सामाजिक सशक्तिकरण का नया मॉडलः छत्तीसगढ़ सरकार की कोशिशों से अंतिम व्यक्ति तक पहुंचा सामाजिक न्याय, शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य तक की सुविधाएं
छत्तीसगढ़ में सभी लोगों का ध्यान सरकार रख रही है। खासकर, सामाजिक सशक्तिकरण पर जोर देते हुए वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगों से लेकर विधवा और परित्यक्ताओं के लिए योजनाएं चलाई जा रही हैं।

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा दिव्यांगजन, वरिष्ठ नागरिकों, उभयलिंगी समुदाय, विधवा एवं परित्यक्त महिलाओं तथा बौने व्यक्तियों के समग्र पुनर्वास और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। राज्य में फिजिकल रिफरल रिहैबिलिटेशन सेंटर के जरिए कृत्रिम अंग और सहायक उपकरणों का वितरण किया जा रहा है। इसके अलावा, दिव्यांग विवाह प्रोत्साहन योजना के तहत 1 लाख रुपये की सहायता, दिव्यांग छात्रवृत्ति और मोटराइज्ड ट्रायसायकल प्रदाय किए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना पुनः शुरू किया गया है। इस योजना के तहत हजारों वरिष्ठ नागरिकगणों को तिरुपति, मदुरै और रामेश्वरम समेत अनेक धार्मिक तीर्थ यात्रा पर भेजा जा रहा है। राज्य में 33 नशामुक्ति केंद्र संचालित हैं और राष्ट्रीय नशामुक्ति योजना के तहत 4,000 से अधिक लोगों को प्रशिक्षण दिया गया है। साथ ही, गरिमा गृह में 25 उभयलिंगी हितग्राहियों को लाभ मिल रहा है।
विकसित भारत का मंत्र, भारत हो नशे से स्वतंत्र को साकार करने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है। डबल इंजन सरकार के तहत वंचित वर्गों की प्रगति, उत्थान और कल्याण के लिए कटिबद्ध हैं। आने वाले समय में भी प्रदेश सरकार इसी ऊर्जा और समर्पण के साथ कार्य करता रहेगा। छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से महिला श्रमिकों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण पहल की गई है। जिसमें मुख्यमंत्री महिला सशक्तिकरण मिशन के अंतर्गत ग्रामीण और शहरी महिलाओं को स्वरोजगार और उद्यमिता के लिए विशेष सहायता दी जा रही है।
नई श्रमिक नीति द्वारा असंगठित क्षेत्रों में कार्यरत महिला श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी की गारंटी और कार्यस्थल पर सुरक्षा मानकों को अनिवार्य बनाया गया है। महिला शक्ति केंद्रों के विस्तार से प्रत्येक जिले में महिला शक्ति केंद्र स्थापित कर महिला श्रमिकों को कानूनी सहायता, स्वास्थ्य सुविधा और रोजगार परामर्श उपलब्ध कराया जा रहा है। स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा देकर महिला स्वावलंबन के लिए राज्य सरकार द्वारा विशेष वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। सखी वन स्टॉप सेंटर में हिंसा से पीड़ित महिलाओं के लिए त्वरित सहायता और पुनर्वास की व्यवस्था। मनरेगा में महिलाओं के भागीदारी बढ़ाने रोजगार दिवसों में महिलाओं के न्यूनतम 50 प्रतिशत भागीदारी सुनिश्चित करने की पहल शामिल हैं।
दृष्टि एवं श्रवण बाधित बच्चों के लिए आसान हुआ शिक्षा का सफर
शिक्षा तक पहुंच सभी बच्चों का अधिकार है और सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि किसी भी शारीरिक बाधा के कारण कोई बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे। रायपुर और बिलासपुर स्थित शासकीय दृष्टि एवं श्रवण बाधित विद्यालयों में अध्ययनरत डे-स्कॉलर बच्चों को प्रतिदिन निःशुल्क घर से स्कूल और स्कूल से घर तक पहुंचाएंगी। दृष्टि एवं श्रवण बाधित बच्चों को एक बड़ी सौगात देते हुए दो विशेष बसें शुरू की गई हैं। ये सुविधा विशेष बच्चों के लिए न केवल सुगम और सुरक्षित आवागमन सुनिश्चित करेगी, बल्कि उनके आत्मविश्वास, शिक्षा की निरंतरता और सामाजिक समावेश को भी मजबूती प्रदान करेगी। ये पहल उन माता-पिता के लिए भी राहत लेकर आएगी, जो अपने बच्चों की दैनिक आवाजाही को लेकर चिंतित रहते हैं, विशेष रूप से जब दोनों अभिभावक कार्यरत हों।