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चीफ सिकरेट्री अल्पन बंदोपाध्याय ने नहीं दी DOPT में ज्वाइनिंग….. ममता बनर्जी ने नहीं किया रिलीव……सीएम के साथ बैठक में शामिल हैं चीफ सिकरेट्री

चीफ सिकरेट्री अल्पन बंदोपाध्याय ने नहीं दी DOPT में ज्वाइनिंग….. ममता बनर्जी ने नहीं किया रिलीव……सीएम के साथ बैठक में शामिल हैं चीफ सिकरेट्री
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By NPG News

नई दिल्ली 31 मई 2021। पश्चिम बंगाल के चीफ सिकरेट्री अल्पन बंदोपाध्याय का क्या होगा ?….ना तो उन्हें बंगाल सरकार ने रिलीव किया है और ना ही उन्होंने DOPT में ज्वाइन किया है। दो दिन पहले ही केंद्र सरकार ने बंगाल के चीफ सिकरेट्री अल्पन बंदोपाध्याय का ट्रांसफर DOPT कर दिया था और आज सुबह 10 बजे तक ज्वाइन करने का आदेश दिया था, लेकिन आज 10 बजे तक की मियाद पूरी हो जाने तक IAS अल्पन ने ज्वाइनिंग नहीं दी थी

इधर खबर ये आ रही है कि केंद्र पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अल्पन बंदोपाध्याय के खिलाफ फिलहाल कोई एक्शन नहीं लेगा. गृह मंत्रालय ने उन्हें आज सुबह दस बजे तक डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग में रिपोर्ट करने का निर्देश दिया था. लेकिन बंगाल सरकार ने उन्हें रिलीव नहीं किया है.

सूत्रों के मुताबिक अल्पन बंधोपाध्याय आज नबान में सीएम ममता बनर्जी के साथ एक बैठक में हिस्सा लेंगे. बैठक में तूफान और कोरोना महामारी से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है. सीएम ममता बनर्जी ने शनिवार को पीएम तबादला वापस लेने का अनुरोध किया था. ममता बनर्जी ने इस बाबत पत्र भी केंद्र सरकार को लिखा था।

क्या है पूरा मामला, यहां समझें
दरअसल चक्रवाती तूफान यास के बाद एक समीक्षा बैठक रखी गयी थी. इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममतता बनर्जी को शामिल होना था. लेकिन राज्य के मुख्य सचिव अल्पन बंद्धोपाध्याय देरी से पहुंचे थे. प्रधानमंत्री बैठक में देरी से जाना अल्पन बंधोपाध्याय को भारी पड़ गया था क्योंकि उन्हें तत्काल बंगाल के चीफ सेक्रेट्री के पद से हटाकर दिल्ली ट्रांसफर कर दिया गया लेकिन अब केंद्र उनके खिलाफ फिलहाल कोई एक्शन नहीं लेगी.

अखिल भारतीय सेवा के अधिकरियों की प्रतिनियुक्ति के नियम 6 (1) के तहत किसी राज्य के काडर के अधिकारी की प्रति नियुक्ति केंद्र या अन्य राज्य या सार्वजनिक उपक्रम में संबंधित राज्य की सहमति से की जा सकती है. भारतीय प्रशासनिक सेना (काडर) नियम-1954 के तहत, ‘कोई असहमति होने पर मामले पर निर्णय केंद्र सरकार और राज्य सरकार कर सकती है या संबंधित राज्यों की सरकारें केंद्र सरकार के फैसले को प्रभावी कर सकती है.’

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