Rajim Kumbh Kalpa: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में विश्व में फैल रही है राजिम कुंभ कल्प की ख्याति, विदेशी पर्यटकों ने कहा-"इट्स वंडरफुल!"
Rajim Kumbh Kalpa, राजिम कुंभ कल्प की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है कि यह आयोजन भारतीय संस्कृति, परंपरा और आध्यात्मिक चेतना का वैश्विक केंद्र बनता जा रहा है।

Rajim Kumbh Kalpa: रायपुर। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में आयोजित राजिम कुंभ कल्प अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध होता जा रहा है। इस वर्ष आयोजित राजिम कुंभ कल्प में श्रद्धालुओं की अभूतपूर्व भीड़ उमड़ी, जिसमें देशभर के तीर्थयात्रियों के साथ विदेशी पर्यटकों ने भी हिस्सा लिया।
नीदरलैंड से पहली बार आए सिनिस ने कहा, "यहाँ की संस्कृति और लोगों की आत्मीयता ने मुझे गहराई से प्रभावित किया है। यह एक अद्भुत अनुभव है!" वहीं, इटली से आए जुबेतो और पैट्रिसिया ने कहा कि वे भारत की आध्यात्मिक, धार्मिक और अलौकिक संस्कृति को करीब से देखने और समझने के लिए आए हैं। उन्होंने कहा, "राजिम कुंभ कल्प भारतीय आस्था और आध्यात्मिकता का अद्वितीय संगम है, जो हमें मंत्रमुग्ध कर रहा है।"
राजिम कुंभ की भव्यता से अभिभूत विदेशी पर्यटक
नीदरलैंड, जर्मनी, दक्षिण अफ्रीका और इटली से आए पर्यटकों ने 54 एकड़ में फैले विशाल राजिम कुंभ कल्प की भव्यता को देखकर खुशी व्यक्त की। राजीव लोचन मंदिर और त्रिवेणी संगम पर स्थित कुलेश्वरनाथ महादेव मंदिर में उत्कीर्ण प्राचीन कलाकृतियों ने उन्हें विशेष रूप से आकर्षित किया। विदेशी पर्यटक महाशिवरात्रि पर निकाली गई नागा साधुओं की शोभायात्रा में भी शामिल हुए और मेला क्षेत्र का पैदल भ्रमण किया। विदेशी पर्यटकों ने राजिम कुंभ कल्प की साज-सज्जा और संत समागम क्षेत्र की भव्यता देखकर कहा – "इट्स वंडरफुल!"
विदेशी सैलानियों ने नागा साधुओं द्वारा निकाली गई शोभायात्रा और अखाड़ों के शौर्य प्रदर्शन को आश्चर्य और रोमांच से देखा। संत समागम क्षेत्र में उन्होंने विभिन्न संतों से आशीर्वाद लिया और नागा साधुओं के तपस्वी जीवन के बारे में जाना। पर्यटकों ने पूरे आयोजन की भव्यता को अपने कैमरों में कैद किया और मेला घूमने आए लोगों के साथ सेल्फी भी ली।
आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का अंतरराष्ट्रीय मंच
राजिम कुंभ कल्प की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है कि यह आयोजन भारतीय संस्कृति, परंपरा और आध्यात्मिक चेतना का वैश्विक केंद्र बनता जा रहा है। विदेशी मेहमानों की उपस्थिति से इस आयोजन को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान मिल रही है, जिससे भविष्य में और अधिक पर्यटक और श्रद्धालु आकर्षित होंगे।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार के प्रयासों से राजिम कुंभ कल्प को एक भव्य, दिव्य और यादगार आयोजन के रूप में विकसित किया जा रहा है, जो न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि सम्पूर्ण भारत की संस्कृति और आस्था की गौरवशाली पहचान को वैश्विक स्तर पर स्थापित कर रहा है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने छत्तीसगढ़ के प्रयागराज कहे जाने वाले राजिम में आयोजित कुंभ कल्प के समापन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि राजिम कुंभ कल्प आध्यात्मिक चेतना, सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि राजिम कुंभ कल्प का आयोजन केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति, परंपरा और सामाजिक समरसता का महापर्व है। यहाँ माघ पूर्णिमा से लेकर महाशिवरात्रि तक हजारों श्रद्धालु संगम में पुण्य स्नान करते हैं और संत महात्माओं का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। उन्होंने कहा कि राजिम कुंभ कल्प को भव्यता प्रदान करने के लिए प्रदेश सरकार ने हर संभव प्रयास किए हैं। इस आयोजन से राज्य की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को नई पहचान मिल रही है। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि हमारी सरकार ने राजिम कुंभ कल्प की भव्यता को पुनः स्थापित किया है और इसे और भी भव्य स्वरूप देने के लिए संकल्पबद्ध है।
मुख्यमंत्री साय ने अपने संबोधन में कहा कि वर्ष 2005 में राजिम कुंभ कल्प की शुरुआत हुई थी, जिसे छत्तीसगढ़ की जनता का आशीर्वाद और संतों का सान्निध्य निरंतर मिलता रहा है। उन्होंने उल्लेख किया कि पिछले कुछ वर्षों में इस आयोजन में कुछ बाधाएँ आई थीं, लेकिन छत्तीसगढ़ की जनता ने 2023 में पुनः आशीर्वाद देकर सरकार को सशक्त बनाया, जिससे यह महाकुंभ अपने परंपरागत स्वरूप में लौटा। उन्होंने कहा कि अब 54 एकड़ भूमि में इस मेले का आयोजन किया जा रहा है, जिससे इसकी भव्यता और व्यवस्थाओं में विस्तार हुआ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार इस आयोजन को और अधिक सुसंगठित और भव्य बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है।
