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BJP विधायक पुत्री ने RAS भर्ती में लगाया फर्जी प्रमाण पत्र: 38 कर्मचारी दोषी, 100 से ज्यादा डॉक्टरों पर भी गिरेगी गाज, पढ़ें छत्तीसगढ़ में भी है ऐसे मामलों की भरमार, जांच अभी भी लंबित

Fake Disability Certificate: राजस्थान में आरएएस भर्ती में फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र का बड़ा मामला सामने आया है। विधायक शंकर सिंह रावत की बेटी कंचन चौहान ने 40% विकलांगता का झूठा दावा किया। छत्तीसगढ़ में भी ऐसे मामलों की जांच हाईकोर्ट की रोक से रुकी है।

BJP विधायक पुत्री ने RAS भर्ती में लगाया फर्जी प्रमाण पत्र: 38 कर्मचारी दोषी, 100 से ज्यादा डॉक्टरों पर भी गिरेगी गाज, पढ़ें छत्तीसगढ़ में भी है ऐसे मामलों की भरमार, जांच अभी भी लंबित
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By Ragib Asim

Fake Disability Certificate: जयपुर। राजस्थान में दिव्यांग कोटे के तहत सरकारी नौकरी पाने वालों के फर्जी विकलांगता प्रमाण पत्रों का बड़ा घोटाला सामने आया है। सबसे बड़ा खुलासा भाजपा विधायक शंकर सिंह रावत (ब्यावर) की बेटी कंचन चौहान के मामले में हुआ है जिन्होंने आरएएस भर्ती 2024 में 40% श्रवण विकलांगता का दावा किया था। लेकिन सवाई मानसिंह मेडिकल बोर्ड की जांच में पता चला कि कंचन को सुनने में किसी तरह की गंभीर समस्या नहीं है उनकी विकलांगता सिर्फ 8% पाई गई।

फर्जी प्रमाण से बनीं तहसीलदार
मेडिकल रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि कंचन को एक कान से कोई दिक्कत नहीं, जबकि दूसरे कान में केवल 8% श्रवण बाधा है। यानी दिव्यांग कोटे में नौकरी पाने का दावा झूठा था। जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद भी अब तक उनके खिलाफ किसी विभागीय कार्रवाई की कन्फोर्मेशन नहीं हुई है।
कंचन ने यह फर्जी प्रमाण पत्र आरएएस भर्ती परीक्षा में लगाया था। शिकायत सीएम पोर्टल पर हुई थी, जिसके बाद एसओजी (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) में परिवाद दर्ज हुआ। 3 सितंबर को मेडिकल जांच के लिए बुलाने पर वे नहीं आईं लेकिन 14 अक्टूबर को SMS मेडिकल बोर्ड में जांच में उनकी विकलांगता का झूठा दावा सामने आया।
38 कर्मचारियों के सर्टिफिकेट फर्जी, 23 जांच में पेश ही नहीं हुए
एसओजी की जांच में 66 कर्मचारियों को बुलाया गया था, जिनमें से 43 पहुंचे। इनमें से केवल 6 के प्रमाण पत्र सही पाए गए, जबकि 38 के प्रमाण फर्जी निकले। बाकि 23 कर्मचारी जांच में शामिल ही नहीं हुए। सबसे अधिक मामले ‘बधिर श्रेणी’ में पाए गए हैं। एसओजी की रिपोर्ट पर 24 विभागाध्यक्षों को पत्र भेजकर इन कर्मचारियों पर कार्रवाई की सिफारिश की गई है। अब तक पीएचईडी में फर्जी बधिर प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पाने वाली कविता यादव को बर्खास्त किया गया है। जयपुर के सदर थाने में एफआईआर भी दर्ज की गई है।
डॉक्टरों पर भी होगी कार्रवाई, विभागीय जांच शुरू
सरकार ने 100 से अधिक डॉक्टरों की पहचान कर ली है जिन्होंने इन फर्जी सर्टिफिकेटों पर हस्ताक्षर किए थे। चिकित्सा शिक्षा विभाग को एसओजी की रिपोर्ट मिल चुकी है और अब सभी डॉक्टरों पर कार्रवाई की तैयारी चल रही है। मेडिकल एजुकेशन कमिश्नर इकबाल खान ने मीडिया को बताया कि अब जॉइनिंग से पहले संभाग स्तर पर दोबारा मेडिकल जांच कराई जा रही है और पुराने कर्मचारियों का भी सत्यापन होगा।
जांच प्रक्रिया धीमी, क्योंकि एक ही मशीन पर निर्भर
एसएमएस अस्पताल में दिव्यांगता जांच के लिए केवल एक ऑडियोमेट्री मशीन है, जिस पर अपॉइंटमेंट पाने में छह महीने तक का समय लग रहा है। इसी वजह से बड़े पैमाने पर जांच में देरी हो रही है।
छत्तीसगढ़ में भी ऐसे सैकड़ों मामले, हाईकोर्ट की रोक से जांच ठप
ऐसे ही फर्जी श्रवण विकलांगता प्रमाण पत्रों पर छत्तीसगढ़ में भी सैकड़ों लोग सरकारी नौकरियों पर हैं। राज्य के माननीय उच्च न्यायालय ने इन मामलों की जांच पर रोक लगाई हुई है। अदालत का तर्क है कि राज्य में डॉक्टरों की भारी कमी है और उनके ऊपर पहले से अत्यधिक वर्कलोड है इसलिए उन्हें इन प्रमाण पत्रों की जांच का एक्स्ट्रा भार देना उचित नहीं होगा।

Ragib Asim

Ragib Asim is a senior journalist and news editor with 13+ years of experience in Indian politics, governance, crime, and geopolitics. With strong ground-reporting experience in Uttar Pradesh and Delhi, his work emphasizes evidence-based reporting, institutional accountability, and public-interest journalism. He currently serves as News Editor at NPG News.

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