Supreme Court: लालू यादव को सुप्रीम कोर्ट से झटका: कोर्ट ने लालू के खिलाफ आरोप टालने से किया इंकार
Supreme Court: रेल मंत्री के कार्यकाल के दौरान लालू यादव के खिलाफ रेलवे के ग्रुप डी पदों पर नौकरी के बदले भूमि में निचली अदालत ने आरोप तय करने चल रही सुनवाई को टालने की मांग को लेकर लालू यादव ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इससे इंकार कर दिया है। कोर्ट का कहना है कि मामला हाई कोर्ट में तय होगा। लालू यादव की याचिका सुनवाई के लिए दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष सूचीबद्ध हो गया है।

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Supreme Court: दिल्ली। बिहार के पूर्व सीएम लालू यादव के खिलाफ रेल मंत्री के कार्यकाल के दौरान ग्रुप डी की भर्ती में नौकरी के बदले जमीन लेने के मामले में निचली अदालत में मामला चल रहा है। निचली अदालत में उनके खिलाफ आरोप तय करने के संबंध में मुकदमा चल रहा है। लालू यादव ने चल रही सुनवाई को टालने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इससे इंकार कर दिया है। पूर्व सीएम ने निचली अदालत की कार्रवाई को 12 अगस्त तक टालने की मांग की थी।
पूर्व सीएम लालू यादव की याचिका पर जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत द्वारा तय किए गए आरोप हाई कोर्ट के समक्ष लंबित याचिका के फैसले के अधीन रहेगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि निचली अदालत द्वारा उनके खिलाफ आरोप तय कर देने से हाई कोर्ट में लंबित याचिका अर्थहीन नहीं हो जाएगी। निचली अदालत का निर्णय हाई कोर्ट के फैसले के अधीन रहेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव को राहत देते हुए कहा कि हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं है। डिवीजन बेंच ने हाई कोर्ट से कहा कि याचिका की सुनवाई में तेजी लाए।
हाई कोर्ट में दायर याचिका में ये की है मांग
पूर्व सीएम ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर एफआईआर दर्ज करने की मांग के अलावा सीबीआई द्वारा दायर तीन चार्जशीट और संज्ञान लेने वाले ट्रायल कोर्ट के आदेशों को चुनौती दी गई है। हाई कोर्ट के सिंगल बेंच में लालू यादव की याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने संबंधितों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कार्रवाई पर रोक लगाने से यह कहते हुए इंकार कर दिया कि मुकदमे को रोकने के लिए कोई बाध्यकारी कारण नहीं बनता है। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने अंतरिम आवेदन को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को राहत देते हुए कहा थाकि निचली अदालत के समक्ष आपत्तियों को उठाने के लिए वे स्वतंत्र हैं।
ये है मामला
सीबीआई के अनुसार मामला 2004 से 2009 के बीच विभिन्न रेलवे क्षेत्रों में ग्रुप-डी पदों पर हुई नियुक्तियों से संबंधित है। इस दौरान लालू प्रसाद यादव केंद्रीय रेल मंत्री थे। आरोप है कि इन नियुक्तियों के बदले में भूखंड लिए गए थे। भूखंड लालू प्रसाद यादव के परिवार के सदस्यों और एक कंपनी मेसर्स एके इन्फोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित कर दिए गए थे। जिसे बाद में लालू प्रसाद यादव के परिवार ने अधिग्रहित कर लिया था। सीबीआई ने 10 अक्टूबर 2022 को लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी व पूर्व सीएम राबड़ी देवी और बेटी मीसा भारती सहित 16 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की।
