऐसा कभी नहीं हुआ, जो वाड्रफनगर में हुआ। और, जो पेंड्रा में हो रहा है, उसके लिए बिलासपुर रेंज के कमिश्नर, आईजी भला जिम्मेदारी से कैसे बच सकते हैं। ऐसा ही एक वाकया राज्य बनने के पहिले 1997 में हुआ था, जिसका जिक्र इस कॉलम में एक बार किया जा चुका है। जशपुर के कलेक्टर विनोद कुमार और एसपी एसआरपी कल्लूरी में किसी सीएमओ आफिस में दबिश को लेकर टकराव के हालात बन गए थे। उस समय मदनमोहन उपध्याय बिलासपुर के कमिश्नर थे और एसएस बड़बड़े आईजी। दोनों ने अपने स्तर पर इस केस को हैंडिल कर लिया था। मामला तब के सीएम दिग्विजय सिंह तक पहुंच ही नहीं पाया। आखिर, छत्तीसगढ़ के कलेक्टर, एसपी, कमिश्नर, आईजी ऐसा क्यों नहीं कर पा रहे? इसके लिए वीसी में सीएस को टोकना पड़ रहा है।

स्मार्ट अफसर?

बिलासपुर के सीएसपी अभिनव उपध्याय ने पेट्रोल पंप कर्मी को जमकर धुना और बाद में कोरोना में गाना गाकर देश में सुर्खिया बटोर ली। उसी तरह का वाकया जांजगीर में हुआ। महिला एसडीएम की मौजूदगी में पुलिस ने एक व्यापारी को इस कदर पिट डाला कि उसे बिलासपुर के अपोलो अस्पताल शिफ्थ करना पड़ा। अभी भी वह आईसीयू में है। उसका कसूर सिर्फ यह था कि रोजी-रोटी के लिए वह दुकान खोल दिया था। एसडीएम कार्रवाई करने पहुंची तो वह वीडियो बनाने लगा। महिला एसडीएम ने इसके बाद कैम्प में रुकाए गए मजदूरों के लिए खाना बनाते हुए वीडियो डाला और सोशल मीडिया में लोग उन्हें सैल्यूट कर रहे हैं। आप भी मान गए न!

सदन में दो आईएएस

नेताओं और नौकरशाहों से गुलजार रहने वाला दिल्ली का छत्तीसगढ़ सदन में आज की तारीख में सिर्फ दो आईएएस हैं। सुबोध सिंह और मुकेश बंसल। दोनों भिलाई, रायपुर में परिवार के साथ होली मनाकर 12 मार्च को बच्चों से यह बोलकर दिल्ली निकले थे कि एक संडे गैप देकर उसके बाद वाले वीक ऑफ में जरूर आएंगे। तब तक 24 मार्च को लॉकडाउन का ऐलान हो गया। सुबोध और मुकेश 50 दिनों से सदन में फंसे हुए हैं। पत्नी, बच्चों से संपर्क करने के लिए वीडियाकॉल का ही सहारा है। दोनों आईएएस एक्स सीएम रमन सिंह के सचिवालय में एक साथ काम कर चुके हैं। याने सुख में भी साथ और अब संकट में भी।

छत्तीसगढ़ की बेटी

छत्तीसगढ़ की बेटी कोरोना में देश के लिए बड़ा काम कर रही हैं। हम बात कर रहे हैं, पंजाब कैडर की आईएएस आनंदिता मित्रा की। आनंदिता बिलासपुर की रहने वाली हैं। आईएएस में उन्हें पंजाब कैडर मिला। फिलहाल वे डायरेक्टर जनसंपर्क के अलावा डायरेक्टर फूड एंड सिविल सप्लाई के पद पर हैं। कोरोना के संकट के दौरान केंद्र ने उन पर अन्य राज्यों के साथ कोआर्डिनेशन करके फूड ग्रेन सप्लाई करने का अहम जिम्मेदारी सौंपी है। और, इस दायित्व को बखूबी संभालते हुए अब तक 1085 रैक खाद्यान्न दूसरे राज्यों में भिजवा चुकी हैं। एफसीआई की अधिकारिक जानकारी के अनुसार 44 फीसदी फूड ग्रेन अकेले पंजाब ने दूसरे राज्यों में भेजा है। सोशल डिस्टेंसिंग और सेनेटाइजेशन को फॉलो करते हुए। वो भी तब जब पंजाब की स्थिति अच्छी नहीं है। पूरे राज्य में कर्फ्यू के हालात हैं। बावजूद इसके आनंदिता कोरोना के फ्रंट पर डटी हुई हैं। आनंदिता 2006 बैच की आईएएस हैं। उन्हें ऑल इंडिया में आठवां रैंक मिला था।

