मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि जहां एक ओर इस अधिनियम का वर्तमान संशोधन धर्म के आधार पर अवैध प्रवासियों का विभेद करता प्रतीत होता है एवं भारतीय संविधान के अनुच्छेद-14 के विपरीत होने का संकेत दे रहा है, वहीं दूसरी ओर भारत के पड़ोसी देशों, जैसे- श्रीलंका, म्यांमार, नेपाल और भूटान इत्यादि देशों से आने वाले प्रवासियों के संबंध में इस अधिनियम में कोई भी प्रावधान नहीं किया गया है ।
मुख्यमंत्री ने पत्र में कहा है कि छत्तीसगढ़ राज्य में इस अधिनियम के विरूद्ध काफी विरोध प्रदर्शन देखे गये, जो कि शांतिपूर्ण रहे, अपितु इसमें इस प्रदेश के विभिन्न वर्गाें के लोग शामिल हुए। छत्तीसगढ़ में मूलतः अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़े वर्ग के निवासी हैं, जिनमें से बड़ी संख्या में गरीब, अशिक्षित एवं साधनविहीन हैं, जिसे इस अधिनियम की औपचारिकता को पूर्ण करने में कठिनाइयों का निश्चित रूप से सामना करना पड़ सकता है। संविधान के समक्ष सभी सम्प्रदाय समान होते हैं, संसद के द्वारा अधिनियमित नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (सी.ए.ए.) धर्म निरपेक्षता के इस संवैधानिक आधारभूत भावना को खंडित करता दृष्टिगत हो रहा है ।
मुख्यमंत्री ने पत्र में देश के संविधान के अनुच्छेद-14 को देश के सभी वर्गाें के व्यक्तियों के समानता के अधिकार और कानून के अंतर्गत समानता की गारंटी को सुरक्षित रखने के लिये आवश्यक है कि संविधान की इस मूल भावना के विपरीत कोई भी कानून नहीं बनाया जाये। जनमानस में विरोध प्रदर्शन को देखते हुए, गरीब तबके एवं असाक्षर लोगों को असुविधा न हो, देश में शांति बनी रहे, एवं संविधान की मूल अवधारणा सुरक्षित रहे, इन सबके दृष्टिगत, नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (सी.ए.ए.) में लाये गये संशोधन को वापस लिये जाने का प्रदेशवासियों की ओर से अनुरोध किया है।