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कलेक्टर, एसपी खौफजदाः सत्ता परिवर्तन की अटकलों से छत्तीसगढ़ के कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों की नींद उड़ी, सताने लगी ब्यूरोक्रेसी में बदलाव की आशंका

कलेक्टर, एसपी खौफजदाः सत्ता परिवर्तन की अटकलों से छत्तीसगढ़ के कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों की नींद उड़ी, सताने लगी ब्यूरोक्रेसी में बदलाव की आशंका
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By NPG News

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रायपुर, 27 अगस्त 2021। ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री के फार्मूले में अभी कांग्रेस हाईकमान का अंतिम फैसला क्या होगा स्पष्ट नहीं हो पाया है, लेकिन, सूबे के अधिकारियों की धड़कनें अवश्य बढ़ गई है कि उनका क्या होगा। खासतौर वे आईएएस, आईपीएस ज्यादा चिंतित दिखाई पड़ रहे हैं, जो हाल के दिनों में कलेक्टर, एसपी की पोस्टिंग पाए हैं।

ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री को लेकर सिर्फ सियासत ही नहीं गरमाई है, राज्य के नौकरशाह भी सांस रोककर हवा का रुख भांपने की कोशिश कर रहे हैं। वैसे भी सियासी बयार को समझने में ब्यूरोक्रेसी का कोई सानी नहीं। चुनाव के दौरान वोटिंग से वे अंदाजा लगा लेते हैं कि ऊंट किस करवट बैठने वाला है। छत्तीसगढ़ में ही 2008 के विधानसभा चुनाव में भाजपा जब पिछड़ने लगी थी तो कई अधिकारी बुके लेकर अजीत जोगी के बंगले की ओर निकल गये थे। तब इस पर मीडिया में काफी कुछ छपा था। बता दें, 2008 में अजीत जोगी भले ही सीएम की दौड़ में नहीं थे, मगर माहौल ऐसा बना हुआ था कि कांग्रेस जीती को जोगी ही मुख्यमंत्री बनेंगे।
बहरहाल, 24 अगस्त को दिल्ली में राहुल गांधी से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और वरिष्ठ मंत्री टीएस सिंहदेव की मुलाकात हुई थी। इसके अगले दिन भूपेश रायपुर लौटे। एयरपोर्ट पर उन्होंने जिस तरह इशारे-इशारे में सिंहदेव को निशाने पर लिया, उससे लोगों को समझ में आ गया था कि मामला शांत नहीं हुआ है। ब्यूरोक्रेसी भी उसी के बाद से बेचैन है।

कांग्रेस आलाकमान का फैसला क्या आता है ये देर शाम तक मालूम पड़ जाएगा लेकिन, अधिकारी दिल्ली से आने वाली पल-पल की खबरों पर नजर रखे हुए हैं। पिछले तीन दिन से मंत्रालय, इंद्रावती भवन समेत जिला कार्यालयों में भी कामकाज ठप है। आफिसों में फाइलों को एकतरफ करके सारे लोग इसी चर्चा में मशगूल हैं कि सूबे की राजनीति किसी तरह करवट लेगी। भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बनें रहेंगे या सत्ता में कोई बदलाव होगा।

सियासी बदलाव हो या न हो, लेकिन जो कलेक्टर, एसपी पिछले महीने जिलों में गए हैं, वे अत्यधिक परेशान हैं। जो जिले में नहीं हैं या मुख्य धारा से कटे हुए हैं, उनमें भी उत्सुकता कम नहीं है। मंत्रालय के सिकरेट्री, इंद्रावती भवन के विभागाध्यक्षों के साथ ही बोर्ड, निगमों के अधिकारी भी चर्चा में व्यस्त हैं कि उनके लिए क्या मुफीद रहेगा।

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