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CM सर ! पापा को तो नहीं बचा सका….उनके दशकर्म के लिए घर तो भेजवा दीजिये …..शिक्षक की मुख्यमंत्री से मार्मिक गुहार…..”पिता की मौत पर अनजान शहर में चार कंधे तक नहीं मिले…मां की भी हालत हो रही है बेहद गंभीर”….तेरहवीं को तरस रहा है ये परिवार….मदद कीजिये

CM सर ! पापा को तो नहीं बचा सका….उनके दशकर्म के लिए घर तो भेजवा दीजिये …..शिक्षक की मुख्यमंत्री से मार्मिक गुहार…..”पिता की मौत पर अनजान शहर में चार कंधे तक नहीं मिले…मां की भी हालत हो रही है बेहद गंभीर”….तेरहवीं को तरस रहा है ये परिवार….मदद कीजिये
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By NPG News

सीएम सर, प्लीज मेरी मदद कीजिये !! मैं अपने पिता को तो नहीं बचा सका…लेकिन इतनी हेल्प कर दीजिये कि मैं अपने पिता की आखिरी इच्छा पूरी कर सकूं, पापा के गुजर जाने के बाद मां की तबीयत भी बहुत खराब है…मेरी मदद कीजिये सर….मुझे मेरे लौटने की परमिशन दिला दीजिये सर!

रायपुर 9 मई 2020। इस कोरोना ने बिलासपुर के देवकांत को चौतरफा दर्द दिया है…। पिता कैंसर से जूझ रहे थे, इलाज कराने पुणे पहुंचे…लेकिन वो जिंदगी की जंग हार गये…जैसे-तैसे पिता की अंत्योष्टि तो पुणे में कर दी, लेकिन अब लॉकडाउन पिता के दशकर्म के आड़े आ गया है। देवकांत अपने परिवार के साथ घर लौटना चाहते हैं…ताकि पिता का क्रिया कर्म कर सके, लेकिन उन्हें ना तो लौटने की इजाजत मिल रही है और ना ही अधिकारी फरियाद सुन रहे हैं।

अब आखिरी उम्मीद के रूप में देवकांत ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से गुहार लगायी है। NPG को भेजे अपने फरियाद में देवकांत ने बताया है कि वो बिल्हा के रहने वाले हैं और तेलीपारा बिलासपुर के हाईस्कूल लोफंदी स्कूल में लेक्चरर के पद पर हैं। पिता की कैंसर की बीमारी मालूम होने पर वो परिवार के साथ बीमार पिता को लेकर 16 मार्च को पुणे पहुंचे थे। इसी दौरान देश में लॉकडाउन हो गया। हालांकि लाकडाउन में परेशानी नहीं थी, क्योंकि पिता का इलाज चल रहा था।

लेकिन इसी बीच 28 अप्रैल को पिता ने कैंसर से दम तोड़ दिया। जैसे-तैसे हाथ-पांव जोड़कर देवकांत ने पिता का अंतिम संस्कार तो कर दिया, लेकिन अब परेशानी उनके क्रियाकर्म को लेकर है। रविवार को उनका दशकर्म होना है और फिर बुधवार को तेरहवीं है। पिता ने आखिरी पलों में देवकांत से ये कहा था कि “अगर उन्हें कुछ हो गया तो उनका क्रियाकर्म गांव में ही करना, लेकिन मैंने पूरी जिंदगी यही जी है”

देवकांत बताते हैं कि पुणे शहर में मेरा कोई नहीं है, दुर्भाग्य ये रहा कि इस शहर में उन्हें पिता की अर्थी को कांधा देने वाला भी कोई नहीं मिला, बहुत मुश्किल से बेटा और भाई की मदद से उन्होंने पिता का अंतिम संस्कार किया है। दो महीने से पुणे जैसे शहर में रहकर उनके सारे पैसे भी खत्म हो गये हैं, वो किसी भी तरह से वापस लौटना चाहते हैं..ताकि पिता का क्रियाकर्म कर सके।

देवकांत बताते हैं कि पिता के देहांत के बाद मां की तबीयत भी बेहद खराब है, स्थिति ये है कि माँ को संभाले या अपने आप को । कैंसर के इलाज और इतने लंबे समय से यह फसे रहने के कारण हमारे पास अभी पैसे भी समाप्त हो चुके हैं। उन्होंने कहा है कि परिवार ने शासन के निर्देश के अनुसार जो भी आवश्यक दस्तावेज और प्रक्रिया लगनी है उसे पूर्ण कर लिया है (मेडिकल सर्टिफिकेट , डेथ सर्टिफिकेट आदि) और ऑनलाइन फॉर्म भी भर दिया है परंतु अभी तक उन्हें बिलासपुर आने की अनुमति नहीं मिली है।

परिवार की जानकारी

1. देवकांत रुद्रकर
2.शुशीला रुद्रकर (माता)
3.प्रीति रुद्रकर (पत्नी)
4.श्रेयांश रुद्रकर (पुत्र उम्र-12 साल)
5.आरुण्या रुद्रकर-(सुपुत्री उम्र – 5 साल)

वर्तमान पता (पुणे महाराष्ट्र) – ए 601, वृंदावन हाइट्स, अमनोर पार्क के पीछे, हड़पसर ,पुणे( महाराष्ट्र )

बिलासपुर(छ.ग) का पता – 18/171 – सरजु बाग़ीचा रोड , सैमसंग शोरूम के पीछे तेलीपारा बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
देवकांत रुद्रकर
मोबाइल नं. 9340372255
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