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि राज्य सरकार का संकल्प है कि हर विशेष आवश्यकता वाले बच्चे तक पहुँचा जाए और उन्हें एक बेहतर जीवन देने के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं। यह बस सेवा केवल परिवहन सुविधा नहीं, बल्कि विशेष बच्चों के जीवन में बदलाव लाने का माध्यम है। इन विशेष बसों के संचालन से रायपुर और बिलासपुर के सैकड़ों दृष्टि एवं श्रवण बाधित बच्चों को प्रतिदिन सम्मानजनक और सुरक्षित यात्रा का अवसर मिलेगा, जिससे वे मुख्यधारा की शिक्षा से सहज रूप से जुड़ सकेंगे।
कम होगी गांव और शहर के बीच की दूरी
राज्य के ग्रामीण इलाकों विशेषकर रिमोट एरिया के लोगों को सुगम और सुरक्षित परिवहन सुविधा उपलब्ध कराने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने मुख्यमंत्री ग्रामीण बस सुविधा योजना शुरू की जाएगी। इस योजना के तहत हल्के, मध्यम परिवहन मोटरयान 18 से 42 बैठक क्षमता के वाहन को अनुज्ञा पत्र और सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। नवीन ग्रामीण मार्गों के चिन्हांकन के लिए राज्य एवं जिला स्तर पर समिति का गठन किया जाएगा। अनुज्ञा का लाभ छत्तीसगढ़ राज्य के स्थानीय निवासियों को मिलेगा, जिसमें अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, महिलाओं तथा नक्सल प्रभावितों को प्राथमिकता दी जाएगी। लाभार्थियों का चयन निविदा प्रक्रिया से किया जाएगा। इस योजना के तहत संबंधित वाहन स्वामी को ग्रामीण मार्ग पर वाहनों के संचालन के लिए प्रथम परमिट निर्गमन की तिथि से तीन साल अधिकतम अवधि के लिए मासिक कर में पूर्णतः छूट दी जाएगी। इस योजना के तहत संचालित विभिन्न श्रेणी के वाहनों को राज्य शासन द्वारा प्रथम वर्ष 26 रूपए प्रति किलोमीटर, द्वितीय वर्ष 24 रूपए प्रति किलोमीटर तथा तृतीय वर्ष 22 रूपए प्रति किलोमीटर विशेष वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
इस योजना में दृष्टिहीन, बौद्धिक दिव्यांग, दोनों पैरों से चलने में असमर्थ दिव्यांग, 80 वर्ष और उससे अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिक, एड्स से पीड़ित व्यक्तियों को एक परिचारक के साथ किराया में पूरी छूट रहेगी, वहीं नक्सल प्रभावित व्यक्तियों को आधा किराया लगेगा। मुख्यमंत्री ग्रामीण बस सुविधा योजना के तहत पहले वर्ष में राज्य के लगभग 100 चिन्हित ग्रामीण मार्गों पर बस सेवा प्रारंभ की जाएगी। राज्य सरकार ने इस योजना को शुरू करने के लिए 25 करोड़ रूपए का प्रावधान रखा है। इससे किसान, मजदूर, विद्यार्थी, छोटे व्यापारी व ग्रामीण नागरिकों को जनपद, तहसील और जिला मुख्यालयों तक आवागमन की सुविधा प्राप्त होने से शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसरों तक सुलभ पहुंच संभव होगी। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि मुख्यमंत्री ग्रामीण बस सुविधा योजना ग्रामीण जनता को विकास की धारा से जोड़ने की एक क्रांतिकारी पहल है। यह योजना गांव और शहर के बीच की दूरी को कम करेगी और लोगों के जीवन को आसान बनाएगी।
लैंगिक अपराधों से संरक्षण की प्रतिबद्धता
