Begin typing your search above and press return to search.

गणतंत्र दिवस के कार्यक्रमों पर आचार संहिता का पहरा

गणतंत्र दिवस के कार्यक्रमों पर आचार संहिता का पहरा
X
By NPG News

रायपुर 21 जनवरी 2019. इस बार चुनावी मौसम में गणतंत्र दिवस के कार्यक्रमों पर भी आचार संहिता का पहरा है। न तो खुलकर लाउडस्पीकर, डीजे का इस्तेमाल होगा और न ही सभाओं, जुलूस आदि के आयोजन भी बेधड़क किए जा सकेंगे। शिक्षण संस्थानों सहित अन्य कई संस्थाओं में भी इसे लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। वहीं, राजनीतिक व्यक्तियों के लिए भी गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम प्रचार माध्यम नहीं बन सकेंगे।

पहले चरण की चुनाव प्रक्रिया के बीच ही गणतंत्र दिवस आ रहा है। आचार संहिता को लेकर चुनाव आयोग और जिला प्रशासन संजीदा बना हुआ है। आचार संहिता के प्रावधानों के साथ ही धारा 144 भी लागू है। इसका सीधा मतलब है कि इस बार गणतंत्र दिवस पर धमाल नहीं हो सकेगा। इसे बहुत ही सादगी से मनाना होगा। लाउडस्पीकर, डीजे जैसी तेज आवाज वाली व्यवस्थाओं को प्रशासन से इजाजत मिलना मुश्किल ही होगी। वहीं, जुलूस, सार्वजनिक स्थलों पर धूम-धड़ाके के कार्यक्रमों को भी अनुमति नहीं दी जाएगी। यही नहीं, सामान्य तौर पर कार्यक्रमों के मंच पर दहाड़ने वाले नेताओं को इस बार जगह मिलना मुश्किल होगी। नेता आते हैं तो उनके साथ ही आयोजक भी आचार संहिता की कार्रवाई में फंस सकते हैं।

गणतंत्र दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्व पर हर बार ही शुभकामनाओं का सिलसिला लगा रहता था। खासतौर से राजनीतिक दल से जुड़े लोग बैनर, पोस्टर, होर्डिंग, बल्क मैसेज आदि के माध्यम से शुभकामना देकर अपना प्रचार करते हैं। लेकिन आचार संहिता के चलते इस तरह के प्रचार पर भी निगरानी रखी जाएगी। यदि राजनीतिक दल या उम्मीदवार इस तरह का कोई प्रचार करते हैं तो इसे चुनाव खर्च में जोड़ा जा सकता है।

सोशल मीडिया में हो रहा वायरल आचार संहिता में शासकीय सेवक कैसे गणतंत्र दिवस मनाए,क्या-क्या है नियम आप भी जाने

आचार संहिता लगने के बाद यह कार्यक्रम पूर्णत: सरकारी कार्यक्रम हो जाता है प्रधानपाठक/प्राचार्य ध्वजारोहण करे। कार्यक्रम को सादगी पूर्ण तरीके से मनाये। कोशिश करे की 10 बजे तक प्रोग्राम समाप्त हो जाए। ध्वनि विस्तारक यंत्रो की ध्वनि को कम रखकर कार्यक्रम का संचालन करे।सांस्कृतिक कार्यक्रम को लिमिट में रखे। शासकीय नियमानुसार बच्चो को मिड डे मिल करवाए।

ये ना करे:

पंच/सरपंच/जनपद/जिला पंचायत के वर्तमान या भूतपूर्व प्रत्याशी को मंच में चढने ना दे। किसी भी जनप्रतिनिधि को मंच या माइक ना सौपे। किसी के नाम के संबोधन में भूतपूर्व या वर्तमान पंच सरपंच थे ,ऐसा संबोधन ना करे। बची हुई ड्रेस/जूता या किसी दानदाता द्वारा बच्चो को दी गयी सामग्री का वितरण मंच से ना करे। किसी भी जनप्रतिनिधि का स्वागत शिक्षको द्वारा ना कराये।

आचार संहिता में प्रशासन पावर में होता है जबकि जनप्रतिनिधि पॉवरलेश हो जाता है। गाँव में अलग अलग पार्टी के नेता होते है किसी को भी परोक्ष/अपरोक्ष रूप से तवज्जो ना दे।ये लोग अपने फायदे के लिए किसी को भी फँसा देंगे।

Next Story