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सरकारी जमीन पर अतिक्रमण के चलते चली गई थी सरपंच की कुर्सी, दोबारा फिर मिल गई

गांव में पंचायत चुनाव को लेकर विरोधी गुट द्वारा तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जाते हैं। इसी तरह का एक मामला जांजगीर-चांपा जिले का हाई कोर्ट पहुंचा है। आदिवासी महिला सरपंच को इसलिए से पद से हटा दिया था कि बेजाकब्जा में बनाए मकान में रहती है। सरपंच पद के लिए हुए उप चुनाव में वह निर्विरोध निर्वाचित हो गई। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट से मामला भी जीत गई।

सरकारी जमीन पर अतिक्रमण के चलते चली गई थी सरपंच की कुर्सी, दोबारा फिर मिल गई
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By Radhakishan Sharma

बिलासपुर। उप चुनाव में निर्विरोध निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया है। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि नामांकन पत्र को खारिज करने की मांग के बजाय चुनाव याचिका दायर की जानी थी।

मामला जांजगीर-चांपा जिले के जैजैपुर जनपद पंचायत क्षेत्र के ग्राम ठुठी का है। वर्ष 2020 में ग्राम पंचायत ठुठी में पंच एवं सरपंच के रिक्त पद के लिए चुनाव हुआ। सरपंच का पद अनुसूचित जाति वर्ग महिला के लिए आरक्षित था। चुनाव में नीरा मनहर सरपंच के पद पर निर्वाचित हुई। उसके निर्वाचन को चुनौती देते हुए ग्रामीणों ने एसडीएम के कोर्ट में शिकायत की थी। शिकायत में कहा कि सरपंच अपने ससुर द्वारा शासकीय भूमि में अतिक्रमण कर बनाए गए मकान में रहती है। पंचायत राज अधिनियम के तहत शासकीय भूमि में कब्जा करने वाले सरपंच व पंच को अयोग्य ठहराया जा सकता है। जांच के बाद कलेक्टर ने सरपंच नीरा मनहरण के निर्वाचन को अयोग्य ठहराते हुए बर्खास्तगी आदेश जारी कर दिया। इसके बाद वर्ष 2022 में सरपंच पद के लिए उपचुनाव कराया गया। सरपंच पद के लिए नीरा मनहर एवं एक अन्य ने नामांकन पत्र दाखिल किया। इसमें एक उम्मीदवार ने नामांकन पत्र वापस ले लिया। नीरा मनहर निर्विरोध सरपंच बन गई। नियमानुसार उन्हें 10 दिन बाद प्रमाण पत्र जारी किया जाना था।

प्रमाण पत्र जारी होने से पहले उप सरपंच रमेश कुमार नायक ने निर्वाचन अधिकारी से शिकायत करते हुए कहा कि सरपंच अपने ससुर द्बारा शासकीय भूमि में अतिक्रमण कर बनाए गए घर में निवासरत है। इसी आधार पर उसकी कुर्सी चली गई थी। पूर्व के आदेश का हवाला देते हुए नामांकन पत्र को निरस्त करने की मांग की। नामांकन पत्र निरस्त नहीं करने पर उप सरपंच ने हाई कोर्ट में याचिका पेश कर निर्वाचित सरपंच को जारी किए जाने वाले प्रमाण पत्र पर रोक लगाने के साथ ही निर्वाचन को रद करने की मांग की।

0 कोर्ट ने दी ऐसी व्यवस्था

याचिका की सुनवाई जस्टिस पीपी साहू के सिंगल बेंच में हुई। निर्वाचित सरपंच की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता योगेश चंद्रा ने कहा कि सरपंच पूर्व में अपने ससुर के घर में रह रही थी। उक्त भूमि पर उन्होंने अतिक्रमण नहीं किया है। इसके बाद वे स्वयं की अपनी जमीन में घर बना कर रह रही है। मतदाता सूची में पता बदलने के लिए आवेदन भी दिया है। इसके अलावा तहसीलदार एवं पटवारी ने भी प्रतिवेदन दिया है कि नीरा मनहर अपनी जमीन पर बनाए घर में रह रही। बिजली बिल का भुगतान भी उनके द्बारा किया जा रहा है। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने सरपंच के निर्वाचन के खिलाफ पेश याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि निर्वाचित सरपंच के नामांकन को खारिज करने की मांग के लिए चुनाव याचिका पेश किया जाना था।

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