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Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला: दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को नियमित करने का आदेश, पढ़िएआदेश में क्या है

Supreme Court News: दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के हित में सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला आया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि स्थायी कार्य में लगे दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को नियमितीकरण से वंचित करके उनके साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता।

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला: दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को नियमित करने का आदेश, पढ़िएआदेश में क्या है
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By Radhakishan Sharma

Supreme Court News: दिल्ली। दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा, एक ही प्रतिष्ठान में स्थायी कार्य में लगे दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को नियमितीकरण से वंचित करके उनके साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता। रिक्त पदों के अलावा अन्य समान पदों पर कार्यरत कर्मचारियों को यह लाभ दिया जा रहा है। ऐसी स्थिति में दैनिक वेतन कर्मचारियों को लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता।

छह दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों जिसें पांच चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी और एक चालक ने याचिका दायरक की थी। याचिका के अनुसार-1989-1992 से उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग में काम कर रहे थे। दशकों की सेवा के बावजूद, राज्य सरकार ने वित्तीय बाधाओं और नए पदों की भर्ती पर प्रतिबंध का हवाला देते हुए कर्मचारियों के नियमितिकरण की मांग को खारिज कर दिया था। याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में कहा कि उनके साथ भेदभाव किया गया था। कोर्ट ने कहा एक ही प्रतिष्ठान में नियमित और दैनिक वेतनभाेगी कर्मियों के समान काम करने के बाद भी याचिकाकर्ताओं को दैनिक वेतन पर काम करान समानता के अधिकार का साफतौर पर उल्लंघन है। नियुक्ति में निष्पक्षता और प्रशासन में पारदर्शिता अनुग्रह का विषय नहीं हैं, बल्कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 16 और 21 के तहत दायित्व हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को तत्काल नियमित करने जारी किया आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश जारी करते हुए याचिकाकर्ताओं को 2002 से तत्काल नियमितीकरण, पूर्ण बकाया वेतन, सेवा निरंतरता और सभी परिणामी लाभों का भुगतान करने का निर्देश दिया। डिवीजन बेंच ने अपने आदेश में कहा है, जहां पद उपलब्ध नहीं हैं, वहां अतिरिक्त पद सृजित की जाए। कोर्ट ने कहा कि सभी याचिकाकर्ता उस तिथि से नियमित माने जाएंगे जिस तिथि को हाई कोर्ट ने आदेश जारी किया था।

ये है सुप्रीम कोर्ट का आदेश

राज्य और उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग बिना किसी पूर्व शर्त या शर्त के, संबंधित संवर्गों, श्रेणी-III चालक या समकक्ष और श्रेणी-IV चपरासी, अटेंडेंट, गार्ड या समकक्ष में अतिरिक्त पद सृजित करेंगे। नियमितीकरण पर, प्रत्येक याचिकाकर्ता को उस पद के लिए नियमित वेतनमान के न्यूनतम से कम नहीं रखा जाएगा। यदि अंतिम वेतन अधिक हो तो उसे संरक्षण प्रदान किया जाएगा और अपीलकर्ता वेतन ग्रेड के अनुसार वेतनमान में आगामी वेतन वृद्धि के हकदार होंगे। वरिष्ठता और पदोन्नति के लिए, सेवा की गणना नियमितीकरण तिथि से करने का आदेश दिया है।

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