किशोर न्याय, बालकों की देखरेख एवं संरक्षण अधिनियम, 2015 तथा लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 के प्रति जागरूकता बढ़ाने हेतु प्रदेश सरकार सतत काम कर रही है। बाल संरक्षण से जुड़े प्रत्येक मामले में संवेदनशीलता और त्वरित कार्रवाई की जा रही है। लैंगिक अपराधों से बालकों के संरक्षण अधिनियम, 2012 के तहत बालकों के प्रति अपराधों की रोकथाम और दोषियों को सजा दिलाने की प्रक्रिया की जानकारी समय समय पर कार्यशाला के माध्यम से दी जाती है। विशेषज्ञ बाल शोषण, बाल विवाह, बाल श्रम जैसे विषयों पर भी अपने विचार साझा करते हैं। साथ ही कार्यशाला में प्रतिभागियों ने बाल विवाह की रोकथाम, बाल संरक्षण के क्षेत्र में जागरूकता फैलाने तथा कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सक्रिय भूमिका निभाने का संकल्प लेते हैं। छत्तीसगढ़ राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. वर्णिका शर्मा कहती हैं कि हर बच्चा एक सुरक्षित और सम्मानजनक वातावरण का हकदार है। हम सबकी साझा जिम्मेदारी है कि हम कानूनों का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करें और बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की नींव मजबूत करें।
दिव्यांगों का हो रहा समग्र विकास
मुख्यमंत्री का कहना है कि हमारी सरकार दिव्यांगों के समग्र विकास के लिए प्रतिबद्ध है। दिव्यांगों के जीवन स्तर को बेहतर करने के लिए छत्तीसगढ़ की सरकार द्वारा विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें दिव्यांग बच्चों का सर्वे कर उनके व्यवसाय एवं नए स्टार्टअप के लिए ऋण प्रदान कर मदद करनी चाहिए, ताकि उनके जीवन स्तर में सकारात्मक सुधार आ सके। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा कि दिव्यांगजनो के जीवन में खुशहाली लाने के लिए हमें हर संभव प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान दंतेवाड़ा जिले में आए थे, तब दिव्यांगजनों से उनका विशेष लगाव देखने को मिला था।
आज हमारी सरकार ने बेहद अनुभवी सामाजिक कार्यकर्ता को इसकी जिम्मेदारी दी है, जिसका सीधा लाभ दिव्यांग साथियों को मिलेगा। महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी रजवाड़े के मुताबिक हमारी सरकार ’सबका साथ, सबका विकास’ के संकल्पों के आधार पर दिव्यांगों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने एवं उनके कौशल विकास पर जोर दे रही है।
ट्रांसजेंडर्स की बदल रही जिंदगी
समाज में सदियों से ट्रांसजेंडर के साथ भेदभाव आम बात रही। लेकिन आज़ादी के 75 साल बाद सही में ट्रांसजेंडर समाज की मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं। छत्तीसगढ़ में ट्रांसजेंडर्स को दी जा रही मदद और सहूलियतों का परिणाम है कि रायपुर के सरोना में बनाए गए प्रशिक्षण केन्द्र से निकले 90 से ज्यादा ट्रांसजेंडर्स अलग-अलग विभागों में नौकरी कर रहे हैं। थर्ड जेंडर के लिए सरोना में आवासीय प्रशिक्षण केन्द्र तैयार किया गया है। यहां आने वाले ट्रांसजेंडर्स को अलग-अलग विधाओं की ट्रेनिंग दी जाती है। प्रतियोगी परीक्षा, स्किल डेवलमेंट के अलावा अन्य विषयों की जानकारी भी दी जाती है। इसके कारण जिन्होंने बेहतर प्रदर्शन किया उन्हें अलग-अलग विभागों में रोजगार मिल गया है।
इनमें पुलिस विभाग में, बस्तर फाइटर्स में और बालको में कई ट्रांसजेंडर्स काम कर रहे हैं। यहां पर छत्तीसगढ़ के अलग-अलग जिलों और अलग-अलग राज्यों के लोग प्रशिक्षण ले रहे हैं। ट्रांसजेंडर्स समुदाय की विद्या राजपूत ने बताया कि प्रशिक्षण केन्द्र के माध्यम से सभी को उनका हक और अधिकार देने की लगातार कोशिश की जा रही है। उनके समुदाय के लोग इसमें काफी हद तक सफल हो रहे हैं। राज्य शासन के समाज कल्याण विभाग की ओर से निर्वाचन प्रक्रिया में थर्ड जेंडर समूह के नागरिकों की भागीदारी बढ़ाए जाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
