Chhattisgarh Most Expensive Vegetable: ये है छत्तीसगढ़ की सबसे रहस्यमयी सब्जी, कीमत है 2000 रुपए किलो
गौलेरा-पेंड्रा-मरवाही के जंगलों में बारिश के समय एक खास सब्जी का उत्पादन होता है जो प्रदेश की सबसे महंगी सब्जियों में से एक मानी जाती है 2000 रूपए किलों में बिकने वाली इस सब्जी को लोग काला सोना भी कहते हैं। इसे छत्तीसगढ़ के कुछ क्षेत्रों में रुगड़ा या बोड़ा भी कहा जाता है। ज्यादातर लोग इस सब्जी को पूटु के नाम से जानते हैं। ग्रामीण इलाके से लेकर शहरों तक लोग इसका स्वाद चखने के लिए पूरे साल इंतजार करते हैं। आमतौर पर ये सब्जी जून के आखरी सप्ताह में मिलती है लेकिन इस बार इस सब्जी का उत्पादन 20 दिन पहले ही हो गया।

गौलेरा-पेंड्रा-मरवाही के जंगलों में बारिश के समय एक खास सब्जी का उत्पादन होता है जो प्रदेश की सबसे महंगी सब्जियों में से एक मानी जाती है 2000 रूपए किलों में बिकने वाली इस सब्जी को लोग काला सोना भी कहते हैं। इसे छत्तीसगढ़ के कुछ क्षेत्रों में रुगड़ा या बोड़ा भी कहा जाता है। ज्यादातर लोग इस सब्जी को पूटु के नाम से जानते हैं। ग्रामीण इलाके से लेकर शहरों तक लोग इसका स्वाद चखने के लिए पूरे साल इंतजार करते हैं। आमतौर पर ये सब्जी जून के आखरी सप्ताह में मिलती है लेकिन इस बार इस सब्जी का उत्पादन 20 दिन पहले ही हो गया।
बता दें कि पूटु एक प्रकार का मशरूम है, जो दिखने में गोल और खाने में काफी स्वादिष्ट होता है। इसका उत्पादन प्राकृतिक होता है। सरई के जंगलों में भुरभुरी मिट्टी में उगी इस सब्जी में ना कोई बीज होती है ना ही कोई दाना इसलिए इस सब्जी का उत्पादन नहीं किया जा सकता साल सरई के जंगलों में पत्तों के सड़ने से बने कवक से ये सब्जियां तैयार होती हैं। पूटु सब्जी की सबसे खास बात यह है कि यह उमस की वजह से यह जमीन से बाहर निकल आती है और हल्की बारिश की वजह से यह जमीन पर दिखने लगती है। गांव की महिलाएं लकड़ी की मदद से इस सब्जी को बाहर निकालती हैं।
दिखने में मटमैला और मिट्टी से सना हुआ पूटु दिखने में सस्ता लगता है लेकिन इसकी कीमत सुनकर लोग हैरान हो जाते हैं। शहरी क्षेत्रों में इस सब्जी की काफी मांग होती है और इसकी शुरूआती कीमत 2000 रूपए किलो हैं। इस सब्जी की सबसे खास बात यह है कि जब मॉनसून की पहली बारिश होती है तो ये अपने-आप ही उगने लगती है और वर्ष में सिर्फ एक बार ही ये सब्जी बाजार में उपलब्ध होती है।