श्रद्धालुओं के लिए ऐतिहासिक पहल
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि भगवान श्रीराम के ननिहाल में बसे रामभक्तों की श्रद्धा को ध्यान में रखते हुए सरकार ने ‘अयोध्या धाम श्रीरामलला दर्शन योजना’ शुरू की है। इस योजना के अंतर्गत अब तक 20,000 से अधिक श्रद्धालु अयोध्या धाम और काशी विश्वनाथ के दर्शन कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि पाँच सौ वर्षों के संघर्ष के बाद अयोध्या में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई। यह हम सबके लिए गौरव का क्षण है।
किसानों को सशक्त बना रही सरकार
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ में कृषि क्षेत्र में निरंतर प्रगति हो रही है। पिछले वर्ष 145 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी की गई थी, जबकि इस वर्ष 149 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान खरीदा गया है। सरकार ने 3100 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से 21 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदने का वादा किया था, जिसे पूरा किया गया है। किसानों को उनकी फसल का अंतर भुगतान एक सप्ताह के भीतर सीधे खातों में जमा कराया गया है।
मुख्यमंत्री साय ने बताया कि हाल ही में प्रयागराज महाकुंभ में 144 वर्षों बाद 70 करोड़ श्रद्धालुओं ने स्नान किया, जो भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक शक्ति को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ भी अपने आध्यात्मिक आयोजन को इसी स्तर पर पहुँचाने के लिए निरंतर प्रयास करेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार से समन्वय कर छत्तीसगढ़ को प्रयागराज में साढ़े चार एकड़ भूमि प्राप्त हुई, जहाँ छत्तीसगढ़ पवेलियन का निर्माण किया गया। इस पहल के तहत 25,000 से अधिक श्रद्धालुओं को वहाँ भोजन, आवास और आध्यात्मिक सेवाएँ निशुल्क प्रदान की गईं। उन्होंने कहा कि यह प्रयास छत्तीसगढ़ की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को राष्ट्रीय स्तर पर सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
संस्कृति और लोककला को बढ़ावा देने के लिए प्रयास
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि राजिम कुंभ कल्प में राष्ट्रीय और आंचलिक कलाकारों की प्रस्तुतियों ने इस आयोजन को और भी भव्य बनाया। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि राजिम कुंभ कल्प मेला-स्थल को और अधिक सुविधाजनक और व्यवस्थित बनाया जा रहा है। सरकार आने वाले वर्षों में मेला क्षेत्र के विस्तार और बुनियादी ढांचे के विकास पर विशेष ध्यान देगी। उन्होंने कहा कि राजिम कुंभ कल्प हमारी आस्था, संस्कृति और सामाजिक समरसता का पर्व है। यह आयोजन हमें अपनी जड़ों से जोड़ता है और हमारी सनातन संस्कृति को जीवंत बनाए रखता है।
इस अवसर पर खाद्य मंत्री दयालदास बघेल ने अपने उद्बोधन में कहा कि राजिम कुंभ हमारी सांस्कृतिक धरोहर है, जिसका संरक्षण और विकास आवश्यक है। वन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि हम सभी को इस पावन अवसर पर संकल्प करना चाहिए कि जलस्रोतों और पावन नदियों के प्रति श्रद्धाभाव रखते हुए जलस्रोतों को प्रदूषण से बचाएं।
ग्रामोद्योग विभाग
राजिम कुंभ कल्प मेला में गरियाबंद जिले के विभिन्न विभागों द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी में ग्रामोद्योग विभाग के रेशम प्रभाग का स्टाल लोगों के आकर्षण का केंद्र बना। इस स्टाल में किसानों, महिलाओं और आम नागरिकों को कोसा उत्पादन की प्रक्रिया की जानकारी दी गई। अब तक हजारों लोग इस स्टाल पर पहुंचकर कोसा उत्पादन की जानकारी प्राप्त की। कोसा उत्पादन किसानों के लिए न केवल आय का एक अतिरिक्त जरिया बन सकता है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बनाने में मददगार होगा।
इस दौरान स्टाल प्रभारी राम गोपाल चौहान ने बताया कि कोसा उत्पादन वन एवं कृषि आधारित रोजगार का एक बेहतरीन जरिया है, जिससे गांवों में ही आजीविका प्राप्त की जा सकती है। छत्तीसगढ़, जो हरितिमा से आच्छादित राज्य है, में खेतों के किनारे अर्जुन के पेड़ लगाकर कोसा उत्पादन किया जा सकता है। अर्जुन पेड़ों की पत्तियों पर कोसा कीड़े तीस दिन में कोसा फल तैयार कर देते हैं, जिसे किसान आसानी से बाजार में बेच सकते हैं।
कोसा उत्पादन कृषि के लिए भी लाभदायक है, क्योंकि इसका पालन खेतों में बायो-फर्टिलाइजर के रूप में भी उपयोगी होता है। प्रति अर्जुन वृक्ष 50 से 60 कोसा फल उत्पन्न होते हैं, जो बाजार में एक से दो रुपये प्रति फल की दर से बिकते हैं। इस प्रक्रिया में 70 प्रतिशत कोसा फल तोड़कर बेचा जाता है, जबकि 30 प्रतिशत को प्राकृतिक वंश वृद्धि के लिए पेड़ों पर ही छोड़ना आवश्यक होता है, जिससे आगे कोसा तितलियां विकसित होकर उत्पादन की श्रृंखला को बनाए रखें।