Sukma Naxal Attack: 25 साल पुराना पैटर्न दुहराया नक्सलियों ने, तब भी आग की खबर और ASP भास्कर शहीद और आज भी इसी तरह एएसपी को किया ट्रेप...
Sukma Naxal Attack: सुकमा जिले के कोंटा में माओवादियों के आईडी ब्लास्ट में आज एडिशनल एसपी आकश राव गिरीपुंजे शहीद हो गए। नक्सलियों ने इस वारदात को ठीक उसी तरह अंजाम दिया, जिस तरह 25 साल पहले नारायणपुर के एडिशनल एसपी भास्कर दीवान समेत 24 जवान शहीद हुए थे।

Sukma Naxal Attack: रायपुर। नारायणपुर की नक्सली घटना को जानने के लिए 25 साल पहले फरवरी 2000 में जाना होगा। तब छत्तीसगढ़ नहीं बना था और न ही नारायणपुर जिला अस्तित्व में आया था। नारायणपुर बस्तर जिले का हिस्सा था। नक्सली गतिविधियां तेज होने पर दिग्विजय सिंह सरकार ने तब नारायणपुर में एडिशनल एसपी पोस्ट किया था। बिलासपुर के भास्कर दीवान पहले एडिशनल एसपी अपाइंट हुए थे।
क्या थी घटना?
छत्तीसगढ़ राज्य बना नवंबर 2000 में। उसके नौ महीने पहले 3 फरवरी 2000 को नक्सलियों ने एडिशनल एसपी की गाड़ी को बारुदी सुरंग विस्फोट से उड़ा दी। नक्सलियों ने ब्लास्ट करने के बाद कोई बचे मत, इसलिए तीन तरफ से फायर खोल दी थी। इस हमले में एएसपी समेत 24 जवान मौके पर शहीद हो गए थे। इसी दिन बस्तर के एसपी अनिल कुमार बदल रहे और नए एसपी चार्ज ले रहे थे, इसलिए सभी का ध्यान नए पुलिस अधीक्षक के पदभार ग्रहण पर था, तब तक नक्सलियों ने बड़ी घटना कर दी।
ऐसे किया ट्रेप
पुलिस पार्टी को निशाना बनाने के लिए माओवादियों नें चालाकी से नारायणपुर से आठ किलोमीटर दूर गांव के कुछ घरो में आग लगा दी थी। उस समय मोबाइल होता नहीं था। फिर भी आधी रात को आगजनी की सूचना पुलिस कंट्रोल रुम को भिजवा दी। इसकी जानकारी मिलने पर एडिशनल एसपी भास्कर दीवान जवानों को लेकर मौके पर जाने के लिए फोर्स तैयार किया। टाटा 407 में जवानों को बिठाया गया। खुद की जिप्सी में वे बैठने गए, तो देखा कि ड्राईवर नहीं है। ड्राईवर को ढूंढने का प्रयास किया गया मगर वो मिला नहीं। भास्कर दीवान तुरंत घटनास्थल पर पहुंचना चाहते थे। इसलिए जवानों के साथ टाटा 407 में सवार हो गए। तब तक नक्सलियों को अपने गुप्तचरों से सूचना मिल चुकी थी कि एडिशनल एसपी जवानों के साथ 407 में गांव आ रहे हैं। रास्तें में बारुदी सुरंगे पहले से बिछी हुई थी, जैसे ही गाड़ी वहां पहुंची, नक्सलियों ने बटन दबा दिया। इसमें एएसपी भास्कर दीवान समेत सभी 24 जवान शहीद हो गए।
शहीद आकाश राव गिरीपुंजे
सुकमा जिले के कोंटा सब डिवीजन के एडिशनल एसपी आकाश गिरीपुंजे आज सुबह कोंटा-एर्राबोर के बीच डोंड्रा गांव के पास आईडी ब्लास्ट में शहीद हो गए। बताते हैं, कल रात नक्सलियों ने डोंड्रा में एक ठेकेदार की जेसीबी में आग लगा दी थी। इसकी सूचना पर एएसपी आकश गिरीपुंजे पुलिस पार्टी के साथ रवाना हुए थे। सड़क पर गाड़ी खड़ी कर वे पैदल गांव की तरफ जा रहे थे, तभी आईडी के उपर उनका पैर पड़ गया। इस घटना में एएसपी मौके पर ही शहीद हो गए।
कोंटा की घटना पुनरावृत्ति
कोंटा की घटना भी नारायणपुर जैसी है। बस्तर में अंतिम सांस गिन रहे नक्सली अब करो-मरो की स्थिति में है। सो, बताते हैं, कल रात एक ठेकेदार के जेसीबी में आग लगा दी। घटनास्थल डोंड्रा गांव कोंटा से मुश्किल से दो किलोमीटर दूर है। चूकि, नक्सलियों के खात्मे की वजह से पुलिस का हौसला बढ़ा है, इसलिए कोंटा के पास आकर माओवादियों द्वारा की गई घटना से पुलिस अधिकारी तुरंत हरकत में आ गए। बताते हैं, एएसपी आकाश राव ने कोंटा के एसडीओपी और इंस्पेक्टर को लेकर मौके लिए रवाना हो गए। डोंड्रा गांव के पास सड़क पर गाड़ी खड़ी कर वे जैसे ही पैदल चलना शुरू किए, आईडी पर उनके पैर पड़ गए।
रातोरात आईडी बिछाई
जानकारों का कहना है कि नक्सलियों को पता था कि जेसीबी जलाने के बाद पुलिस पार्टी गांव में आएगी। इसलिए पैदल रास्ते में आईडी बिछा दी। हालांकि, पुलिस पार्टी ने इतनी सावधानी जरूर बरती कि गाड़ी सड़क पर खड़ी कर दी। पुलिस के अधिकारियों का मानना है कि नक्सलियों ने पैदल रास्ते में रातोरात आईडी बिछा दी होगी। उसी पर एएसपी और एसडीओपी, इंस्पेक्टर के पैर पड़ गए। आमतौर पर तार जोड़कर नक्सलियों द्वारा आईडी ब्लास्ट किया जाता है, इसके लिए पहले से आईडी लगाकर रखा जाता है। फिर घटना से पहले नक्सली दूर में छिपकर बैठे होते हैं। जैसे ही टारगेट नजदीक आता है, वे बटन दबा देते हैं। कोंटा ब्लास्ट स्थल का इलाका अब नक्सल मुक्त समझा जा रहा है। फिर वहां अब ये स्थिति नहीं है कि दिन में कोई नक्सली आकर ब्लास्ट करें। इसलिए, ऐसा प्रतीत होता है कि नक्सलियों ने रात में ही आईडी लगा दिया हो। कुल मिलाकर कोंटा नक्सली हमला का पैटर्न 2000 में नारायणपुर हमले से मिलता-जुलता है।