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कोरोना की वजह से संकट में मुख्यमंत्री की कुर्सी……..क्या देंगे इस्तीफा ?….या फिर राज्यपाल से करेंगे मिन्नत….. यही दो विकल्प बचे हैं सीएम के सामने … पढ़िये पूरी रिपोर्ट

कोरोना की वजह से संकट में मुख्यमंत्री की कुर्सी……..क्या देंगे इस्तीफा ?….या फिर राज्यपाल से करेंगे मिन्नत….. यही दो विकल्प बचे हैं सीएम के सामने … पढ़िये पूरी रिपोर्ट
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By NPG News

मुंबई 8 अप्रैल 2020। कोरोना संकट में महाराष्ट्र बुरी तरह से फंसा है। मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है तो मरने वालों का ग्राफ भी बढ़ता जा रहा है। इन सबके बीच सबसे बुरे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे फंसे हैं, जिनकी कुर्सी ही अभी खतरे में है। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि उद्धव अभी महाराष्ट्र के किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। कोरोना की वजह से चुनाव टाल दिया गया है, लिहाजा उद्धव को अपनी कुर्सी बचानी मुश्किल में पड़ती दिख रही है। दरअसल नियम के मुताबिक किसी भी मुख्यमंत्री को शपथ ग्रहण के छह महीने के भीतर राज्य के किसी भी सदन की सदस्यता लेनी जरूरी है, लेकिन कोरोना की वजह से चुनाव हो पाना संभव नहीं दिख रहा है।

दरअसल उद्धव ने 28 नवंबर 2019 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, उस लिहाजा से उन्हें 28 मई के पहले विधानसभा या विधान परिषद में किसी एक सदन की सदस्यता लेनी होगी। लेकिन चुनाव की सुगबुगाहट दूर-दूर तक नहीं है। सभी सीट फिलहाल महाराष्ट्र विधानसभा की भरी हुई है, ऐसे किसी रिक्त सीट से चुनाव लड़ने की भी गुंजाईश नहीं है। उद्धव अपने शिवसेना विधायकों के इस्तीफे का भी जोखिम लेने को तैयार नहीं है। वैसे भी नियम के मुताबिक विधानसभा चुनाव के लिए आयोग को 45 दिन पहले अधिसूचना जारी करनी होती है। हालांकि विधान परिषद का रास्ता थोड़ा आसान है, क्योंकि इसके लिए सिर्फ 15 दिन पहले अधिसूचना जारी करनी होती है। महाराष्ट्र विधान परिषद के 9 सदस्यों का कार्यकाल 24 अप्रैल को खत्म हो रहा है। लेकिन मुश्किल ये है कि इन सीटों पर आयोग चुनाव कराने को तैयार नहीं है।

ऐसे में उद्धव के पास दो ही रास्ते हैं, एक तो यही है कि वो राज्यपाल की तरफ से मनोनीत होने वाले दो सदस्यों में से एक मनोनयन के लिए खुद अपना नाम प्रस्तावित करें। और राज्यपाल की तरफ से राज्य सरकार की उस सिफारिश पर मुहर लगा दी जाये। हालांकि इसके लिए राज्यपाल की रजामंदी बेहद जरूरी होगी, तभी उद्धव की कुर्सी बचेगी।

दूसरा विकल्प उनके इस्तीफे को लेकर है। छह महीने पूरे होने के पहले उद्धव अगर इस्तीफा दे देते हैं और फिर तत्काल बाद वो अगर शपथ ले लेते हैं तो उन्हें सदस्यता के लिए 6 महीने का और वक्त मिल जायेगा। लेकिन मुश्किल ये है कि मुख्यमंत्री का इस्तीफा हुआ तो अन्य मंत्रियों का इस्तीफा खुद ही मान लिया जाता है। लिहाजा कोरोना संकट के बीच इस तरह की कवायद के लिए शिवसेना-एनसीपी सरकार तैयार है या नहीं, इस पर संदेह है।

हालांकि फिलहाल अटकलों में यही है कि आखिर उद्धव कौन सा रास्ता अपनायेंगे। क्या इस्तीफा देंगे या फिर मनोनयन के लिए राज्यपाल से गुजारिश करेंगे।

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