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कलेक्टर ने रचा इतिहास : ओलंपिक में IAS ने जीता सिल्वर मैडल… बैडमिंटन सिंगल में जीता देश के लिए मैडल… 2007 बैच के कलेक्टर ओलंपिक पदक जीतने वाले देश के पहले IAS… 7 जिलों के रह चुके हैं कलेक्टर… जानिये उनके बारे में

कलेक्टर ने रचा इतिहास : ओलंपिक में IAS ने जीता सिल्वर मैडल… बैडमिंटन सिंगल में जीता देश के लिए मैडल… 2007 बैच के कलेक्टर ओलंपिक पदक जीतने वाले देश के पहले IAS… 7 जिलों के रह चुके हैं कलेक्टर… जानिये उनके बारे में
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By NPG News

टोक्यो 5 सितंबर 2021।

कलेक्टर सुहास एल यथिराज ने पैरालंपिक में कमाल कर दिया। बैडमिंटन के सिंगल मुकाबले में IAS सुहास ने देश के लिए सिल्वर मेडल जीता। इस जीत के साथ सुहास देश के इकलौते IAS अफसर बन गये हैं, जिन्होंने ओलंपिक में मैडल जीता है। रविवार को हुए फाइनल मैच में वर्ल्ड नंबर थ्री सुहास आज बैडमिंटन के मेंस सिंगल्स SL4 इवेंट के गोल्ड मेडल मैच में कड़े संघर्ष के बावजूद फ़्रांस के एल माजुर से 21-15, 17-21, 15-21 से हार गए. हालांकि इस हार के बावजूद भी उन्होंने भारत के लिए इन पैरालंपिक गेम्स में इतिहास रच दिया है.भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी और गौतम बुद्ध नगर के जिलाधिकारी सुहास एल यथिराज ने टोक्यो पैरालंपिक में सिल्वर मेडल अपने नाम किया है. भले ही सुहास को फाइनल में हार का सामना करना पड़ा हो, लेकिन उन्होंने रोमांचक मैच खेला और इतिहास रच दिया. वे ओलंपिक में पदक जीतने वाले देश के पहले डीएम हैं. आईए जानते हैं कि सुहास ने कैसे जिलाधिकारी रहने के साथ साथ ओलंपिक तक का सफर तय किया.

सुहास एलवाई (Suhas LY) का जन्म कर्नाटक के शिमोगा में हुआ. जन्म से ही दिव्यांग (पैर में दिक्कत) सुहास शुरुआत से IAS नहीं बनना चाहते थे. वो बचपन से ही खेल के प्रति बेहद दिलचस्पी रखते थे. इसके लिए उन्हें पिता और परिवार का भरपूर साथ मिला.सुहास का क्रिकेट से काफी प्रेम है. यह उनके पिता की ही देन है. परिवार ने उन्हें कभी नहीं रोका, जो मर्जी हुई सुहास ने उस गेम को खेला और पिता ने भी उनसे हमेशा जीत की उम्मीद की. पिता की नौकरी ट्रांसफर वाली थी, ऐसे में सुहास की पढ़ाई शहर-शहर घूमकर होती रही. सुहास की शुरुआती पढ़ाई गांव में हुई. इसके बाद उन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी से कम्प्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की. 2005 में पिता की मृत्यु के बाद सुहास टूट गए थे. सुहास ने बताया कि उनके जीवन में पिता का महत्वपूर्ण स्थान था, पिता की कमी खलती रही.

पिता की मौत के बाद UPSC की तैयारी शुरू की

सुहास ने पिता की मौत के बाद ठान लिया था कि उन्हें सिविल सर्विस ज्वाइन करनी है. ऐसे में उन्होंने UPSC की तैयारी शुरू की. UPSC की परीक्षा पास करने के बाद उनकी पोस्टिंग आगरा में हुई. फिर जौनपुर, सोनभद्र, आजमगढ़, हाथरस, महाराजगंज, प्रयागराज और गौतमबुद्धनगर के जिलाधिकारी बने. 2007 बैच के आईएएस अधिकारी सुहास इस समय गौतम बुद्ध नगर के जिलाधिकारी हैं. पिछले साल मार्च में महामारी के दौरान सुहास को नोएडा का जिलाधिकारी बनाया गया था.

कलेक्टर रहते शुरू किया प्रोफेशनल बैडमिंटन

आजमगढ़ में डीएम रहते सुहास का बैडमिंटन प्रेम शुरू हुआ. हालांकि, वे बचपन से ही बैडमिंटन खेलते थे. लेकिन ये एक हॉबी जैसा ही था वे प्रोफेशनल रूप में बैडमिंटन नहीं खेल रहे थे. आजमगढ़ में वे एक बैडमिंटन टूर्नामेंट में उद्घाटन करने गए थे. यहीं से उनकी किस्मत ने मोड़ लिया. उन्होंने आयोजनकर्ताओं से अपील की कि क्या वे इस टूर्नामेंट में हिस्सा ले सकते हैं. आयोजनकर्ताओं ने उन्हें तुरंत इजाजत दे दी. इस टूर्नामेंट में DM सुहास के अंदर छिपा खिलाड़ी निखरकर सामने आया. इस मैच में उन्होंने राज्य स्तर के कई खिलाड़ियों को मात दी. और उनकी खूब चर्चा हुई. तभी देश की पैरा-बैडमिंटन टीम के वर्तमान कोच गौरव खन्ना ने उन्हें देखा और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने के लिए प्रेरित किया.

एशियन चैंपियनशिप में जीत चुके गोल्ड

राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुहास ने खासी कामयाबी हासिल की है. 2016 में चीन में आयोजित एशियन चैंपियनशिप में पुरुषों के एकल स्पर्धा में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता था. इस टूर्नामेंट में वे पहले गोल्ड जीतने वाले नॉन रैंक्ड खिलाड़ी थे. सुहास 2017 में तुर्की में आयोजित पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप में भी पदक जीत चुके हैं. उन्होंने कोरोना से पहले 2020 में ब्राजील में गोल्ड जीता था.सिल्वर जीतने के बाद नोएडा डीएम सुहास एलवाई ने कहा, मैं बहुत खुश हूं कि मैंने टोक्यो में पैरालंपिक खेलों में भारत के लिए सिल्वर मेडल जीता. अभी कुछ देर पहले पीएम मोदी ने फोन कर मुझे बधाई और देशवासियों से मिल रहीं बधाइयों के बारे में जानकारी दी.

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