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सात साल पहले जमकर किया था फर्जीवाड़ा,एक बार फिर इन मित्रों की हो रही वापसी...

प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राहियों को मदद करने और आवास निर्माण में आने वाली दिक्कतों को दूर करने के लिए बिलासपुर जिला पंचायत ने वर्ष 2016 में आवास मित्रों की नियुक्ति की थी। तब मित्रों ने मित्रवत व्यवहार को दरकिनार करते हुए मदद के बजाय हितग्राहियों को आर्थिक चोंट पहुंचाई। एक बार फिर सरकारी रास्ते से इनकी वापसी की तैयारी शुरू हो गई है।

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By Radhakishan Sharma

बिलासपुर। वर्ष 2013 में राज्य की सत्ता पर दूसरी मर्तबे काबिज होने के बाद छत्तीसगढ़ में भाजपा ने केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना प्रधानमंत्री आवास योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए कार्ययोजना बनाई थी। जिलेवार जिला पंचायत को टास्क दिया गया था। उसी दौर में वर्ष 2015 में बिलासुपर जिला पंचायत ने आवास योजना के ऐसे हितग्राही जिनको आवास निर्माण की स्वीकृति मिल गई थी उनको मदद पहुंचाने के लिए आवास मित्रों की नियुक्ति का रास्ता खोला। जिला पंचायत के माध्यम से नियुक्ति भी हुई। नियुक्ति के चार महीने के भीतर गड़बड़ी की शिकायत मिलने लगी और आरोप भी जमकर लगने लगे। जांच में शिकायत की पुष्टि भी हुई।

विधानसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले राज्य सरकार ने ग्राम सुराज अभियान चलाया। सुराज अभियान में तत्कालीन मुख्यमंत्री डा रमन सिंह अपने सरकार के कामकाज का हिसाब देते थे और जनता से अगली बारी के लिए समर्थन मांगा करते थे। ग्राम सुराज अभियान के तहत कोटा विधानसभा क्षेत्र में उनका प्रवास हुआ। सभा को संबोधित करने से पहले ही बड़ी संख्या में ग्रामीणों के अलावा जिला,जनपद प ग्राम पंचायत के प्रतिनिधियों ने मुलाकात की व आवास मित्रों द्वारा मदद के नाम पर किए जा रहे फर्जीवाड़े का दस्तावेजों के साथ शिकायत की। तब डा सिंह ने इसे गंभीरता से लिया था। आमसभा के दौरान डा सिंह को सार्वजनिक रूप से घोषणा करनी पड़ी थी कि हितग्राहियों की सहमति के बगैर निर्माण सामग्रियों की खरीदी नहीं होगी। आवास मित्रों के क्रियाकलाप को लेकर बिलासपुर के कलेक्टर व जिला पंचायत के सीईओ को मौके पर ही तलब कर लिया था। सीएम की नाराजगी और विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी दल को कोई नुकसान ना हो इसे देखते हुए आवास मित्रों की सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी गई थी। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस राज्य की सत्ता पर काबिज हो गई। पूरे पांच साल पीएम आवास योजना का प्रदेश में सही ढंग से क्रियान्वयन नहीं हुआ। कांग्रेस की सरकार ने डेढ़ लाख केंद्र सरकार को सरेंडर कर दिया था।राज्यांश जमा ना करने के कारण हितग्राहियों का आवास पूरा नहीं हो पाया।

तब आवास मित्रों ने इस तरह की थी गड़बड़ी

हितग्राहियों को धोखे में रखकर सहमति पत्र भरा लिया था। इसके माध्यम से हितग्राहियों के बगैर जानकारी निर्माण सामग्री का सौदा करना व निर्माण सामग्री खरीदकर लाने का काम कर रहे थे।

जिन संस्थानों से निर्माण सामग्री की खरीदी की जा रही थी वहां कमीशन बांध रखा था। बिल भी उसी हिसाब से बनवाकर जिला पंचायत में जमा करा रहे थे।हितग्राहियों की बगैर जानकारी बैंक अकाउंट से राशि आहरण कर रहे थे। आवास मित्रों के फर्जीवाड़ा के कारण हितग्राहियों का मकान पूरा नहीं हो पाया है। बाजार से कर्ज लेकर मकान बनाना पड़ा।

साढ़े नौ महीने में जिले में फिर हो रही मित्रों की वापसी

राज्य की सत्ता पर काबिज होने के महज साढ़े नौ महीने के भीतर ही बिलासपुर जिला पंचायत के माध्यम से जिले के जनपद पंचायतों में आवास मित्रों की वापसी की तैयारी शुरू हो गई है। 301 आवास मित्रों की भर्ती की प्रक्रिया जिला पंचायत में शुरू हो गई है।

बिलासपुर जिले के ब्लाकों में ऐसे नजर आएंगे आवास मित्र

विकासखंड बिल्हा में 78, कोटा में 80, मस्तूरी में 86, तखतपुर में 57 कुल 301 पदों में “आवास मित्र / समर्पित मानव संसाधन" की भर्ती किया जाना है।

जिला पंचायत के मुख्यकार्यपालन अधिकारी ने बताया कि विज्ञापन जारी कर दिया गया है एवं जिला पंचायत एवं जनपद पंचायत के सूचना पटल में चस्पा करा दिया गया है। इन पदों पर इच्छुक पात्र उम्मीदवार निर्धारित प्रपत्र में आवेदन पत्र मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत बिलासपुर, जिला बिलासपुर (छ.ग.) के नाम से दिनांक 18 सितंबर 2024 को सायं 05.30 बजे तक रजिस्टर्ड डाक/ स्पीड पोस्ट के माध्यम से भेज सकते हैं। इस हेतु विस्तृत विज्ञापन एवं आवेदन पत्र का प्रारूप कार्यालय के सूचना पटल एवं जिला बिलासपुर की वेब साइड www.bilaspur.gov.in पर देखा जा सकता है।

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