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विष्णुदेव सरकार की स्वरोजगार योजना से कांशीराम के चेहरे की बढ गई मुस्कान, मनरेगा से बनाया बकरी पालन शेड, आर्थिक रूप से हो रहा सशक्त

राज्य सरकार भी स्वरोजगार को प्रोत्साहित करने का काम कर रही है। ऐसे में छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अंचल के किसान बकरीपालन कर अपनी सफलता की नई कहानी गढ़ रहे हैं और लोगों के लिए नई मिसाल बन रहे हैं।

विष्णुदेव सरकार की स्वरोजगार योजना से कांशीराम के चेहरे की बढ गई मुस्कान, मनरेगा से बनाया बकरी पालन शेड, आर्थिक रूप से हो रहा सशक्त
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By Sandeep Kumar

छोटे-छोटे स्वरोजगारों को अपनाकर लोग आर्थिक रुप से आगे बढ़ रहे हैं और वर्तमान समय में लोगों का रुझान बकरीपालन की तरफ तेजी से बढ़ते जा रहा है। राज्य सरकार भी स्वरोजगार को प्रोत्साहित करने का काम कर रही है। ऐसे में छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अंचल के किसान बकरीपालन कर अपनी सफलता की नई कहानी गढ़ रहे हैं और लोगों के लिए नई मिसाल बन रहे हैं। ऐसा ही है हरदीविशाल का रहने वाले कांशीराम का जिन्होंने अपनी किस्मत को दूसरों के भरोसे पर नहीं छोड़ा बल्कि बदलते समय के साथ अपने को मजबूत बनाया और अपनी मेहनत के बल से अपनी किस्मत को बदल दिया।

जांजगीर-चांपा जिले के बलौदा विकासखण्ड की ग्राम पंचायत हरदीविशाल निवासी कांशीराम अपने परिवार चलाने के लिए वह अपने खेती-किसानी पर ही निर्भर था और अपने परिवार का गुजारा चलाता था। इसके अलावा उनकी आय का कोई अन्य जरिया नहीं था। फिर कुछ साल पहले उन्होंने बकरी पालन कार्य शुरू किया और कम समय में ही बकरी पालन के व्यवसाय से अच्छा लाभ अर्जित करने लगा, लेकिन उनके सामने एक बड़ी समस्या खड़ी थी कि जिस घर में वह बकरी पालन का कार्य करता था, वह मिट्टी का था और जर्जर हो चुका था। ऐसे में बारिश और ठंड में बकरियों को सुरक्षित रखना उनके लिए मुश्किल हो रहा था। बीमारियों के चलते कई बार बकरियों की मृत्यु भी हो जाती थी, जिससे उन्हें बहुत अधिक नुकसान उठाना पड़ता था, जितनी भी आमदनी बकरीपालन से होती थी, उससे ही गुजरा बसर चल रहा था।

कांशीराम बताते हैं कि उनके पास वर्तमान में 20 बकरी है। एक वर्ष के अंतराल में चार बकरी को बेचकर बीस हजार रुपया कमाया और अपने परिवार का जीवन यापन में खर्च किया एवं चार वर्ष के अंतराल में 40 बकरी को बेचकर दो लाख रूपये कमाया। इस आमदनी से बच्चों की पढ़ाई, खेत एवं घर बनाने में खर्च किया, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई थी क्योंकि अब भी बकरियों को रखने के लिए उनके पास कोई पक्का घर नहीं था। ऐसे में श्री कांशीराम बताते हैं कि इस समस्या के समाधान के लिए उन्होंने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के व्यक्तिगत हितग्राही मूलक कार्य के तहत ग्राम पंचायत में बकरी पालन शेड के लिए आवेदन किया। आवेदन की मंजूरी के बाद 93 हजार 63 रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति मिली और एक पक्का शेड बनवाया। इस निर्माण कार्य के दौरान कांशीराम के परिवार को 52 दिनों का रोजगार भी प्राप्त हुआ। शेड बनने के बाद कांशीराम ने अपनी बकरियों को सुरक्षित छत प्रदान किया, जिससे उनकी बकरियों की सेहत में सुधार हुआ और उनकी आय में भी बढ़ोतरी हुई।

कांशीराम का कहना है कि अगर मनरेगा से शेड बनाने में मदद नहीं मिली होती, तो यह उनके लिए संभव नहीं था। अब वे अपने बकरी पालन व्यवसाय को और बढ़ाने की योजना बना रहे हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और मजबूत होगी और परिवार की आय से वह अपने बकरी पालन के व्यवसाय को आगे बढ़ा सकेगा।

Sandeep Kumar

संदीप कुमार कडुकार: रायपुर के छत्तीसगढ़ कॉलेज से बीकॉम और पंडित रवि शंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी से MA पॉलिटिकल साइंस में पीजी करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं। पिछले 10 सालों से विभिन्न रीजनल चैनल में काम करने के बाद पिछले सात सालों से NPG.NEWS में रिपोर्टिंग कर रहे हैं।

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