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Supreme Court News: पूर्व सीएम भूपेश बघेल को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत, पढ़िए क्या है मामला

Supreme Court News: छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को सुप्रीम कोर्ट ने राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल को उनके निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका की विचारणीयता पर चुनौती देने की अनुमति दे दी है।

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By Neha Yadav

Supreme Court News: दिल्ली। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उनके भतीजे विजय बघेल द्वारा दायर चुनाव याचिका के खिलाफ याचिका की विचारणीयता पर चुनौती देने की अनुमति दे दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने आज छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें उनके भतीजे विजय बघेल ने राज्य के 2023 के विधानसभा चुनावों के दौरान मौन अवधि के मानदंडों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए चुनाव याचिका दायर की थी। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की डिवीजन बेंच ने याचिका को वापस लेते हुए खारिज कर दिया, जबकि भूपेश बघेल को हाई कोर्ट व चुनाव न्यायाधिकरण में प्रारंभिक मुद्दे के रूप में स्थिरता का मुद्दा उठाने की स्वतंत्रता दी। डिवीजन बेंच ने कहा कि चुनाव याचिका के संबंध में अगर कोई आवेदन दायर करता है तो दूसरे पक्ष को सुनवाई का अवसर देने के बाद दही गुण-दोष के आधार पर निर्णय ले। बेंच ने यह भी कहा कि उक्त आदेश में की गई टिप्पणियों का आवेदन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।"

विजय बघेल की चुनाव याचिका को खारिज करने के लिए भूपेश बघेल ने याचिका को खारिज करने की मांग की थी।

वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा, अधिवक्ता सुमीर सोढ़ी के साथ भूपेश बघेल की ओर से डिवीजन बेंच के समक्ष पेश हुए और तर्क दिया कि मौन अवधि के मानदंडों का उल्लंघन नहीं माना जाता है। वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा, अधिवक्ता सुमीर सोढ़ी ने बेंच के समक्ष तर्क दिया कि मौन अवधि के मानदंडों का उल्लंघन "भ्रष्ट आचरण" नहीं है और इसलिए चुनाव याचिका विचारणीय नहीं है। मामले की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने इस मुद्दे को हाई कोर्ट वचुनाव न्यायाधिकरण के समक्ष उठाने की बात कही।

क्या है मामला

भूपेश बघेल (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस) और विजय बघेल (भारतीय जनता पार्टी) ने वर्ष 2023 में एक दूसरे के खिलाफ पाटन विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े थे। मतगणना के बाद, भूपेश बघेल को पाटन निर्वाचन क्षेत्र से विधायक के रूप में निर्वाचित घोषित किया गया। चुनाव में पराजय के बाद विजय बघेल ने हाई कोर्ट में चुनाव याचिका दायर की। जिसमें भ्रष्ट आचरण और मतदान समाप्ति से पहले जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 126 के तहत निर्धारित 48 घंटे की मौन अवधि के दौरान चुनाव आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाया। याचिका में दावा किया कि मौन अवधि के दौरान भूपेश बघेल ने एक रैली व रोड शो आयोजित किया और उनके पक्ष में नारे लगाए गए। विजय बघेल के चुनाव एजेंट द्वारा उक्त रैली व रोड शो की मोबाइल फोन से वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी की गई।

भूपेश बघेल ने चुनाव याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह अस्पष्ट है और इसमें कोई विचारणीय कारण नहीं है। जब हाई कोर्ट ने चुनाव याचिका खारिज करने के उनके आदेश 7 नियम 11 के आवेदन को खारिज कर दिया, तो भूपेश बघेल ने सुप्रीम कोर्ट का का दरवाजा खटखटाया।

Neha Yadav

नेहा यादव रायपुर के कुशाभाऊ ठाकरे यूनिवर्सिटी से बीएससी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में ग्रेजुएट करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। पिछले 6 सालों से विभिन्न मीडिया संस्थानों में रिपोर्टिंग करने के बाद NPG.NEWS में रिपोर्टिंग कर रहीं है।

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