दो महापौर, एक जन्मदिन

एक मई को सूबे के दो सबसे बड़े नगर निगमों के महापौरों का जन्मदिन आता है। रायपुर के एजाज ढेबर और बिलासपुर के रामशरण यादव का। दोनों में एक समानता और है कि दोनों एक-दूसरे के चलते महापौर बन पाए। एजाज के चलते रामशरण मेयर बन गए और रामशरण के चलते एजाज। समझने वाले इस सियासी गणित को समझ जाएंगे।

लिस्ट अभी नहीं

लॉकडाउन बढ़ने के साथ ही अब कलेक्टरों की बहुप्रतीक्षित लिस्ट एक बार फिर आगे बढ़ गई है। अभी तक खबर थी 3 मई के बाद लॉकडाउन खुलने के बाद कलेक्टरों की लिस्ट निकलेगी। लेकिन, छत्तीसगढ़ के लिए आने वाले 15 दिन बेहद महत्वपूर्ण रहेंगे। दूसरे राज्यों में फंसे डेढ़ लाख से अधिक मजदूर प्रदेश लौटेंगे। तब छत्तीसगढ़ के अफसरों की असली परीक्षा होगी। ऐसे में, सरकार कभी नहीं चाहेगी कि कलेक्टरों को बदला जाए। जाहिर है, कलेक्टरों के ट्रांसफर अरसे से किसी-न-किसी वजह से टलते जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ में दर्जन भर से अधिक कलेक्टरों को बदला जाना है।

वीसी में ताली

कटघोरा में जब कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़ी थी तो पिछली वीडियोकांफ्रेंसिंग में चीफ सिकरेट्री आरपी मंडल ने कोरबा कलेक्टर किरण कौशल की जमकर क्लास ले ली थी। लेकिन, किरण ने जब फास्ट ढंग से कोरोना को कंट्रोल किया, 1 मई की वीसी में चीफ सिकरेट्री आरपी मंडल ने किरण के लिए ताली बजवाई। वीसी में मौजूद डीजीपी, पीसीसीएफ, सिकरेट्रीज समेत सभी कलेक्टरों ने किरण को ताली बजाकर ओवेशन दिया। सीएस ने कोरोना में अच्छे काम करने वाले कुछ और विभागों के लिए भी ताली बजवाई।

पड़ोसियों से खतरा

छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार ने कोरोना को कंट्रोल करके रखा है। मगर उसकी सीमा से लगे पांच राज्यों की स्थिति विकट होती जा रही है। और, असली खतरा यही है। छत्तीसगढ़ में 15 अप्रैल को 33 मरीज थे और एक मई को यह ब़ढ़कर 43। लेकिन, इसी अवधि में झारखंड 27 से 104, मध्यप्रदेश 987 से 2660, महाराष्ट्र 2687 से 9915, तेलांगना 695 से 1312 और उड़ीसा में 60 से बढ़कर 128 पॉजिटिव मरीज हो गए। याने पड़ोसी राज्यों में तीन गुना मरीज बढ़े और छत्तीसगढ़ में मात्र 10। छत्तीसगढ़ के शासन, प्रशासन के लिए यह बड़ी चुनौती है कि इस स्थिति को कायम रखें।

कलेक्टरों की क्लास

कोरोना में सूबे के अधिकांश कलेक्टर खुद निर्णय लेने की बजाए फाइल शासन को भेजकर भार टालने का काम कर रहे हैं। चीफ सिकरेट्री आरपी मंडल की वीसी में इसको लेकर कलेक्टरों की खिंचाई हुई। मंडल ने इस पर नाराजगी जताई कि कलेक्टरों को जिन चीजों के लिए स्पष्ट तौर पर इंस्ट्रक्शन दे दिए गए हैं, उसे भी मंजूरी के लिए सरकार को भेज दे रहे। इससे काम अटक रहा। एसीएस टू सीएम सुब्रत साहू ने भी कहा कि जो अनुमति कलेक्टर खुद दे सकते हैं, उसे सरकार को भेजने का कोई तुक नहीं। वीसी में कुछ कलेक्टरों को बार्डर पर ढिलाई बरतने के लिए मंडल ने कलेक्टरों की क्लास ली। बस्तर के सातों कलेक्टरों को उन्होंने आगाह किया कि कोई केस नहीं मिलने का ये मतलब नहीं कि घर में बैठ जाओ।

अंत में दो सवाल आपसे

1. देश की शीर्ष सेवा माने जाने वाले आईएएस अफसर कोरोना के खिलाफ जंग में एक दिन का वेतन दें, इससे आप कितना सहमत हैं?
2. क्या किसी जिले के एसपी को ट्रांसपोर्ट में भेजने पर विचार किया जा रहा है?

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